रविवार, 30 नवंबर 2025

नवंबर 2025, अंक 65

 


शब्द-सृष्टि

नवंबर 2025, अंक 65

सरदार @ 150

संपादक, संकलनकर्ता एवं लेखक : प्रो. हसमुख परमार, डॉ. पूर्वा शर्मा

संपादकीय – प्रस्तुत अंक.....

1. सरदार विचार 2. सरदार पटेल के मायने और महत्त्व (मत-अभिमत)

सरदार पटेल : घर-परिवार और व्यक्तित्व

सरदार : शैक्षिक और व्यावसायिक सफ़र [विद्यार्थी से वकालत तक ]

स्वाधीनता सेनानी, समाजसेवी और राजनीतिज्ञ : सरदार वल्लभभाई पटेल

सरदार एक, चुनौतियाँ अनेक के क्रम में.....देशी रियासतों का एकीकरण: एक बड़ी चुनौती

सरदार यदि आज होते! यदि सरदार न होते! (काल्पनिक सवाल के ज़मीनी जवाब)

मणिबेन पटेल : विशेष स्मरण

दिन कुछ ख़ास है ! : राष्ट्रीय एकता दिवस

सरदार पटेल के विराट व्यक्तित्व व ऐतिहासिक अवदान को दर्शाता ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’

सरदार पटेल के जीवन संबंधी कुछ ऐतिहासिक स्थलों-क्षणों-प्रसंगों के ‘छायाचित्र’

सरदार विचार / मत-अभिमत

 

1

सरदार विचार

v सरकार के पास तो तोपें हैं, बन्दूकें हैं- और है हुकूमत, पर आपके पास सत्य का एक बल है, दुख सहने की शक्ति । अब इन दो शक्तियों का सामना है। अगर आपको यह निश्चय हो कि आपके साथ अन्याय हो रहा है तो उसका सामना करना हमारा धर्म है। जालिम से जालिम सत्ता भी उस प्रजा के सामने नहीं टिक सकती जिसमें एकता है।

v हमें अपने देश की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए उतनी ही मेहनत करनी होगी, जितनी उसे पाने के लिए की थी।

v बिना शक्ति की श्रद्धा का कोई अर्थ नहीं। किसी भी महान कार्य को पूर्ण करने में श्रद्धा और शक्ति दोनों की आवश्कता है।

v मेहनत तो मनुष्य की शोभा है, अतः जो मेहनत करता है वही उत्तम पुरुष है।

v कौमी एकता - सांप्रदायिक सद्‌भावना-सामंजस्य राम राज्य की प्रथम सीढ़ी है।

v ईश्वर एक है तथा सभी उसके हैं। धर्म, ईश्वर तक पहुँचने के अलग-अलग मार्ग हैं लेकिन सबसे श्रेष्ठ मानवता है।

v आपको अपमान सहने की कला भी आनी चाहिए ।

v गेरुए वस्त्र पहनने वाले ही साधु हैं ऐसा नहीं है। असल में जो प्रजा की सच्ची सेवा करता है वह होता है साधु।

v जो शिक्षा पद्धति जनता तथा देश को आत्मनिर्भर नहीं बनाती है उसकी पुनर्रचना होनी चाहिए।

v स्त्री की उन्नति सभी तरह की उन्नति का आधार है।

v विश्वास और दृढ़ निश्चय से बढ़कर कोई ताकत नहीं।

v सत्य को कैद करने की शक्ति किसी भी ओर्डिनन्स में नहीं है।

v कठिन समय में कायर बहाना ढूँढते हैं, बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते हैं।

v भिक्षा वृत्ति के प्रति ज्यादा उदार दृष्टिकोण पुण्य नहीं किंतु पाप है।

v आपकी भलाई आपके रास्ते में बाधा है इसलिए अपनी आँखों को गुस्से से लाल होने दें और अन्याय के सामने मजबूती से लड़ने की कोशिश करें। (विशेष संदर्भ में)

****

2

सरदार पटेल के मायने और महत्त्व 

(मत-अभिमत)

Ø  जेल में सरदार वल्लभभाई के साथ रहने का अवसर मिला, यह बड़े सौभाग्य की बात है। उनकी अद्वितीय शूरवीरता और ज्वलंत देशभक्ति का तो मुझे पता था; परंतु जिन सोलह महीनों में उनके साथ जिस तरह से रहने का सौभाग्य मुझे मिला, उस तरह से मैं उनके साथ कभी नहीं रहा था। उन्होंने मुझ पर जो हार्दिक ममता और प्रेम बरसाया, उससे तो मुझे अपनी प्यारी माँ का स्मरण हो जाता था। मैं नहीं जानता था कि उनमें ऐसे माता के गुण भी होंगे। मुझे कुछ भी होता कि वे बिस्तर से उठ बैठते । मेरी सुविधा की जरा-सी बात की भी वे खूब चिंता रखते थे...... जब भी हम राजनैतिक प्रश्नों की चर्चा करते थे, तब उन्हें सरकार की कठिनाइयों का बराबर ख्याल रहता था। बारडोली और खेडा के किसानों की वे जैसी चिंता करते थे, उसे मैं कभी भूल नहीं सकूँगा।

