गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

कविता

 



हर-हर गंगे

  डॉ. अनु मेहता

                     

जीवनदायिनी मोक्षप्रदायिनी , पतित पावन रसधार है गंगा।

जनकल्याणी आनंददायिनी, कष्ट निवारणी अवतार है गंगा।

 

पापनाशिनी भवतारिणी , हर शरणागत का उद्धार है गंगा।

सुख-समृद्धि- स्नेह-सुधा की संजीवनी मूर्ति साकार है गंगा।

 

श्रद्धा-आस्था-भक्ति और दिव्यता की पुण्य सलिला है गंगा।

वेद और पुराणों में बखानी,जीवन की आधारशिला है गंगा।

 

कलुषहारिणी  देवसरिता निर्मल- निर्विकार- निर्दोष है गंगा।

संस्कृति की विरल विरासत, भारत माँ का जयघोष है गंगा।



 

डॉ. अनु मेहता

प्रभारी प्राचार्य

आनंद इंस्टीट्यूट ऑफ पी.जी स्टडीज इन आर्ट्स ,

आणंद, गुजरात

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