रविवार, 20 जून 2021

आलेख

 


कोरोना काल में योग की भूमिका  

डॉ. पूर्वा शर्मा

विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के इस युग में मनुष्य ने प्रत्येक क्षेत्र में अपना परचम लहराया है। हमने विश्व को सुरक्षित एवं अपने जीवन को सुगम बनाने के लिए हर संभव प्रयास करते हुए सफलता अर्जित की है। किन्तु कभी-कभी कुछ आपदाओं पर विजय पाना संभव नहीं हो पाता, कोरोना वायरस (Covid-19) संक्रमण के दौरान हमें इस बात का एहसास हो गया। हम सभी जानते हैं कि गत डेढ़ वर्ष से विश्व के लगभग सभी देश कोरोना महामारी के प्रकोप से जूझ रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर इसके प्रभाव को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। कोरोना से संक्रमित लोग एवं इसके कारण अपनी जान गवाँ देने वाले लोगों की संख्या को देखा जाए तो दिल दहला देने वाले आँकड़ें सामने आते हैं। इसके चलते पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, भौगोलिक, वैश्विक आदि लगभग सभी स्तर पर हुए परिवर्तनों को देखा जा सकता है। कोरोना का असर शारीरिक स्वास्थ्य पर तो है ही लेकिन मानसिक स्तर पर (मानव के मन पर) इसका प्रभाव अत्यधिक दिखाई दिया है।

इस महामारी के चलते शारीरिक-मानसिक स्थिति में सुधार लाने के लिए चारों ओर एक ही शब्द की गूँज सुनाई पड़ रही है, वह है – ‘योग’। इस मुश्किल घड़ी में योग ने संजीवनी का कार्य किया है। आम आदमी हो या डॉक्टर या वैज्ञानिक, सभी ने योग की शरण लेकर अपनी शारीरिक एवं मानसिक समस्या का निराकरण कर इससे स्वास्थ्य लाभ लिया है । सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु भारत के बाहर भी(अमेरिका आदि देशों में) इसका अभ्यास लोगों ने किया और इसे एक Stress Management Tool (तनाव को नियंत्रित करने का उपकरण) माना है। यहाँ पर हम देखने का प्रयास करेंगे कि कोरोना काल में इस योग की उपयोगिता क्या है? वह हमें क्या लाभ प्रदान करता है।

योग हमारे भारतीय दर्शनशास्त्र की बहुत पुरानी एवं महत्त्वपूर्ण शाखा के रूप में सदियों से प्रतिष्ठित है। योग अथवा अष्टांग योग के आठ अंग (यम, नियम, आसान, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि) है, इन में से तीन अंग वर्तमान कोरोना काल में अत्यधिक प्रचलित हुए है – प्राणायाम, योगासान और ध्यान ।