         सरदार पटेल के साथ यरवदा जेल [जनवरी 1932 से मई 1933] में

रहने के अपने अनुभव व प्रभाव के  संबंध में महात्मा गाँधी के कथन

 

Ø वल्लभभाई पटेल ने अपना नाम विश्व इतिहास में दर्ज करवाया है और भारत को उस दिशा में इतना सक्षम काबिल बनाया कि वह अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं ही कर सके ।

         माउण्ट बेटन

 

यही प्रसिद्ध लौह का पुरुष प्रबल

यही प्रसिद्ध शक्ति की शिला अटल

हिला इसे सका कभी न शत्रु दल,

पटेल पर, स्वदेश को गुमान है।

X X X X X

हरेक पक्ष को पटेल तोलता

हरेक भेद को पटेल खोलता

दुराव या छिपाव से उसे गरज?

सदा कठोर नग्न सत्य बोलता

पटेल हिंद की निडर जबान है।

 

         हरिवंशराय बच्चन

 

Ø पटेल के दो महत्त्वपूर्ण कार्यों ने उन्हें भारतीय इतिहास में अमर बना दिया - प्रथम बारडोली सत्याग्रह [1928] तथा द्वितीय देशी रियासतों का एकीकरण।

         विनोबा भावे

Ø यदि महात्मा गाँधी हमारी स्वतंत्रता के निर्माता है तो वल्लभभाई पटेल भारतीय संघ के विश्वकर्मा हैं।

 

         एन. बी. गाडगिल

Ø भारतीय एकता का जो भगीरथ कार्य सरदार ने सिद्ध किया, उसकी साहसगाथा इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखी जाएगी। ध्यान में रखने की महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि यह चमत्कार इटिहस की अवज्ञा करके, परंपरा के विरुद्ध, अनेक विरोधी परिस्थितियों तथा शक्तियों का सामना करके और दो  वर्ष की अल्प अवधि में सिद्ध किया गया। यह एक ऐसा महान साहसिक कार्य है, जिसका विश्व के  इतिहास में दूसरा कोई उदाहरण उपलब्ध नहीं होता।

Ø वी. शंकर

 

Ø जब कभी गाँधी जी से मिलकर लौटा तो उत्साहित-प्रेरित लेकिन उलझन में, नेहरू से मिलने पर भावनात्मक उल्लास से रोमांचित लेकिन आमतौर पर दुविधा में और असहमत, लेकिन जब कभी पटेल से मिला तो देश के भविष्य के प्रति नया विश्वास जगा । मैंने अक्सर यह सोचा कि यदि नियति पटेल को उम्र में नेहरू से छोटा करती और वह प्रधानमंत्री होते तो भारत भिन्न रास्ते चलता और देश की आर्थिक संरचना आज से कहीं बेहतर होती ।

 

         जे. आर. डी. टाटा

 

Ø सरदार का भारत आकार में [ भारत और पाकिस्तान बँटवारे के बावजूद ] समुद्रगुप्त [ ईसा से चौथी सदी], अशोका [लगभग ईसा के 250 वर्ष पूर्व ] और अकबर [सोलहवीं सदी ] के भारत से बड़ा था और केंद्र के वर्चस्व को एक ऐसा अधिकार और सम्मान प्राप्त हुआ कि जिसकी कल्पना इन महानतम भारतीय शासकों ने सपनों में भी नहीं की थी।

         हिंडोल सेनगुप्ता

 

Ø सिद्धांतों से नहीं बल्कि कर्म से हिन्दुस्तान के कुरुक्षेत्र को काबू में करने वाले सबसे पहले महात्मा - श्रीकृष्ण। दूसरे चाणक्य, जो आश्रमों में भक्ति करने करवाने के बदले भारतवर्ष का भविष्य बदलने के लिए सक्रिय रहे महर्षि । और तीसरे क्रांति पुरुष के रूप में सरदार पटेल, जो 37 वर्ष की आयु में गाँधी नाम और गाँधी विचार से प्रभावित ऋषि की तरह पूर्वाश्रम त्यागकर एक ज़माने में खुद जिस गाँधी विचार के विरोध थे उसी गाँधी विचार के लिए भारत के सिंहासन का भी त्याग करने वाले सरसेनापति !

