रविवार, 12 नवंबर 2023

भाषा-चिंतन

 



डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

1)दिवाली/दीवाली

किसी विषय की तात्त्विक चर्चा भावुकतापूर्ण और मनमानी उक्तियों से नहीं आगे बढ़ती।

शब्दों में होने वाले रूपांतरण का अध्ययन करने वाला शास्त्र है - व्युत्पत्तिशास्त्र है, जिसमें यह अध्ययन किया जाता है कि कौन-सी भाषा-ध्वनि कब, कैसे और किस रूप में रूपांतरित होती है या हो सकती है? यह बात उपलब्ध प्राचीन दस्तावेजों से प्रमाणित भी करनी होती है। सिर्फ हवा में बात नहीं होती। किसी ध्वनि में होने वाले परिवर्तन का अनुमान किया जाता है। तर्क ढूँढ़े जाते हैं। नियम बनाए जाते हैं।

प्रत्येक भाषा-ध्वनि की उच्चारण संबंधी अपनी विशेषताएँ होती हैं। वे विशेषताएँ ही उस ध्वनि में होने वाले परिवर्तन की दिशा तय करती हैं।

दीपावली शब्द से दीवाली बना है।

दीपावली>दीवाअली (प् ध्वनि व् में परिवर्तित होती है और दूसरे व् का लोप होने से अ शेष रहता है)

फिर आ और अ की संधि होने से शब्द बनता है दीवाली।

दीवाली फिर बोलने में दिवाली बनता है।

दीवाली शब्द में तीन दीर्घ स्वर हैं। तीन दीर्घ स्वरों का एक क्रम में उच्चारण करना कठिन होता है। कारण कि एक साथ अधिक श्रम लगता है।

ऐसी स्थिति में दीवाली शब्द का पहले उच्चारण दिवाली हुआ।

बाद में वह लिखने में भी आ गया।

***

2)सवाल –  रेफ किसे कहते हैं?

जवाब –

र वर्ण चार रूपों में लिखा जाता है।

यानी वर्ण तो एक ही है र।

लेकिन लिखा जाता है चार रूपों में।

१. र = स्वर सहित। यानी अ युक्त।

२. ट ठ ड ढ के नीचे।

ट्र ठ्र ड्र ढ्र।

३. पाई वाले अन्य व्यंजन वर्णों के नीचे।

क्र ख्र प्र ..... आदि।

४. किसी भी व्यंजन वर्ण के ऊपर।

र्क र्च् र्ट र्प् र्य ..... आदि।

अन्य व्यंजन वर्णों के ऊपर लगे र के रूप को (र्क) रेफ कहा जाता  है।

र चार रूपी में लिखा जाता है।

१. एक रूप जो स्वतंत्र प्रयुक्त होता है। यानी र।

२. दूसरे तीन रूप अन्य व्यंजनों के साथ यानी संयुक्त व्यंजन के रूप में प्रयुक्त होते हैं।

नम्र

कर्म

उष्ट्र



डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

40, साईंपार्क सोसाइटी, वड़ताल रोड

बाकरोल-388315, आणंद (गुजरात)

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