प्राणायाम में एक नियंत्रित गति से साँस भरना, उस साँस का शरीर के भीतर विस्तार करना (रोकना) और फिर छोड़ना होता है। इस प्रकार प्राणायाम सामान्य श्वसन क्रिया की तुलना में नियंत्रित एवं लयबद्ध होता है। सामान्य श्वसन की तुलना में इसकी गति बहुत धीमी होती है, इसमें जितनी देर साँस को लेने में लगाते हैं उससे दुगुना समय उसे छोड़ने में लगता है। इसका मतलब कि जितनी ऑक्सीजन ली जाती है उसकी तुलना में ज्यादा कार्बन डाय ऑक्साइड बाहर निकलती है जिससे रक्त में फैली अशुद्धियाँ दूर होती है और साथ ही ऑक्सीजन सभी कोशिकाओं तक अधिक से अधिक मात्रा में पहुँचता है। कोरोना के दौरान कोरोना संक्रमित व्यक्तियों में प्रायः हाइपोक्सिया (Hypoxemia) अर्थात् शरीर में ऑक्सीजन की कमी की समस्या को देखा गया है। ऑक्सीजन की कमी के कारण शरीर के सभी अंगों/ अवयवों तक ऑक्सीजन ठीक से नहीं पहुँच पाती है और इन अंगों को क्षति (विशेषतः फेफड़ों को) पहुँचने के कारण व्यक्ति को साँस लेने में तकलीफ़ होती है। इस प्रकार यह संक्रमित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को नुकसान पहुँचता है। इस दृष्टि से प्राणायाम बहुत  उपयोगी है।  Covid-19 के इस कठिन दौर में लोगों में भय, तनाव, एंग्ज़ाइटी, डिप्रेशन आदि को देखा गया है। प्राणायाम करने से हमारी संवेदी/ परसंवेदी तंत्र यानी Sensory Nervous System और Parasensory System में संतुलन बनता है, हार्मोन्स में भी संतुलन स्थापित होता है और भावनात्मक रूप से हम संयमित बनते हैं जिससे stress/depression (तनाव/ अवसाद) दूर होते हैं। इस तरह से शरीर और मन के बीच एक सामंजस्य स्थापित हो जाता है। इससे हमारे श्वसन तंत्र (Respiratory System) को तो लाभ मिलता ही है साथ ही ब्लड सर्क्युलेशन सिस्टम (Blood Circulation System), पाचन तंत्र (Digestive System), प्रजनन तंत्र (Reproductive System), उत्सर्जन तंत्र (Emission System) आदि को भी लाभ मिलता है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि प्राणायाम करने से मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को लाभ मिलता है।

लॉक डाउन के कारण कहीं भी बाहर आने-जाने की स्वतंत्रता का छीन लिया जाना और अपने ही घरों में ही बंद रहने से लोग अकेलेपन का शिकार तो हुए ही है साथ ही लोगों की नियमित दिनचर्या में बहुत परिवर्तन हुआ है। इसके कारण उनकी मानसिक स्थिति तो नुकसान हुआ ही है साथ ही शारीरिक हलन-चलन की क्रिया कम होने के कारण वजन बढ़ने एवं कई बिमारियों के शिकार हुए है। ऐसे समय में घर पर रहकर (बिना किसी उपकरणों के) योग करना सरल है। कम जगह में सहजता से इसका अभ्यास किसी योग शिक्षक/ कोच आदि के संरक्षण में ऑनलाइन किया जा सकता है। योगासान कोई शारीरिक व्यायाम नहीं है, यह शरीर की एक अवस्था है। इसमें व्यायाम की तुलना में शक्ति (Calorie) का व्यय कम होता है। आसनों के अभ्यास से थकान नहीं लगती अपितु आराम एवं स्फूर्ति का अनुभव प्राप्त होता है। आसन के अभ्यास से हमारे Nervous system (चेतना तंत्र), Endocrine system (अन्तः स्त्रावी तंत्र) एवं Internal organs (पेट के आंतरिक अंगों) को लाभ मिलता है। इससे हमारी मांसपेशियाँ मजबूत होती है और शरीर में लचीलापन बढ़ता है। योगाभ्यास से आंतरिक अंगों/ अवयवों को मालिश मिलती है और उनकी कार्यक्षमता बढ़ाने में भी सहायता मिलती है। मन को शांति देने एवं तनाव को दूर करने के साथ यह आध्यात्मिक विकास में सहायक है। इस प्रकार योगाभ्यास केवल वर्तमान महामारी की स्थिति में ही नहीं बल्कि दैनिक जीवन में भी हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है।

इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि वर्तमान समय ऐसा समय है जिसमें मनुष्य ने जीवन में पहली बार मृत्यु को बहुत करीब से देखा है। इस विकट परिस्थिति में मनुष्य दुखी है लेकिन दुःख से ज्यादा उसे डर अथवा दहशत ने घेर रखा है । इस महामारी के कारण हम अनिश्चितता की स्थिति में जी रहे हैं। अनिश्चितता, अनियंत्रण एवं विषय की अपूर्ण जानकारी  – ये सभी तत्त्व तनाव को बढ़ाने में सहायक होते हैं। अब यदि हमें तनाव से बचना है और अपनी मानसिक स्थिति में सुधार लाना है तो उसके लिए योग का एक और अंग उपयोगी है – ध्यान (Meditation)। ध्यान की अनेक पद्धतियाँ प्रचलित है आप उनमें से किसी भी पद्धति का उपयोग कर सकते हैं। क्रियाओं एवं विचारों से मुक्ति को ध्यान कहा जा सकता है। एकाग्रता पूर्वक किसी भी एक बिंदु या लक्ष्य पर बिना किसी अवरोध के अपनी चेतना को स्थिर करना और उस लक्ष्य के सिवाय अब आपके चित्त में कुछ भी और न आने पाए, बस लम्बे समय तक इसी अवस्था में रहना ध्यान कहलाता है। यह सभी प्रकार के मानसिक कष्टों/ तनावों को दूर करने में आपकी मदद करता है। ध्यान करना सरल कार्य नहीं, यह सभी के लिए कर पाना संभव नहीं इसलिए त्राटककर्म भी एक योग षट्कर्म है जिससे मानसिक तनाव को दूर किया जा सकता है।

ध्यान की तरह त्राटककर्म में भी एक विशेष बिंदु पर एकाग्रता से देखना होता है । इसमें शांत चित्त से सीधे बैठकर एक-डेढ़ फूट की दूरी से मोमबत्ती की काले रंग की लौ की ओर एकटक देखना होता है। या यूँ कहिए की आपको अपना ध्यान उसकी ओर एकाग्र करना होता है। आपको इस लौ को तब तक देखना है जब तक की आपकी आँखें थक न जाए और उसमें से आँसू बहने लग जाए तब आप अपनी आँखें बंद कर लें। इस प्रकार यह प्रक्रिया सरल है लेकिन आपको इसे किसी त्राटक के जानकर के संरक्षण में ही अभ्यास करना चाहिए। इससे मानसिक एवं शारीरिक दोनों प्रकार के लाभ मिलते हैं। त्राटककर्म आसान, प्राणायाम, ध्यान आदि की तुलना में कम प्रचलित है, लेकिन यह बहुत ही व्यवहारिक एवं लाभप्रद है।

एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि योगाभ्यास (योग की कोई भी क्रिया) करने में सावधानी बरते और इसे किसी शिक्षक या कोच की निगरानी में ही करें वरना इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं।

अंततः हम कह सकते हैं कि आज की इस विकट परिस्थिति में योग किस तरह से हमारा साथी बन, शारीरिक-मानसिक गंभीर समस्याओं से छुटकारा पाने में हमारी सहायता कर रहा है। जीवन में सकारात्मकता का अधिक समावेश और नकारात्मकता को दूर करने के साथ आध्यात्मिक चेतना के विकास में योग की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है | वैसे तो योग अभ्यास से वैक्तिक, बौद्धिक, सामाजिक, शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से लाभ मिलता है लेकिन हम इसके शारीरिक / स्वास्थ्य संबंधी लाभ से ज्यादा परिचित है। इस मुश्किल घड़ी के अलावा भी यदि योग को हम अपने दैनिक जीवन में अपना लें तो हम बहुत-सी कठिनाइयों को सरलता से पार कर जाएँगे और बेहतर भविष्य का निर्माण करने में सक्षम होंगे।

डॉ. पूर्वा शर्मा
योग साधक
वड़ोदरा (गुजरात)

3 टिप्‍पणियां:

  1. जो काम Medicine (दवाई ) नहीं करती वो काम Meditation ( योग और ध्यान ) कर देते है । इसलिए ध्यान, योग,आसन करिए और कोरोना सहित सभी बीमारियों से बचिये । बहुत अच्छा आलेख ।

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  2. अच्छी जानकारी देता उपयोगी आलेख

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