रविवार, 20 जून 2021

कविता

 


योग

हमारी अनमोल विरासत 


भारतीय संस्कृति की अनमोल विरासत है योग।

कोई विकल्प नहीं है,जीवन की जरूरत है योग।

 

'योग कर्मसु कौशलम् 'का प्रबल आह्वान है योग,

निशंक-निर्विकार- निर्भ्रान्त- निर्मल ज्ञान है योग ।

 

सभी रोगों को दूर करने का एक तरीका है योग ,

तनाव से सदा मुक्त रहने का सही सलीका है योग।

 

तन भीतर के विषाक्त विकारों को दूर करता है योग,

मन भीतर के अवसाद-नकारों को भी हरता है योग।

 

अनिद्रा, अपच और आलस्य का उपचार है योग,

ऋषि-मुनियों की तप-साधना का उपहार है योग।

 

संयम-संतुलन-स्वास्थ्य की  संपूर्ण राह है योग,

शांत ,सुंदर और समृद्ध जीवन की चाह है योग।

 

अनेक यौगिक क्रियाओं का अद्भुत समुच्चय है योग,

अजब-अनूठा-अद्वितीय-अपूर्व और अक्षय‌  है योग।

 

शारीरिक-मानसिक- आध्यात्मिक विकास है योग,

आत्मबोध -अनुशासन का अविरत अभ्यास है योग।

 

सजगता, ध्यान, एकाग्रता के लिए जरूरी है योग,

ऊर्जा, उत्सव, उत्कर्ष की सुगम  कस्तूरी है योग।

 

मानव -प्रकृति के बीच रचा अद्भुत अनुसंधान है योग,

भारत की प्राचीन परंपरा का परम योगदान है योग।

 

चेतना का विस्तार और आनंद का आलिंगन है योग,

'वसुधैव कुटुंबकम्' हित के हेतु मुक्त आमंत्रण है योग।

 डॉ. अनु मेहता

प्रभारी प्राचार्य,

आणंद इंस्टीट्यूट ऑफ पीजी स्टडीज इन आर्ट्स,

आणंद ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. योग की महत्ता पर सहज एवं सुंदर कविता।बधाई डॉ. अनु मेहता जी।

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  2. नमस्ते ma'am 🙏
    ' वसुधैव कुटुंबकम् ' हित के हेतु मुक्त आमंत्रण है योग । ❤
    योग के महत्व को लेकर सुंदर रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  3. योग के महत्व को दर्शाती सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं

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