योगेन
चित्तस्य पदेन वाचां, मलं शरीरस्य च
वैद्यकेन।
योऽपाकरोत्तं प्रवरं मुनीनां, पतञ्जलिं प्राञ्जलिरानतोऽस्मि।।
शब्द
सृष्टि,
जून - 2021, अंक – 11
अंतरराष्ट्रीय
योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित....
योगेन
चित्तस्य पदेन वाचां, मलं शरीरस्य च
वैद्यकेन।
योऽपाकरोत्तं प्रवरं मुनीनां, पतञ्जलिं प्राञ्जलिरानतोऽस्मि।।
शब्द
सृष्टि,
जून - 2021, अंक – 11
अंतरराष्ट्रीय
योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित....
शब्द-सृष्टि जुलाई 2025 , अंक 61 परामर्शक की कलम से.... – ‘सा विद्या या विमुक्तये’ के बहाने कुछेक नये-पुराने संदर्भ..... – प्रो. हसमुख प...