शुक्रवार, 31 मई 2024

सृजन-स्मरण

 


1

दुःख, शोक, जब जो आ पड़े

सो धैर्यपूर्वक सब सहो ।

होगी सफलता क्यों नहीं

कर्तव्य पथ पर दृढ़ रहो ।।

मैथिलीशरण गुप्त

 

 

2

आदमी

मरने के बाद

कुछ नहीं सोचता।

आदमी

मरने के बाद

कुछ नहीं बोलता।

कुछ नहीं सोचने

और कुछ नहीं बोलने पर

आदमी

मर जाता है।

उदय प्रकाश

 

1 टिप्पणी:

  1. अलग काल खण्डों के प्रतिनिधि कवियों के विचार व्यक्त करती रचनाएँ

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