डॉ.
विक्रम साराभाई
(12
अगस्त, 1919 - 29 दिसंबर, 1971)
महान
भौतिकशास्त्री डॉ.होमी जहाँगीर भाभा की मृत्यु (24 जनवरी, 1966) के बाद उनके उत्तराधिकारी
(भौतिकशास्त्र के क्षेत्र में हुई रिक्तता को भरने के संदर्भ में ) के रूप में नाम
लिया जाता था – डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई ।
यह महान वैज्ञानिक अपनी कॉलेज की पढ़ाई समाप्त
कर आगे की उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड की केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी
में गये और 1939 में वहाँ से केवल 20 वर्ष की आयु में भौतिक विज्ञान की परीक्षा पास
की ।
विक्रम
साराभाई ने 1948 में अहमदाबाद में ‘महात्मा गाँधीविज्ञान संस्थान की स्थापना की। सी.वी.रमन
और होमी भाभा जैसे महान भारतीय वैज्ञानिकों के सान्निध्य में और मार्गदर्शन में इनकी
मेधा और विकसित हुई ।
एक
भौतिक विज्ञानी और खगोल शास्त्री के रूप में विक्रम साराभाई के अविस्मरणीय कार्य के
लिए उन्हें भारतीय आंतरिक कार्यक्रम के जनक माना जाता है । पूरे विश्व ने इस तथ्य को
स्वीकारा है कि विक्रम साराभाई ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत को आंतर्राष्ट्रीय
मंच पर विशेष ख्याति व गौरव प्रदान करवाया । साथ ही साथ इस वैज्ञानिक ने वस्त्र, भेषज, आणविक ऊर्जा, इलेक्ट्रानिक्स और अन्य क्षेत्रों में भी बराबर का
योगदान दिया’ । एक वैज्ञानिक के साथ साथ एक सफल और दूरदर्शी उद्योगपति,
संस्था के अच्छे प्रबंधक, शिक्षाविद, कलाप्रिय जैसी विशेषताएँ भी इनके व्यक्तित्व से
जुडी हैं ।
(संदर्भ ग्रंथ- महान भारतीय वैज्ञानिक (प्रेरक जीवन चरित्र), सुरुचि प्रकाशन, नई दिल्ली)
***
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें