रविवार, 30 नवंबर 2025

आलेख

 

सरदार पटेल : घर-परिवार एवं व्यक्तित्व

आधुनिक भारत के इतिहास की एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना- ब्रिटिश हुकूमत से भारत की मुक्ति। इस घटना के आगे-पीछे भारतीय समाज व राजनीति तथा हमारे राष्ट्र व राष्ट्रीयता को बड़ी गहराई तथा विशाल दायरे में प्रभावित करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानियों, समाजसेवियों व राजनीतिज्ञों की सूची में एक बड़ा नाम सरदार वल्लभभाई पटेल । स्वतंत्रतापूर्व तथा स्वातंत्र्योत्तर भारत के उत्थान में सरदार पटेल की अद्वितीय भूमिका रही।

सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 ई. को गुजरात के नडियाद शहर, उनके ननिहाल में हुआ था। पिता झवेरभाई और माता का नाम लाडबा। आणंद जिले का और नडियाद से कुछ ही दूर सरदार पटेल का गाँव करमसद, जहाँ वे पले-बढ़े। सरदार पटेल का गाँव होने के कारण करमसद एक ऐतिहासिक गाँव के रूप में जाना जाता है। यहाँ सरदार पटेल का पैतृक घर है और उनकी याद में यहाँ एक भव्य स्मारक भी बनाया गया है जो देश-विदेश के प्रवासियों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। सरदार पटेल के पैतृक घर तथा स्मारक, जहाँ सरदार से जुड़ी चीजे तथा कई महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ रखें गए हैं। किसी स्थान विशेष - गाँव या शहर से किसी व्यक्ति की पहचान बने वो आम बात है किन्तु किसी व्यक्ति विशेष से किसी गाँव-शहर की पहचान-प्रसिद्धि हों वह बड़ी खास बात है। आधुनिक भारत के इतिहास में सरदार पटेल की वजह से जिन चार-पाँच जगहों की चर्चा विशेष रूप से होती है उनमें उनका गाँव करमसद और नडियाद भी है।

वल्लभभाई (दाएँ), सोमाभाईनरसिंह भाईविठ्ठलभाई, काशीभाई तथा माता  लाडबा

वल्लभभाई के भाइयों में सोमाभाई, नरसिंह भाई, विठ्ठलभाई तथा काशीभाई । सरदार की बहन डाहीबा जो पाँचों भाइ‌यों से छोटी । सरदार पटेल के पिता झवेरभाई भी एक सच्चे देशभक्त थे, जिसका एक सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि वे सन् 1857 के प्रथम गदर में शामिल हुए थे। “वल्लभभाई के पिता झवेरभाई साहसी, संयमी एवं वीर पुरुष थे। सन् 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम आंदोलन में उन्होंने अपनी युवावस्था में मातृभूमि की सेवा में अपने को अर्पित कर दिया था। कहा जाता है कि घरवालों को बिना बताए वे तीन साल लापता रहे। उन्होंने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई तथा नाना साहब घोडोपन्त  की सेना में भाग लेकर अंग्रेजों के साथ युद्ध भी किया था ।” [सरदार वल्लभभाई पटेलः व्यक्तित्व एवं विचार, डॉ. एन.सी. मेहरोत्रा, डॉ. रंजना कपूर, पृ.१०] माता लाडबा भी धर्म परायण व दृढ संकल्प वाली महिला थीं। सरदार के बड़े भाई वि‌ट्ठल भाई पटेल भी अपने समय की राजनीति से जुड़े हुए थे । बचपन से अद्‌भूत प्रतिभा व साहस के धनी सरदार पटेल की शादी सन् 1893 में झवेरबा से हुई। दो संतानें, बेटी का नाम मणिबेन और बेटा - डाह्याभाई। सरदार पटेल के ये दोनों बच्चे भी राजनीति में सक्रिय रहे।


