सोमवार, 11 जनवरी 2021

शब्द संज्ञान



बैंकिंग क्षेत्र में हिन्दी शब्दावली : अनुप्रयोग

वैश्विक अर्थ-व्यवस्था जगत में बैंकिंग क्षेत्र की अनिवार्यता एवं उपादेयता के मद्देनजर, व्यावहारिक आयाम पर कामकाज के निपटारे के लिए, अंग्रेजी के समानांतर यथावश्यक रूप से, अन्य भाषाओं की शब्दावली का प्रयोग होना स्वाभाविक है और इस क्रम में हिन्दी- शब्दावली भी अपवाद नहीं है । बहुधा ,चिर-परिचित और प्रचलित शब्दावली का प्रयोग न केवल अपेक्षित है बल्कि हिन्दी के प्रचार-प्रसार के नजरिए से भी उसकी उपादेयता बढ़ जाती है। सामान्य रूप से अर्थ जगत में ‘बैंक’, ‘चेक’, ‘ड्राफ्ट’, ‘कोड नम्बर’, ‘ए टी एम’ , ‘पिन’, ‘काउन्टर’, ‘बाउंस’ आदि ऐसे अनेक शब्द हैं जो बैंकिंग क्षेत्र में अंग्रेजी में ही प्रयुक्त होते हैं और बैंकिंग सम्बन्धी कामकाज को संपन्न करने के प्रयोजन की पूर्ति बड़ी सुगमता से करते हैं । बैंक के लिए ‘अधिकोषशब्द का प्रचलन शायद ही कहीं दिखता हो । परन्तु दूसरी तरफ राजभाषा हिन्दी की निर्धारित व संसूचित शब्दावली  का प्रयोग भी व्यापक रूप से, विशेष रूप से हिन्दी क्षेत्रों में होता है और न्यूनाधिक रूप से हिन्दीतर प्रदेशों  में भी परिलक्षित है । बैंकिंग क्षेत्र की इस शब्दावली के अंतर्गत प्रमुख रूप से जो शब्द प्रचलन में हैं उनमें – Exchange (विनिमय), Transaction (लेन देन), Cash (नकद), Branch(शाखा), Account (खाता), Savings (बचत), Deposit (जमा), Customer (ग्राहक), Recurring (आवर्ती), Term (मियाद/ अवधि), Withdrawal (निकासी), Guarantee( प्रतिभूति), Manager (प्रबंधक), Regional (क्षेत्रीय), Loan (ऋण), Fee (शुल्क), Payment (भुगतान ), Recovery (वसूली) , Sector (क्षेत्र), Slip (पर्ची), Working hours ( कामकाज का समय), Office (कार्यालय), Clerk (लिपिक), Peon(चपरासी), Cashier (खजांची), Amount (राशि), Land Lord (भू स्वामी), Trade (व्यापार), Commerce (वाणिज्य), Market (बाज़ार), Rate (दर), Interest (ब्याज), Maturity (परिपक्वता), Cost  (मूल्य), Current (चालू), Compensation (राहत), Charge (प्रभार), Treasury (तिजोरी/कोष), Implementation (कियान्वयन), In effect (प्रभावी), Profit (लाभ), Loss (हानि), Mortgage  (गिरवी), Subscription (अंश दान) आदि समावेश किया जा सकता है।

बैंकिंग क्षेत्र में हिन्दी शब्दावली के अनुप्रयोग के क्रम में उल्लेखनीय है किे क्षेत्रीय भाषा-प्रयोग के अनुरूप  कुछ हिन्दी शब्दों के स्थान पर उर्दू भाषा के कतिपय शब्द भी उपलब्ध होते हैं। उत्तर भारत के कुछ राज्यों में बहुत बड़ी मात्रा उन शब्दों की है जो संस्कृतनिष्ठ या हिन्दीनिष्ठ नहीं हैं, परंतु अन्य भाषाओं से आगत शब्द है। ‘कर्ज़’, ‘नकद’, ‘रियायत’, ‘राहत’, ‘मुआवजा’, ‘वसूली’ आदि ऐसे ही शब्द हैं। यद्यपि राजभाषा में हर सन्दर्भ के लिए हिन्दी की पारिभाषिक शब्दावली नियत है तथापि व्यावहारिक सुगमता की दृष्टि से अन्य भाषाओं के शब्दों का प्रचलन में होना सामान्य है। कुल मिलाकर, भारतीय परिप्रेक्ष्य में हिन्दी-शब्दावली के प्रयोग का दायरा अन्य क्षेत्रों के समानांतर बैंकिंग क्षेत्र में भी सतत व्यापक होता जा रहा है, जो कि एक संतोषजनक संकेत है। बैंकिंग क्षेत्र में कार्यरत-सेवारत कार्मिकों के अलावा जन-सामान्य को भी बैंकिंग की हिन्दी शब्दावली से परिचित कराना आवश्यक है ताकि अधिकाधिक रूप से हिन्दी व मानक हिन्दी की शब्दावली को जीवन-व्यवहार में लाया जा सके।


 

डॉ. मदनमोहन शर्मा

प्रोफ़ेसर

स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग

सरदार पटेल विश्वविद्यालय

वल्लभ विद्यानगर

जिला- आणंद (गुजरात) – 388120

                                                 

 

 

 


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