रविवार, 29 अक्तूबर 2023

मत-अभिमत

 


1)

महात्मा गाँधी

सुमित्रानंदन पंत

तुम माँस-हीन, तुम रक्तहीन,

हे अस्थि-शेष! तुम अस्थिहीन,

तुम शुद्ध-बुद्ध आत्मा केवल,

हे चिर पुराण, हे चिर नवीन!

तुम पूर्ण इकाई जीवन की,

जिसमें असार भव-शून्य लीन;

आधार अमर, होगी जिस पर

भावी की संस्कृति समासीन!

 

2)

यह कवि अपराजेय निराला

रामविलास शर्मा

यह कवि अपराजेय निराला,

जिसको मिला गरल का प्याला,

ढहा और तन टूट चुका है

पर जिसका माथा न झुका है,

नीली नसें खिंची हैं कैसी

मानचित्र में नदियाँ जैसी,

शिथिल त्वचा,ढल-ढल है छाती,

लेकिन अभी संभाले थाती,

और उठाए विजय पताका

यह कवि है अपनी जनता का !



1 टिप्पणी:

  1. बहुचर्चित एवं महत्त्वपूर्ण कविताएँ देने हेतु पूर्वा जी को धन्यवाद।

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