रविवार, 25 अप्रैल 2021

हाइकु

 


हाइकु


 1

खिली बगिया

संभाली थीं उसने

नन्हीं कलियाँ !

मन में शोर

भागी है उठकर

नैनों से नींद ।

 3

ऊषा मगन

ले मोतियों के हार

करे शृंगार !

 4

थामो कमान

तरकश से तीर

स्वयं न चलें ।

 5

काव्य-कुसुम

प्रेम की सुगंध में

भीगे-से शब्द !

 6

उड़ी पतंग

नाच रही नभ में

डोर बँधी है ।

भरें उमंग

खिल उठें मन में

खुशी के रंग ।

फिक्र में जागे

नयनों में सपने

नहीं सजते ।

दिया उसने

बाहों में भरकर

सारा आकाश ।

 

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

 

4 टिप्‍पणियां:

मई-जून 2025, अंक 59-60(संयुक्तांक)

  शब्द-सृष्टि मई-जून 2025, अंक  59 -60(संयुक्तांक)   व्याकरण विमर्श – क्रिया - बोलना/बुलाना/बुलवाना – डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र कविता – 1 नार...