 

         जय वसावडा

आलेख


सरदार पटेल के विराट व्यक्तित्व व ऐतिहासिक योगदान को दर्शाता

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

विश्व की सबसे ऊँची-विशालकाय प्रतिमा हमारे यहाँ यानी भारत में स्थित है।  जी हाँ! विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा – ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ नर्मदा नदी के साधु बेट टापू पर सरदार सरोवर बाँध (गुजरात) से महज 3.2 किलोमीटर की दूरी पर।‘मूर्ति’ और ‘प्रतिमा’ इन दोनों शब्दों का हम प्रयोग करते हैं, और लगभग दोनों को एकार्थी या पर्याय के रूप में हम देखते हैं। वैसे रचना-उत्पत्ति-व्युत्पत्ति-प्रयोग-प्रचलन की दृष्टि से यानी भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से इन दोनों शब्दों के अर्थ व अंतर को लेकर भी विचार किया जाता रहा है जो कि इस संदर्भ में विस्तार से बात करना यहाँ अप्रासंगिक होगा, लेकिन इतना जरूर कहेंगे कि सामान्य व्यवहार में ज्यादातर यह देखा गया है कि मूर्ति शब्द को विशेषतः किसी देवी-देवता या दिव्य अतिमानव के संदर्भ जैसे ‘मूर्ति पूजा’ शब्द का प्रयोग, जबकि  प्रतिमा सिर्फ देवी-देवता की ही नहीं अपितु किसी व्यक्ति-विशेष, मतलब भौतिक समाज व जीवन के किसी भी श्रेष्ठ व्यक्तित्व की हो सकती है। देवी-देवताओं और मनुष्यों की प्रतिमाओं में मुख्य अंतर –“देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ दिव्य शक्तियों और अलौकिक तत्त्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं जबकि महापुरुषों की प्रतिमाएँ उनके ऐतिहासिक महत्त्व, कर्मों और मानवीय गुणों को दर्शाती हैं। देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ विशेषतः पूजा के लिए होती हैं जबकि महापुरुषों की प्रतिमाएँ प्रेरणा व सम्मान का प्रतीक होती हैं।”

वैसे तो भारत में अनेक महान विभूतियों-महापुरुषों की प्रतिमाएँ कई जगहों-स्थानों पर स्थापित हैं और प्रत्येक का अपना महत्त्व भी है। इनमें से कतिपय व्यक्तित्वों (गाँधी, अंबेडकर, लोहिया प्रभृति) की प्रतिमाएँ विविध कद में, आकार में एकाधिक स्थानों पर हैं। ऐसी अनेक विभूतियों में एक और विशेष नाम है – सरदार वल्लभभाई पटेल; जिनकी अनेक प्रतिमाएँ विविध कद-आकार में विभिन्न स्थानों पर है लेकिन उनकी एक ऐसी विशिष्ट प्रतिमा जो विश्वभर में सर्वाधिक महत्त्व रखती है, वह है –‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी।’

ऊँची प्रतिमा

विराट है व्यक्तित्व

‘लौह पुरुष’।

सर्वविदित है कि भारत की अखंडता-एकता के लिए 562 रियासतों का एकीकरण के ऐतिहासिक कार्य में सरदार पटेल का योगदान अविस्मरणीय है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ अर्थात् ‘एकता की प्रतिमा’ यह नाम सरदार पटेल के इस उत्कृष्ट-ऐतिहासिक योगदान को सार्थक करता है।

182 मीटर यानी 587 फीट ऊँची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का निर्माण कार्य सरदार वल्लभभाई पटेल जी जयंती 31 अक्टूबर, 2013 को आरंभ हुआ था और पाँच वर्ष पश्चात 2018 में सरदार पटेल की 143 वीं जन्म जयंती पर विश्व की इस सबसे ऊँची प्रतिमा का अनावरण किया गया।

इस प्रतिमा के आधार सहित कुल ऊँचाई 240 मीटर है यानी आधार की ऊँचाई 58 मीटर और प्रतिमा की ऊँचाई 182 मीटर निश्चित की गई। 1700 टन की इस प्रतिमा में 85% तांबा, 5% टीन, 5% सीसा और 5% जस्ते का उपयोग किया गया। कहते हैं कि – “इस प्रतिमा को बनाने के लिए लोहा पूरे भारत के गाँव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया ….. हालाँकि शुरुआत में यह घोषणा की गई थी कि संगृहीत किये गये लोहे का उपयोग मुख्य प्रतिमा में किया जाएगा, मगर बाद में यह लोहा प्रतिमा में उपयोग नहीं हो सका और इसे परियोजना से जुड़े अन्य निर्माणों में प्रयोग किया गया।”

राष्ट्रीय गौरव, संस्कृति, प्रकृति, इतिहास, विज्ञान एवं तकनीक का अनूठा संगम है यह गंगनचुंबी ‘स्टैच्यू’।  दरअसल ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ मतलब – • सरदार पटेल का विराट व्यक्तित्व • देश को एकजुट करने के महत्त्वपूर्ण कार्य में सरदार का योगदान • भारत की अखंडता-एकता में सरदार का योगदान • एकता, देशभक्ति, समावेशी-सुशासन संबंधी सरदार के दृष्टिकोण एवं कार्य • भारत के वास्तु-शिल्प कौशल तथा इंजीनियरिंग-तकनीकी क्षमता आदि का उम्दा व सटीक प्रमाण।  

            विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा को निहारना-देखना प्रत्येक व्यक्ति विशेष के लिए एक अद्भुत अनुभव है। ‘एकता नगर’ में प्रवेश करते ही एक अलग ही ऊर्जा का संचार होने लगता है। जैसे-जैसे प्रतिमा के आधार स्थल पर बने व्यूइंग गैलरी, म्यूज़ियम और प्रदर्शनी हॉल तरफ अग्रसर होते हैं उसकी एक झलक दूर से ही दिखाई देती है और हृदय को आल्हादित कर इस स्थल पर पहुँचने की उत्सुकता को बढ़ा देती है। जैसे ही म्यूज़ियम-प्रदर्शनी हॉल में प्रवेश करते हैं सरदार पटेल (सिर्फ चेहरा) के एक आकर्षक स्कलपचर (छोटी मूर्ति) पर से नज़र हटती नहीं। म्यूज़ियम-प्रदर्शनी हॉल इस उद्देश्य से लेकर बनाया गया है कि यात्री सरदार पटेल के जीवन, भारत की स्वतंत्रता, रियासतों का विलय और देश के एकीकरण की कहानी एवं स्वतंत्र भारत के निर्माण में सरदार पटेल की भूमिका से परिचित-अवगत हो सके। सरदार पटेल के जीवन के विविध पड़ावों-परिस्थितियों के बारे में जानकारी देते ऐतिहासिक दस्तावेज़ जिनमें रियासतों के विलय से संबंधित कागज़ात, सरदार पटेल द्वारा लिखे गए पत्र, प्रशासनिक आदेश और सरकारी दस्तावेज़, बंबई प्रांत के गवर्नर एवं भारत के गृह मंत्री काल के दस्तावेज़, आज़ादी के समय की राजनीतिक बैठकों के अभिलेख शामिल हैं।

स्वतंत्रता आंदोलन की दुर्लभ तस्वीरें, सरदार पटेल और महात्मा गाँधी के साथ ऐतिहासिक क्षण, लौह पुरुष के रूप में उनकी भूमिका दर्शाती तस्वीरें, स्वतंत्र भारत की पहली कैबिनेट की तस्वीरें, रियासतों के नवाबों/राजाओं के साथ हुई बैठकों की फोटो, ग्रामीण भारत की स्थिति और सरदार पटेल के ग्राम-सुधार प्रयासों की झलकियाँ आदि पुरानी तस्वीरें-चित्र भी आम जनता के लिए रखे गए हैं।

इन पुरानी तस्वीरों के अतिरिक्त ‘खेड़ा सत्याग्रह’ एवं ‘बारडोली सत्याग्रह’ के मॉडल, सरदार पटेल के बचपन, शिक्षा तथा वकालत के दिनों का विवरण, Timeline wall( यानी जन्म से लेकर निधन तक), उनके प्रमुख भाषणों के वीडियो/ऑडियो आदि का जीवन आधारित प्रस्तुतीकरण (डिस्प्ले) बनाया गया है।

भारत एकीकरण थीम को दर्शाता 562 रियासतों का नक्शा (एकीकरण से पहले और बाद का), थ्री डी मॉडल - ‘United India Map’, राजाओं व नवाबों द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेजों  की प्रतिकृतियाँ, सरदार पटेल के ‘आयरन विल’ (Iron Will) को समझाने वाला वीडियो प्रस्तुतीकरण एवं कश्मीर, हैदराबाद, जूनागढ़ जैसे जटिल राज्यों के एकीकरण की व्याख्या को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।

सरदार सरोवर परियोजना से संबंधित बाँध का मिनी मॉडल, नर्मदा घाटी का इंटरैक्टिव मैप, बाँध के निर्माण का टाइम-लैप्स वीडियो, जल-वितरण प्रणाली (Canal Network) की जानकारी,  परियोजना में उपयोग हुई इंजीनियरिंग का प्रदर्शन भी इस हॉल में किया गया है।

‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के निर्माण से जुड़ी कई रोचक जानकारियाँ जैसे – लौह संरचना, ढाँचे और कांस्य पैनलों की जानकारी, दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा बनने की इंजीनियरिंग प्रक्रिया, पुल, एलेवेटर शाफ्ट और व्यूइंग गैलरी की तकनीकी झलकियाँ, निर्माण के दौरान की फ़ोटोग्राफ़ी और टाइम-लैप्स वीडियो के साथ-साथ ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का बड़ा थ्री डी कट-सेक्शन मॉडल भी मौजूद है।

मल्टीमीडिया-डिजिटल गैलरी के माध्यम से – ‘सरदार पटेल और आधुनिक भारत’(360° थिएटर वीडियो), ‘होलोग्राम शो’, लाइट एंड साउंड आधारित स्टोरीटेलिंग, ‘टच-स्क्रीन जानकारी पैनल’, कहीं-कहीं पर AR/VR (Augmented Reality / Virtual Reality) का अनुभव किया जा सकता है।  

राष्ट्र-निर्माण को दर्शाती –भारत की अखंडता-एकता में सरदार के योगदान की थीमेटिक दीवार, स्वतंत्र भारत की प्रारंभिक चुनौतियाँ-समाधान, अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ उनके संबंध, सरदार पटेल की प्रसिद्ध कहावतें और उद्धरण, भारतीय प्रशासनिक सेवा की स्थापना पर जानकारी आदि भी इस स्थान का हिस्सा है। 

उपर्युक्त सभी जानकारियों के अलावा सरदार पटेल द्वारा उपयोग की गई वस्तुओं की प्रतिकृतियाँ (चश्मा, कलम, धोती-कुर्ता की प्रतिकृति, ब्रीफ़केस/दस्तावेज़ फ़ाइल), उनके समर्पण का प्रतीक ‘आयरन मैन वॉकवे’ जैसी सरदार पटेल की व्यक्तिगत वस्तुओं-स्मृतियों का प्रदर्शन भी किया गया है।

इसके साथ-साथ कई तरह की ‘मॉडल एवं मूर्तियाँ’ यहाँ मौजूद हैं जिसमें – सरदार की विभिन्न कलात्मक मूर्तियाँ,  गाँवों में उनके कार्यों जैसे किसान आंदोलन आदि को प्रस्तुत करती चित्रावली, ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का 1:20/1:50 स्केल मॉडल, घाटी, बाँध और टाउनशिप के रियलिस्टिक मॉडल आदि।

म्यूज़ियम-प्रदर्शनी हॉल में उपर्युक्त सभी सामग्री संगृहीत तो है लेकिन ऑडियो-विज़ुअल, थ्री डी मैपिंग, होलोग्राफी, लाइट एण्ड साउन्ड आदि विविध तकनीकों के प्रयोग से सरदार पटेल एवं भारत के इतिहास-तथ्यों की विस्तृत जानकारी-कहानी को सुनना-देखना-अनुभव करना इसे यादगार बनाता है। 

हॉल सुनाए

रोमांच-अनुभव

एकता गाथा।

इस म्यूज़ियम-प्रदर्शनी हॉल से गुजरकर हाई-स्पीड लिफ्ट से कुछ ही मिनटों में 153 मीटर ऊँचाई पर स्थित व्यूइंग गैलरी में प्रवेश करना रोमांचित कर देता है। इतनी ऊँचाई पर खड़े होकर सरदार सरोवर बाँध, नर्मदा नदी का बहता पानी-घाटी का नज़ारा, ठंडी पुरवाई, आसपास फैली हरीतिमा, सुंदर-व्यवस्थित सड़कें और यहाँ के स्वच्छ-सुचारु-व्यवस्थित वातावरण को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि आप किसी बेहतरीन-उम्दा या कहिए ‘वर्ल्ड क्लास’ स्थान का आनंद ले रहे हैं। इस तरह के परिवेश में मन ही मन अपने देश के प्रति गर्व की अनुभूति होना स्वाभाविक है।

            इस मुख्य आकर्षण के अतिरिक्त सरदार पटेल के जीवनानुभवों को दर्शाता ‘लेज़र शो’ शाम की बेला में मंत्रमुग्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। ‘सरदार सरोवर बाँध’, ‘वैली ऑफ फ्लावर्स’ (जिसे भारत वन भी कहा जाता है), ग्लो गार्डन, जंगल सफारी-चिड़ियाघर, कैक्टस गार्डन, नौका विहार, एवं रिवर राफ्टिंग ‘एकता नगर’ के अन्य आकर्षक स्थल हैं जो आपको एक सम्पूर्ण पर्यटन स्थल का अनुभव करवाते हैं। ‘एकता नगर’ की सैर भारत के इतिहास को करीब से देखने-अनुभव करने और सरदार पटेल के योगदान को प्रस्तुत करने में सक्षम है।

विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा यानी ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ से मुलाकात, उसे देखना-निहारना एक विशेष अविस्मरणीय अनुभव है जो सरदार पटेल के जीवन, स्वतंत्रता संग्राम की गाथा, राष्ट्रीय एकता, प्राकृतिक सुषमा और बेहतरीन शिल्प-वास्तु-कला कारीगरी आदि का बेजोड़ नमूना है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’-‘एकता नगर’ का सफ़र महज एक सफ़र या यात्रा नहीं बल्कि इसके ज़रिए भारत की संस्कृति-इतिहास-राजनीति-प्रकृति-विज्ञान-टेक्नॉलजी के अद्भुत संयोग से भारत की गौरव गाथा को देखा-सुना-अनुभव किया जा सकता है। 

भारत शिल्पी

कद छुए आकाश

स्टैच्यू’ विशाल ।

दिन कुछ ख़ास है !

