शनिवार, 14 नवंबर 2020

कविता

 


‘तुम्हें’


सुनो.....

यह जो दीपावली का त्यौहार है न!

यह तो बस एक बहाना है...

सबसे मिलने का

खुशियाँ बाँटने का

खुद खुश होने का

नई पोशाकें पहनने का

पूजन में पूरे परिवार को एक साथ देखने का

दादी के हाथ की बनी मिठाई खाने का

खील-बताशे, गुझियों के स्वाद में खो जाने का

दीये और रंगोली से घर को सजाने का

अमावास रात को उजला देखने का  

पूरे शहर को जगमगता देखने का

भेद-भाव, द्वेष मिटाने का  

प्यार से सबको जोड़कर रखने का

सबके चहरे पर मुस्कान बिखेरने का

और .......

‘तुम्हें’ यूँ सज सँवरकर मुस्कुराते देखने का ।


डॉ. पूर्वा शर्मा

वड़ोदरा

9 टिप्‍पणियां:

  1. दीवाली पर्व की सार्थक कविता । दीवाली पर्व पूरे परिवार के साथ मनाने में ही आनंद आता है । ये ऐसा पर्व है जिसका सबको बेसब्री से इंतज़ार रहता है । कविता सारगर्भित और बहुत अच्छी है । बधाई और आशीर्वाद ।

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  2. सुंदर भावों से सजी कविता । सही कहा त्योहार तो एक बहाना है।बहुत बहुत बधाई

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  3. बहुत सुन्दर कविता। बहुत बहुत बधाई हो आपको। दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीया।
    सादर।

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  4. बहुत खूबसूरत व सार्थक कविता के लिए हार्दिक बधाई

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. बहुत सुन्दर वर्णन किया है ।

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  7. बहुत सुंदर सृजन,हार्दिक बधाई!

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  8. सुंदर -सार्थक कविता -पुष्पा मेहरा

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