डॉ.
ज्योत्स्ना शर्मा
1
मेरे
राजदुलारे सो जाओ
कल
सूरज के संग उठ जाना
मेरी
राजदुलारी सो जाओ
कल
किरणों के संग मुस्काना
तुम
बनकर गीत सरस सुन्दर
बस
वचन मधुर कहते रहना
सबके
मन में बन प्रीत अमर
रसधारा
से बहते रहना
कलियाँ
खिल जाएँ उमंगों की
खुशियाँ
ही खुशियाँ बरसाना । मेरे ....
तुम
कृष्ण मेरे तुम राम मेरे
तुम
राधा मीरा सीता हो
तुम
भगत सिंह आज़ाद मेरे
तुम
लछमी और सुनीता हो
राकेश
कल्पना के जैसे
अम्बर
पर झण्डा फहराना । मेरे .....
2
आओ
री निंदिया रानी
तुम
अँखियन में आओ
बिटिया
को मेरी आकर सुलाओ
बिटवा
को मेरे आकर सुलाओ...
आओ
तो संग ध्रुव प्रह्लाद को लाओ
आओ
तो गार्गी अपाला को लाओ
ज्ञान
का भक्ति का दीपक जलाओ ....आओ री...
आओ
कबीर सूर तुलसी को लाओ
आओ
रसखान और मीरा को लाओ
सुन्दर
कविता से मन को सजाओ....आओ री...
आओ
तो राणा प्रताप को लाओ
आओ
तो पृथ्वी छत्रसाल को लाओ
दुश्मन
की छाती पे चढ़ना सिखलाओ ....आओ री ....
आओ
तो रानी लछमी को लाओ
आओ
तो भगत सिंह आज़ाद को लाओ
माटी
की खातिर मिटना सिखलाओ ....आओ री....
डॉ.
ज्योत्स्ना शर्मा
वापी
(गुजरात)
बहुत सुंदर। सुदर्शन रत्नाकर
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद 🙏
हटाएंउत्कृष्ट सृजन। बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंआभार प्रिय अनिता 💐
हटाएंलोरी लेखन को जीवंत रखने और अच्छे सृजन की बधाई।
जवाब देंहटाएंरमेश कुमार सोनी
हार्दिक धन्यवाद सोनी जी 🙏
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