मणिबेन
डाह्याभाई

जब सरदार की उम्र 34 वर्ष की थी तभी उनकी पत्नी झवेरबा का निधन [11जनवरी-1909] हो गया। इतनी कम उम्र में विधुर होने के बावजूद सरदार पटेल ने दूसरा विवाह नहीं किया। “यह संयोग की बात है, वल्लभभाई सहित पाँचों भाइयों की पत्नियाँ उनके तीस से चालीस वर्ष की आयु में मर गईं परंतु किसी ने दूसरा विवाह नहीं किया । सबसे छोटे भाई काशीभाई ने एक बार कहा था- ‘हम लोग विधुर कुल के नाम से जाने जाते हैं।” [ वही, पृ.15]

शैशवावस्था से ही बड़े निडर, सहिष्णु और लौहपुरुष का व्यक्तित्व रखने वाले सरदार पटेल के जीवन का एक ही ध्येय था देशसेवा और समाजसेवा। भारत की स्वतंत्रता, एकता, अखंडता, राष्ट्रनिर्माण व समाजसेवा में उनकी अहम भूमिका रही। अपनी निजी सुख-सुविधाओं से बिल्कुल विरक्त इस महापुरुष ने जीवनभर करोडों देशवासियों के ही हित की चिंता की। जीवन में सादगी, रुपयों-संपत्ति का लेशमात्र लोभ नहीं। कहते हैं कि 15 दिसम्बर, 1950 को जब सरदार पटेल का देहांत हुआ तब भारत के इस उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का बैंक बेलेन्स मात्र 216 रु था। इस महान राष्ट्रपुरुप की सेवाओं के एवज में भारत सरकार ने इन्हें वर्ष 1991 को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न [मरणोपरांत] से सम्मानित किया।

सरदार वल्लभभाई [पहला भाग] - जीवन चरित, लेखक- नरहरि द्वा. परीख, अनुवाद - रामनारायण चौधरी - प्रस्तुत पुस्तक के निवेदन’ [ले. जीवण जी डाह्याभाई देसाई] में पुस्तक की विषय वस्तु के वैविध्य के संदर्भ को लेकर सरदार पटेल के व्यक्तित्व के कतिपय गुण – “सरदार पटेल के भाषणों पर से उनके चरित्र के कुछ लक्षण उनकी शैली द्वारा प्रकट होते हैं – • अन्याय के प्रति रोष और भारत के नरम स्वभाव वाले किसानों के प्रति उनकी गहरी भावना • लोगों को संगठित करने के लिए आवश्यक व्यवस्था-शक्ति • बहुत से लोगों को साथ रखकर उनसे सोचा हुआ काम पूरा करवाने और उन्हें इकट्ठा रखने के लिए जरूरी होशियारी और प्रेम, दुखी और संकट में आ पडने वालों की मदद के लिए आवश्यक तीक्ष्ण विलक्षण बुद्धि....  • बड़े-बड़े शासन तंत्र खडे करने, उन पर काबू रखने और उन्हें सीधे रास्ते चलाने की कला आज के ज़माने में अत्यंत आवश्यक है। सरदार पटेल में यह काम सफलतापूर्वक करने की शक्ति बीज रूप में पहले से ही थी..... परंतु इन सबसे अधिक उनमें जो तत्त्वनिष्ठा, गाँधी जी के प्रति वफादारी और स्वराज की प्राप्ति के लिए लोगों को लडाई के जरिये तैयार करके ताकतवर बनाने की आकांक्षा।

संक्षेप में, देशभक्ति, तर्कशक्ति, संघर्ष, साहस, शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता, अपूर्व संगठन शक्ति, अनुशासन प्रियता, समानता-भाईचारे की भावना, निडरता, स्पष्टवादिता प्रभृति सरदार पटेल के व्यक्तित्व की, उनके स्वभाव व व्यवहार की प्रमुख विशेषताएँ थीं। स्वाधीनता आंदोलन, समाजसुधार, राजनीति, आधुनिक राष्ट्रनिर्माण-भारतनिर्माण के संबंध में सरदार पटेल के विचारों व कार्यों में उनके व्यक्तित्व की उपरोक्त तमाम  विशेषताएँ बखूबी व्यक्त होती हैं।  बेशक सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन में, सरदार वल्लभभाई पटेल के व्यक्तित्व ने भारतीय समाज के समक्ष एक बड़ा आदर्श प्रस्तुत किया है।

सरदार पटेल अपने पुत्र- पुत्री एवं परिवार के अन्य सदस्यों के साथ 



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