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गुरुवार, 10 जून 2021

कविता

 

योग

डॉ. जेन्नी शबनम

जीवन जीना सरल बहुत

अगर समझ लें लोग

करें सदा मनोयोग से

हर दिन थोड़ा योग।

 

हजारों सालों की विद्या

क्यों लगती अब ढोंग

आओ करें मिलकर सभी

पुनर्जीवित ये योग।

 

साँसे कम होती नहीं

जो करते रहते योग

हमको करना था यहाँ

अपना ही सहयोग।

 

इस शतक के रोग से

क्यों जाते इतने लोग

अगर नियम से देश में

घर-घर होता योग।

 

दे गया गहरा ज्ञान भी

कोरोना का यह सोग

औषधि लेते रहते पर

संग करते हम सब योग।

 

चमत्कार ये योग बना

दूर भगा दे रोग

तन अपना मंदिर बना

पूजा अपना योग।

 

जीवन के अवलम्ब हैं

प्रकृति, ध्यान व योग

तन का मन का हो नियम

सरल साधना जोग।


डॉ. जेन्नी शबनम

शनिवार, 27 मार्च 2021

कविता / हाइकु

 


रंग

बेरंग जीवन बेनूर न हो  

कर्ज़ में माँग लाई मौसम से ढेरों रंग,  

लाल, पीले, हरे, नीले, नारंगी, बैगनी, जामुनी  

छोटी-छोटी पोटली में बड़े सलीके से लेकर आई  

और ख़ुद पर उड़ेलकर ओढ़ लिया मैंने इंद्रधनुषी रंग।   

अब चाहती हूँ  

रंगों का कर्ज़ चुकाने, मैं मौसम बन जाऊँ,  

मैं रंगों की खेती करूँ और खूब सारे रंग मुफ़्त में बाँटूँ  

उन सभी को जिनके जीवन में मेरी ही तरह रंग नहीं है,  

जिन्होंने न रोटी का रंग देखा न प्रेम का  

न ज़मीन का न आसमान का।  

चाहती हूँ  

अपने-अपने शाख से बिछुड़े, पेट की आग का रंग ढूँढते-ढूँढते  

बेरंग सपनों में जीनेवाले  

अब रंगों से होली खेलें, रंगों से ही दीवाली भी  

रंगों के सपने हों, रंगों की ही हकीक़त हो।  

रंग रंग रंग!  

कर्ज़ कर्ज़ कर्ज़!  

ओह मौसम! नहीं चुकाऊँगी उधारी  

कितना भी तगादा करो चाहे न निभाओ यारी  

तुम्हारी उधारी तबतक  

जबतक मैं मौसम न बन जाऊँ।  

******* 

फगुआ  (हाइकु) 

1. 

टेसू चन्दन 

मंद-मंद मुस्काते 

फगुआ गाते ! 

2. 

होली त्योहार 

बचपना लौटाए 

शर्त लगाए ! 

3. 

रंगों का मेला 

खोया दर्द - झमेला, 

नया सवेरा ! 

4. 

याद दिलाते 

मन के मौसम को 

रंग अबीर ! 

5. 

फगुआ बुझा, 

रास्ता अगोरे बैठा 

रंग ठिठका ! 

6. 

शूल चुभाता 

बेपरवाह रंग, 

बैरागी मन ! 

7. 

रंज औ ग़म 

रंग में नहाकर 

भूले धरम ! 

8. 

हाल न पूछा 

जाने क्या सोचा 

पावन रंग ! 

9. 

रंग बिखरा 

सिमटा न मुट्ठी में 

मन बिखरा ! 

10. 

रंग न सका 

होली का सुर्ख़ रंग 

फीका ये मन ! 

डॉ. जेन्नी शबनम
दिल्ली 


शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

पुस्तक परिचय

  


उठो, आसमान छू लें! : काव्य-संग्रह,

कवयित्री : सुदर्शन रत्नाकर,

मूल्य :220/- , पृष्ठ :110संस्करण : 2021,

प्रकाशक : अयन प्रकाशन, 1/20, महरौली, नई दिल्ली-110030 

प्रवासी मन : हाइकु-संग्रह,

हाइकुकार : डॉ. जेन्नी शबनम,

मूल्य : 240/-, पृष्ठ :120, संस्करण : 2021,

प्रकाशक : अयन प्रकाशन, 1/20, महरौली, नई दिल्ली-110030  

काँच-सा मन : हाइकु-संग्रह,

हाइकुकार : भावना सक्सैना,

मूल्य :210 /-, पृष्ठ :104, संस्करण : 2021,

प्रकाशक : अयन प्रकाशन, 1/20, महरौली, नई दिल्ली-110030  



मीलों चलना  है : काव्य-संग्रह

कवयित्री : डॉ कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’

मूल्य : 200/- , पृष्ठ :144संस्करण : 2021,

प्रकाशक :राघव पब्लिकेशंसमंगोलपुरी नई दिल्ली-110083

गद्य-तरंग( अनुशीलन)

सम्पादक: डॉ कविता भट्ट,

मूल्य :380 , पृष्ठ :184, संस्करण : 2021,

प्रकाशक : अयन प्रकाशन, 1/20, महरौली, नई दिल्ली-110030

भाव प्रकोष्ठ : हाइकु-संग्रह,

हाइकुकार : डॉ. सुरंगमा यादव,

मूल्य : 230/-, पृष्ठ :112संस्करण : 2021,

प्रकाशक : अयन प्रकाशन, 1/20, महरौली, नई दिल्ली-110030  

अगस्त 2025, अंक 62

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