हिंदी
और हिन्दुस्थान
अनिकेत
सिन्हा
भारत,
एक
ऐसा राष्ट्र जिसमें बसी है दुनिया भर की कई संस्कृतियाँ,
सभ्यताएँ,
लोग
और सबसे महत्वपूर्ण जनमानस की भाषाएँ। इन्हीं भाषाओं में से एक भाषा है हमारी हिंदी
जो भारत की अधिकतर जनता की वाणी है, जो
समस्त भारत की अस्मिता को एक साथ जोड़े रखती है ।
अन्य
भाषाओं की तरह हिंदी का भी अपना इतिहास है। हिंदी भाषा की ओर बढ़ने से पहले हम भाषा की परिभाषा
पर चर्चा करेंगे ।
भाषा
क्या है? भाषा वह साधन है जिसके
माध्यम से हम मनुष्य आपस में वार्तालाप करते हैं,
हम
मनुष्य अपनी भावनाओं को एक दूसरे के समक्ष बिना किसी संकोच के प्रकट करते हैं। भाषा
वह साधन है जिसके द्वारा समस्त राष्ट्र की एकता अक्षुण्ण है।
भारत
में कुल 122 मुख्य भाषाएँ है और 1599 अन्य भाषाएँ है,
अगर
हम विश्व की बात करे तो संपूर्ण विश्व में कुल 7200 भाषाएँ आम जनता द्वारा प्रयोग में
लायी जाती है। इन सभी भाषाओं में सबसे ज्यादा प्रयोग में लायी जाने वाली भाषा अंग्रेज़ी
है और हिंदी इसी सूची में तीसरे स्थान पर है।
हिंदी
भाषा इन्हीं 7200 भाषाओं में से एक भाषा है, जो भारत की अधिकतर जनसंख्या द्वारा बोली
जाती है। हिंदी का इतिहास बड़ा ही विशाल तथा रोमांचकारी है । हिंदी की उत्पत्ति और इसकी लिपि पर अगर हम चर्चा
करेंगे तो, पाएँगे कि हिंदी का
जन्म लगभग एक हज़ार साल पहले हुआ था, हिंदी
की लिपि देवनागरी लिपि है जिसके अंतर्गत भारत की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत भी पायी
जाती है । हिंदी से पहले संस्कृत भाषा का प्रयोग
भारत में ज्यादा था, प्राचीन
काल में सभी विद्यास्थलो में संस्कृत ही पढ़ाई जाती थी और प्रयोग में लायी जाती थी,
फिर धीरे-धीरे पाली, प्राकृत,
अपभ्रंश
के बाद जिस भाषा का जन्म हुआ उसे हम आज हिंदी के नाम से जानते है । हिंदी भाषा की कई और शाखायें है यानी कई बोलियाँ
है। जैसे ब्रज, अवधी,
खड़ी
बोली आदि, जो हिंदी साहित्य के चार कालों में कई कवियों तथा साहित्यकारों द्वारा प्रयोग
में लायी जा चुकी है जिस कारणवश हिंदी का विकास इन चार कालों में ऊँचाइयों को छू रहा
था । कोई हिंदी का प्रयोग कर अपने मन में छुपी
भावनाओं को एक कविता या कहानी के रूप में प्रस्तुत करता तो कोई इसी भाषा का प्रयोग
कर किसी की वंदना, किसी का जीवन परिचय या किसी सुन्दर से दृश्य को देख उसकी छवि का
वर्णन करता, जिस कारण हिंदी भाषा और सशक्त हो गयी और आम जनता इसे अपने अंदाज़ में मोड़ने
मरोड़ने लगे, हिंदी की मुख्या विशेषता
यह है कि यह जनता की भाषा है और अत्यंत सरल है ।
समय
के साथ अंग्रेजों का आगमन हुआ और वह अपने साथ अपना सबसे बड़ा हथियार ‘अंग्रेज़ी’ लाये
जिससे हिंदी की रफ़्तार थोड़ी धीमी पड़ गयी । यह रफ़्तार धीमी ज़रूर थी परन्तु रुकी नहीं थी,