 

राष्ट्रीय एकता दिवस

राष्ट्रीय स्तर पर एकता और अखंडता, बंधुत्व, सर्वधर्म समभाव, अनेकता और विविधता में एकता, सामासिकता, वैचारिक व भावनात्मक संवाद, शैक्षिक-व्यावसायिक- सामाजिक -राजनीतिक- धार्मिक प्रयोजन वश प्रांत विशेष-क्षेत्रविशेष से उबरना प्रभृति ऐसी भावनाएँ-संकल्पनाएँ हैं जो किसी राष्ट्र-विशेष की जनता को अपने राष्ट्र के भीतर या राष्ट्रीय मंच पर वैचारिक व व्यावहारिक स्तर पर एकता, अखंडता, भाईचारा, समानता, सुरक्षा, राष्ट्रीयता का एहसास-अनुभव कराती हैं। ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसा वर्तमान नारा भी इसी भावना से भरा है।

‘विश्वबंधुत्व’ एवं ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना तो भारतीय संस्कृति में सदियों से चली आ रही है। हाँ! यह बात और है कि वैश्विक स्तर पर ‘भूमंडलीकरण/वैश्वीकरण’ अथवा ‘ग्लोबलाइज़ेशन’ की संकल्पना ने 1990 के आसपास ज्यादा लोकप्रियता हासिल की। जब भी हम एकता की बात करते हैं तो यह अनुभूति महज एक विचार ही नहीं बल्कि यह वह ऊर्जा है, वह सेतु है जो विभिन्न संस्कृतियों को समान दृष्टि से देखते हुए सम्मान देती है वो भी स्वयं की संस्कृति का सम्मान खोए बिना। यह तो बात हुई वैश्विक स्तर पर लेकिन जब इसे सिर्फ अपने देश-अपने राष्ट्र यानी भारतवर्ष तक ही मर्यादित करें तो हमारे देश में ‘विविधता में एकता’ का मूल मंत्र तो प्रारंभ से रचा-बसा ही हुआ है। हर क्षेत्र-प्रदेश की अपनी भौगोलिक सीमाओं के बावजूद भारत भूमि में प्रांत, प्रदेश, भाषा, वेशभूषा, रीति रिवाज, धर्म-संप्रदाय, जाति आदि को लेकर बड़ी विविधता मिलती है। भारतवर्ष में सदियों से चली आ रही इस एकता-समानता की भावना को तो हम व्यावहारिक स्तर पर भी देखते आ रहे हैं, फिर भी हम कह सकते हैं कि ब्रिटिश शासन के दौरान स्वाधीनता संग्राम तथा आजादी प्राप्ति के समय सामाजिक-सांस्कृतिक एवं  राजनीतिक स्तर पर इस राष्ट्रीय एकता का नारा और भी अधिक बुलंद हुआ।  यूँ तो पूरे भारत से, विविध प्रांत-प्रदेश से इस कार्य के लिए अग्रणियों ने बड़े प्रयास किए; गुजरात की पावन धरती पर इन अग्रणियों में – महात्मा गाँधी, सरदार पटेल, दयानंद सरस्वती तथा और भी कई नाम हैं जिन्होंने इस दिशा में अपने कदम बढ़ाए और सफलता भी प्राप्त की।

गुर्जर कोख

हर सदी में जन्में

महापुरुष ।

आजादी के बाद 562 देसी रियासतों को भारत संघ में मिलाने का भगीरथ कार्य कर सरदार पटेल ने आजाद भारत में राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूती के साथ सार्थकता व पूर्णता प्रदान की। सरदार पटेल और इनके द्वारा राजनीतिक मंच से किये गये इस महत कार्य के सदैव स्मरण एवं सम्मान हेतु उनकी जन्म तिथि 31 अक्टूबर को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में वर्ष 2014 से मनाने की शुरुआत हुई।

इस बात से हम अनभिज्ञ नहीं कि एकता में शक्ति है, एकता ही सबसे बड़ा बल है, एकता में ही बड़ी सुरक्षा है और इतना ही नहीं इसे परिवार से लेकर देश-राष्ट्र तक की विविध इकाइयों में हम अनुभव भी करते हैं; अतः एक होना, संगठित रहना, सबको साथ रखना-सबके साथ रहना की भावना के साथ, प्रत्येक क्षण-समय-दिन हम जीते हैं -आगे बढ़ते हैं लेकिन जब किसी विशेष निमित्त, किसी ख़ास दिवस को किसी विशेष विषय (राष्ट्रीय एकता) के संबंध में अधिकारिक रूप से घोषित कर दिया जाता है तब उस दिन का महत्त्व कुछ और अधिक ख़ास ही होता है और जिस संदर्भ में वो संबद्ध होता है , उस संदर्भ की महिमा हमारे विचारों-भावनाओं व व्यवहार में बढ़ी-चढ़ी होती है, जो स्वाभाविक है।

देश और दुनिया इस बात को जानती है कि स्वतंत्रता के बाद भारत के राजकीय एकीकरण में सरदार वल्लभभाई पटेल की केन्द्रीय भूमिका रही। मतलब स्वतंत्र भारत-आधुनिक भारत का एकीकरण- नवनिर्माण-राष्ट्रनिर्माण सरदार पटेल के विचारों-प्रयत्नों-कार्यों से संभव हो सका। अतः उनकी जन्म जयंती के अवसर को - इस दिवस को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में एक विशिष्ट पहचान मिली। इस दिन यानी 31 अक्टूबर को विविध संस्थानों-विशेष रूप से प्रशासनिक कार्यालयों में शपथ ली जाती है – “मैं सत्यनिष्ठा से शपथ लेता/लेती हूँ कि मैं राष्ट्र की एकता-अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए स्वयं को समर्पित करूँगा/करूँगी और अपने देशवासियों के बीच यह संदेश फैलाने का भी भरसक प्रयत्न करूँगा/करूँगी। मैं यह शपथ अपने देश की एकता की भावना से ले रहा/रही हूँ जिसे सरदार वल्लभ भाई पटेल की दूरदर्शिता एवं कार्यों द्वारा संभव बनाया जा सका। मैं अपने देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना योगदान करने का भी सत्यनिष्ठा से संकल्प करता/करती हूँ।”

