शुक्रवार, 31 मई 2024

व्याकरण विमर्श

 


डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

बताना, कहना तथा बोलना में अंतर क्या है?

ये तीन क्रियाएँ हैं।

इनमें बोलना अकर्मक क्रिया है और बताना तथा कहना सकर्मक क्रियाएँ हैं।

1. बोलना यानी मुँह से ध्वनि निकालना। बोलना प्राणी मात्र से जुड़ी हुई क्रिया है।

बोलने का कोई विषय नहीं होता।

अबोध बच्चा भी बोलता है। चिड़िया भी बोलती है। छोटे बड़े जानवर भी बोलते हैं।

बोलना सभी की शारीरिक आवश्यकता है। इनके बोलने का कोई अर्थ नहीं होता।

2. बताना तथा कहना दोनों सकर्मक क्रियाएँ हैं।

बताने और कहने का कोई विषय होता है। उस विषय को ही कर्म कहा जाता है।

अब प्रश्न यह है कि इन दोनों में क्या अंतर है?

बताना क्रिया तब अस्तित्व में आती है, जब किसी के किसी प्रश्न का किसी को उत्तर देना होता है।

किसी के प्रश्न के उत्तर के रूप में कही गई बात ‘बताना’ क्रिया द्वारा व्यक्त होती है।

जब कोई अपने मन से कोई बात कहता है, तो वह बात कहना क्रिया द्वारा व्यक्त होती है।

कहना तथा बताना दोनों द्विकर्मक क्रियाएँ हैं।

दोनों से बने वाक्यों में एक कर्ता होता है, एक सचेतन कर्म होता है तथा एक निर्जीव कर्म होता है।

कहना क्रिया के सचेतन कर्म के साथ ‘से’ परसर्ग का प्रयोग होता है तथा बताना क्रिया के सचेतन कर्म के साथ ‘को’ परसर्ग लगता है –

मैंने सुधीर को यह बात बताई।

मैंने सुधार से यह बात कही।

एक और वाक्य लेते हैं –

किसान ने राही को रास्ता बताया।

इस वाक्य को ऐसे नहीं लिख सकते –

किसान ने राही से रास्ता बताया।

राही ने रास्ता पूछा, तो किसान ने रास्ता बताया। पूछने पर बताया।

 

डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

40, साईंपार्क सोसाइटीवड़ताल रोड

बाकरोल-388315,

आणंद (गुजरात)

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जून 2024, अंक 48

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