1
दुःख,
शोक, जब जो आ पड़े
सो
धैर्यपूर्वक सब सहो ।
होगी
सफलता क्यों नहीं
कर्तव्य
पथ पर दृढ़ रहो ।।
मैथिलीशरण
गुप्त
2
आदमी
मरने
के बाद
कुछ
नहीं सोचता।
आदमी
मरने
के बाद
कुछ
नहीं बोलता।
कुछ
नहीं सोचने
और
कुछ नहीं बोलने पर
आदमी
मर
जाता है।
उदय
प्रकाश
शब्द-सृष्टि फरवरी 202 5 , अंक 5 6 परामर्शक की कलम से : विशेष स्मरण.... संत रविदास – प्रो.हसमुख परमार संपादकीय – महाकुंभ – डॉ. पूर्वा शर्...
अलग काल खण्डों के प्रतिनिधि कवियों के विचार व्यक्त करती रचनाएँ
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