राष्ट्रीय एकता दिवस के उद्देश्य को लेकर सरकार की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक –“राष्ट्रीय एकता दिवस हमारे देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए वास्तविक और संभावित खतरों का सामना करने के लिए हमारे राष्ट्र की अंतर्निहित शक्ति और लचीलेपन की पुनः पुष्टि करने का अवसर प्रदान करेगा।”

दरअसल सरकार का यह प्रयास है कि यह विशेष दिवस महज एक स्मरण दिवस न बनकर एक सक्रिय आंदोलन बन सके। इसके जरिए देश में व्याप्त विविधता के बीच एकता-अखंडता बनाए रखने का  राष्ट्रीय संकल्प हो। देश की युवा पीढ़ी को एकता-भाईचारा और देश की सुरक्षा से अवगत कराया जा सके। और देशवासी राष्ट्र निर्माण में सरदार पटेल के निःस्वार्थ योगदान, दृढ़ संकल्प और नेतृत्व का स्मरण कर उनसे प्रेरणा ले सकें।  असल में देशवासियों के बीच एक संवेदनात्मक सरोकार को मजबूत करना और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देते हुए राष्ट्र की सुरक्षा-गरिमा में वृद्धि करने के लिए नागरिकों में एक विशेष भाव-उत्साह-संकल्प को जगाना और इस राष्ट्रीय एकता में अपने योगदान के लिए प्रेरित करना इस एकता दिवस का उद्देश्य है।

            वर्ष 2025 में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ का महत्त्व कुछ ज्यादा ही विशेष है क्योंकि अब की बार 31 अक्टूबर-2025 के दिन सरदार पटेल की 150 वीं जयंती है। यही करण है कि इस वर्ष इस विशेष अवसर का आयोजन भी विशेष-भव्य है। अत: गुजरात के केवड़िया (नर्मदा जिले में) ‘एकता नगर’ जहाँ सरदार पटेल की सबसे ऊँची प्रतिमा यानी ‘स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी’ स्थित है प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ समारोह का भव्य आयोजन किया गया।

वैसे ‘सबका साथ, सबका विकास’ तथा ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के नारे को बुलंद करते हुए हर वर्ष [2014 से] की तरह इस वर्ष [2025] को भी पूरे भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस को एक बड़े उत्सव के रूप में मनाया गया, लेकिन स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर मनाए गए एकता दिवस की भव्यता कुछ विशेष ही रही –


भारत के प्रधानमंत्री की उपस्थिति, राष्ट्रीय एकता परेड – इस परेड में केन्द्र व राज्य सुरक्षा बलों की भागीदारी रही — जैसे BSF, CRPF, CISF, ITBP, SSB, NSG, NDRF प्रभृति। इसके साथ ही विभिन्न राज्यों की पुलिस इकाइयाँ (जैसे असम, त्रिपुरा, ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, जम्मू–कश्मीर, केरल आदि) और NCC के कैडेट्स भी सम्मिलित रहे।

सुरक्षा बलों के अतिरिक्त परेड में कतिपय आकर्षक जैसे – घुड़सवार इकाइयाँ (horse contingent), ऊँट गुट (camel contingent), पुलिस डॉग स्क्वाड-जिनमें भारत में पाले जाने वाले पारंपरिक कुत्ते (Mudhol Hound, Rampur Hound आदि) शामिल रहे। इतना ही नहीं अनुशासन, कौशल और सुरक्षा व्यवस्था का प्रतीक माने जाने वाले Motorcycle Daredevils (जैसे Assam Police), मार्शल आर्ट प्रदर्शन, Taekwondo का प्रदर्शन भी हुआ। सुरक्षा बलों में महिला सशक्तिकरण – विविध दलों का नेतृत्व महिलाओं द्वारा, विविध राज्यों की विविधता में एकता विषय पर आधारित विविध झाँकियाँ, उपस्थित लोगों द्वारा ‘एकता की शपथ’ आदि।

Indian Air Force (IAF) का फ्लाई-पास्ट (flypast) इस कार्यक्रम का एक और प्रमुख आकर्षण बना। ‘Run for Unity (एकता के लिए दौड़) के माध्यम से नागरिकों विशेषतः युवाओं में देश भक्ति-एकता-अखंडता एवं सामाजिक सद्भाव की भावना को जगाने-बढ़ावा देने-मजबूत करने की पहल की गई।

इस तरह अखंड भारत के सूत्रधार सरदार पटेल की जन्म जयंती ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाई जाती है – यह दिवस हम भारतवासियों को स्वतंत्रता आंदोलन व आधुनिक भारत के निर्माण तथा देसी रियासतों के एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका का स्मरण कराता है। निश्चित रूप से यह दिवस राष्ट्रीय एकता- अखंडता एवं एकजुटता का प्रतीक है। साथ में हम यह भी याद रखें कि इसी तिथि को भारत की पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी की -31 अक्टूबर पुण्यतिथि भी है। अतः इनकी पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में इस दिन को ‘राष्ट्रीय संकल्प दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है।

स्वप्न साकार!

