राम उठाओ फिर कोदण्ड !
ज्योत्स्ना शर्मा ‘प्रदीप’
रघुकुल के अरुणिम आदित्य।
नमन करें नभ, भू ,जल,
नित्य।।
देह-नेह है ललित, ललाम।
रघुवंशी को सदा प्रणाम।।
राम दया के तुम हो कोष।
पावन, सरल, सदा निर्दोष।।
सदा निभाई रघुकुल रीत।
अनुपम सुत ,भाई,पति,मीत।।
राम जैसा न कोई भूप।
न्याय सदा ही विरल, अनूप।।
परम पुरुष पावन रघुवीर।
कमल नैन में करुणा-नीर।।
मर्यादा,
शक्ति एक साथ।
रामचंद्र अद्भुत, जग-नाथ।।
कितने प्यारे हैं श्रीराम।
किए जगत में पावन काम।।
रावण का करके
संहार।
वसुधा से उतरा था भार।।
भू पर हैं फिर असुर
अनेक।
काज करो फिर से वो एक।।
हर पापी को दे
दो दंड।
राम उठाओ फिर कोदण्ड!!
ज्योत्स्ना शर्मा 'प्रदीप'
देहरादून
बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर। सुदर्शन रत्नाकर
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