स्वतंत्रता
आन्दोलन के समय कई स्वतंत्रता सेनानियों ने राष्ट्र की चेतना को जगाने के लिए जिस भाषा
का चयन किया था वह हिंदी थी, कई
सारी कविताएँ, आत्मकथाएँ और समाज
को जागरूक करने हेतु कहानियाँ, पत्रिकाएँ
हिंदी में लिखी गयी, अतः हिंदी भाषा का महत्व तब भी उतना ही था जितना अंग्रेजों के
आगमन से पहले था । समय का चक्र फिर चल पड़ा
और अब अंग्रेज़ तो चले गए परंतु अपनी भाषा को यहीं छोड़ दिया, जिसके कारण समस्त राष्ट्र
की भाषा में एक ऐसी भाषा जुड़ गई जिसका प्रयोग बिना समझे करने से मनुष्य का अस्तित्व
गिरने लगा । हिंदी भाषा की रफ़्तार फिर से धीमी
हो गई परन्तु इस बार भी ख़तम नहीं हुई है । स्वतंत्रता के बाद महात्मा गाँधी द्व्यारा कई केन्द्रीय
संस्थानों का अलग-अलग स्थानों पर उद्घाटन हुआ जिसका सिर्फ एक ही लक्ष्य था कि विश्व
को हिंदी भाषा के प्रति जागरूक करना । इन संस्थानों
की वजह से आज संपूर्ण विश्व में हिंदी भाषा सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं की सूची
में तीसरे स्थान पर है ।
अब
अगर हम हिंदी के अस्तित्व और मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डाले तो हमें यह पता चलता है
कि हिंदी की निम्नलिखित मुख्य विशेषताएँ है :-
१) हिंदी अत्यंत
ही सरल भाषा है। इस भाषा की अन्य भाषाओं
से तुलना करने पर हमें यह जानकारी मिलती है की हिंदी सभी भाषाओं से ज्यादा सरल और लोगों
द्वारा समझी जाने वाली भाषा है ।
२) हिंदी भारत की
राजभाषा है। राजभाषा का अर्थ उस भाषा से
है जो किसी भी राष्ट्र, प्रान्त
के सरकारी काम काज में प्रयोग होती है । भारत
में सभी सरकारी काम हिंदी भाषा में किये जाते हैं ।
३) हिंदी में किसी
भी अन्य भाषा का मेल हो सकता है। और उस
मेल का असर हिंदी भाषा पर नहीं होगा, अर्थात्
जन इस भाषा को मन चाहे मोड़ सकते है और प्रयोग में ला सकते हैं । उदहारण के लिए भारत में अधिकतर जनता हिंदी के साथ-साथ
अपनी भाषा का प्रयोग करता है जैसे हिंदी और उर्दू भाषा का मेल और विश्व में जब भारतीय
हिंदी का प्रयोग करता है वह अक्सर हिंदी और अंग्रेज़ी का मेल करता है ।
४) हिंदी का शब्द
कोश अत्यंत विशाल और सरल है। अंग्रेज़ी की तरह हिंदी भाषा में कोई ‘साइलेंट’ शब्द
नहीं होते और हिंदी में जो लिखा जाता है उसे वैसे ही पढ़ा जाता है ।
अब
तक हमने हिंदी का संक्षिप्त परिचय तथा इतिहास देखा और कुछ मुख्य विशेषताओं पर भी प्रकाश
डाला । अब एक सार्थक प्रश्न पूछने की बारी
है कि हिंदी की इतनी विशेषताएँ होने के उपरांत भी इसका प्रयोग भारत तथा विश्व में किसी
को रोज़गार दिलाने के लिए क्यों नहीं होता? क्या
भारत की राजभाषा के रूप में सचमुच हिंदी को सम्मान मिला है ?