धन्य ‘भारत शिल्पी’

अखंड देश ।


छायाचित्र

 

सरदार पटेल के जीवन संबंधी कुछ ऐतिहासिक स्थलों-क्षणों-प्रसंगों के ‘छायाचित्र’

(गूगल से साभार) 


सरदार पटेल का जन्म स्थल 
सरदार पटेल का घर 

नडियाड में विद्यार्थी वल्लभभाई
सोलह वर्ष की उम्र में

मैट्रीकुलेशन के समय 

अंग्रेजी वेशभूषा में सरदार पटेल 



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परिवार के साथ 

 सरदार पटेल (दाएँ) अपनी माता(केंद्र ) एवं भाइयों के साथ

सरदार पटेल (दाएँ) अपने भाई विठ्ठल भाई के साथ 

अपनी पुत्री मणिबेन के साथ 

अपनी पुत्री मणिबेन के साथ 

अपनी पुत्री मणिबेन के साथ 

अपनी पुत्री मणिबेन के साथ

सरदार पटेल अपने पुत्र- पुत्री एवं परिवार के अन्य सदस्यों के साथ 

सरदार पटेल अपने पुत्र- पुत्री एवं परिवार के अन्य सदस्यों के साथ

लाडबा झवेरभाई पटेल (वल्लभभाई और विठ्ठल भाई पटेल की माता)

पुत्र डाह्याभाई

स्वाधीनता सेनानी : सरदार वल्लभभाई पटेल 

खेड़ा सत्याग्रह (1918)

नागपुर झंडा सत्याग्रह  (1923)

बारडोली किसान सत्याग्रह (1928)

बारडोली किसान सत्याग्रह (1928)

राजनीतिज्ञ : सरदार वल्लभभाई पटेल 

भारत के पहले उप प्रधानमंत्री


भारत के पहले उप प्रधानमंत्री

गाँधी जी के साथ

जवाहरलाल नेहरू के साथ

गाँधी जी एवं जवाहरलाल नेहरू के साथ (1939)

गाँधी जी एवं जवाहरलाल नेहरू के साथ

राज्यपाल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, प्रधानमंत्री नेहरू और गृह मंत्री पटेल की त्रिमूर्ति, जिन्होंने  1948–1950 तक भारत पर शासन किया

गाँधी जी एवं नेता जी  के साथ 
गाँधी जी एवं मौलाना आजाद के साथ (1940)

हैदराबाद निज़ाम के साथ 

श्री सत्यनारायण सिन्हा, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, भारत के उप प्रधानमंत्री, वल्लभभाई पटेल

भावनगर के महाराजा किशनकुमार जी के साथ  

भारतीय सेना के चीफ के साथ 

विधान सभा में 

ब्रिटिश गवर्नर जनरल्स के साथ भारत में 

जवाहरलाल नेहरू, मणिबेन, ब्रिटेन की महारानी एवं गवर्नर के साथ

भारत के सभी राजा और रानियों के साथ (डिनर पार्टी में)

कैबिनेट मिशन की बैठक ताकि 16 जून1946 के विभाजन योजना की समीक्षा की जा सके। बैठक में पटेलनेहरूगवर्नर जनरल माउंटबेटन और जिन्ना शामिल हैं।

महाराणा भूपाल सिंह के साथ 

कपूरथला के महाराजा जगजीत सिंह  के साथ


संविधान निर्माण

संविधान निर्माण और सरदार पटेल

पहली यूनियन कैबिनेट
आसाम मंत्रालय का गठन (1947) 

सरदार पटेल ने 27 नवंबर1948 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया

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समाजसेवी : सरदार वल्लभभाई पटेल 

अपने भाई विठ्ठल भाई पटेल की मदद से ब्रिटिश सरकार को बाढ़ राहत प्रदान करने के लिए किया आग्रह किया।

सरदार वल्लभभाई पटेल ने उनके सम्मान में सेवा गिल्ड द्वारा दिए गए स्वागत समारोह में भाषण दिया

भाषण देते हुए 
भाषण देते हुए 


सलामी देते हुए 

सुरक्षा दल की परेड निरीक्षण

भारतीय रेलवे की यात्रा

विमान यात्रा 

अंतिम यात्रा 

अंतिम यात्रा 

अंतिम यात्रा 
























नवंबर 2025, अंक 65

  शब्द-सृष्टि नवंबर 2025, अंक 65 सरदार @ 150 संपादक, संकलनकर्ता एवं लेखक : प्रो. हसमुख परमार, डॉ. पूर्वा शर्मा संपादकीय – प्रस्तुत अंक...