इन
सभी प्रश्नों का उत्तर पाना नितान्त आवश्यक है। भारत में आज अगर किसी व्यक्ति को कोई अच्छी नोकरी चाहिए तो उसे
अंग्रेज़ी आना अनिवार्य है इसीलिए हम देख रहे है कि समाज में माता-पिता अपने संतानों
को बाल्यावस्था से ही अंग्रेज़ी में निपुण बनाने की कोशिश कर रहे हैं। आज का समाज यह
कहता है कि अगर किसी व्यक्ति को अंग्रेज़ी आती है तो वह मनुष्य समाज में रहने योग्य
है भले ही उसे अपनी मातृभाषा कितनी भी अच्छे से क्यों न आती हो,
अगर
किसी व्यक्ति को अंग्रेज़ी नहीं आती वह समाज में अपनी अलग पहचान,
प्रतिष्ठा,
मान
सम्मान कुछ भी नहीं बना सकता, ये
धारणाएँ एक सफ़ेद कागज़ पर एक छोटे से काले धब्बे के समान है। फर्क इससे पड़ता है कि देश
के निवासी किसे प्राथमिकता देते हैं । अतः अगर सही तरीके से सोचा और किया जाये तो इस
कागज़ पर से वह काला धब्बा भी हटाया जा सकता है ।
हिंदी
आज भले ही पूर्ण तरीके से फैली न हो, उपयोग
में भले ही पूर्णतः लायी न जा रही हो पर इसका विकास अभी भी तीव्र गति से हो रहा है
।
आज
हम यह देख सकते हैं कि विश्व भर में स्थापित केंद्रीय संस्थानों ने अच्छा परिणाम दिखाया है, वे
सारे संस्थान लोगों को हिंदी के प्रति जागृत करने में सक्षम है और अपने कार्य में सफल
भी है ।
भारत
में हिंदी का प्रयोग आज सभी परीक्षाओं में एक और विकल्प के रूप में किया जा रहा है
जहाँ विद्यार्थी को अगर हिंदी भाषा अच्छे से आती है तो वह अपनी परीक्षा हिंदी में दे
सकता है ।
विद्यालयों
में आज यह भी देखा जा सकता है कि हिंदी दूसरी मुख्य भाषा के रूप में विराजमान है और
यह भी देख सकते हैं कि विद्यार्थी अपनी सुविधा अनुसार अपनी मातृभाषा को तीसरी मुख्य
भाषा के रूप में उसका चयन कर सकता है ।
कार्य
के क्षेत्र में अगर हम देखें तो आज भी कुछ संस्थानों में,
सरकारी
कार्यस्थलों में हिंदी भाषा में ही कानूनी दस्तावेज़ तैयार किये जाते हैं, और उच्च पदों
पर हिंदी भाषा का ही प्रयोग किया जाता है ।
इसके
अलावा भारत में अनुवाद क्षेत्र में, पत्रकारिता
क्षेत्र में, विज्ञान,
साहित्य,
सिनेमा
आदि में हिंदी के अधिकतर प्रयोग से जन के बीच एक जागरूकता फैल रही है । उदहारण के लिए हम देख सकते है कि चंद्रयान-३ के सफलता
पूर्वक चाँद सतह पर पहुँचते ही मीडिया द्वारा हिंदी में अति सुन्दर तरीके से अनुवाद
तथा उच्च भाषा का प्रयोग, हिंदी
भाषा के विकास एवं विशेषताओं को बढ़ावा देता
है और विज्ञान में इसी भाषा का प्रयोग देश के विकास की ओर बढ़ावा देता है ।
आप
देख सकते हैं कि कुल पूरा कागज़ सफ़ेद ही है जिस पर हमें बहुत छोटे काले धब्बे दिखाई
देते हैं - इन धब्बों को मिटाने के लिए हर व्यक्ति में एक चेतना होनी चाहिए,
एक
चाह होनी आवश्यक है। हिंदी भाषा संपूर्ण विश्व की भाषा के रूप में स्वीकृत हो और यह
कार्य कोई केंद्रीय संस्था नहीं, कोई
सरकार नहीं, सिर्फ हम कर सकते है
। जब विश्व के हर व्यक्ति तक यह भाषा पहुँचेगी
तब हम कह सकते हैं कि हिंदी का विकास हो रहा है या हिंदी विकसित हुई।
14 सितम्बर को हर वर्ष की तरह हिंदी दिवस मनाया जाता है, इस दिवस का मुख्य उद्देश्य यही है कि विश्व भर में हिंदी फैलती जाए और समाज का हर व्यक्ति अपने मन में एक उत्साह के साथ एक चेतना लिए इस भाषा को सभी तक पहुँचाने का काम करे और दिन को नहीं बल्कि भाषा को मनाये। अंततः यही विचार रखना आवश्यक है कि हिंदी देश की जनता की भाषा है, कोई भी इस भाषा का प्रयोग बड़ी सरलता से कर सकता है। अपने भावों को इस भाषा से जोड़ सकता है। अपनी तरह इसे बदल सकता है और समय आने पर इसे अपने सर का ताज बनाकर इसे पहन भी सकता है। यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह इस भाषा का प्रयोग कैसे करता है और उसे प्रयोजन में कैसे लाता है ।
अनिकेत
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