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सरदार विचार
v सरकार
के पास तो तोपें हैं, बन्दूकें हैं- और है हुकूमत,
पर आपके पास सत्य का एक बल है, दुख सहने की
शक्ति । अब इन दो शक्तियों का सामना है। अगर आपको यह निश्चय हो कि आपके साथ अन्याय
हो रहा है तो उसका सामना करना हमारा धर्म है। जालिम से जालिम सत्ता भी उस प्रजा के
सामने नहीं टिक सकती जिसमें एकता है।
v हमें
अपने देश की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए उतनी ही मेहनत करनी होगी,
जितनी उसे पाने के लिए की थी।
v बिना
शक्ति की श्रद्धा का कोई अर्थ नहीं। किसी भी महान कार्य को पूर्ण करने में श्रद्धा
और शक्ति दोनों की आवश्कता है।
v मेहनत
तो मनुष्य की शोभा है, अतः जो मेहनत करता है वही
उत्तम पुरुष है।
v कौमी
एकता - सांप्रदायिक सद्भावना-सामंजस्य राम राज्य की प्रथम सीढ़ी है।
v ईश्वर
एक है तथा सभी उसके हैं। धर्म, ईश्वर तक पहुँचने के अलग-अलग मार्ग हैं लेकिन सबसे
श्रेष्ठ मानवता है।
v आपको
अपमान सहने की कला भी आनी चाहिए ।
v गेरुए
वस्त्र पहनने वाले ही साधु हैं ऐसा नहीं है। असल में जो प्रजा की सच्ची सेवा करता
है वह होता है साधु।
v जो
शिक्षा पद्धति जनता तथा देश को आत्मनिर्भर नहीं बनाती है उसकी पुनर्रचना होनी
चाहिए।
v स्त्री
की उन्नति सभी तरह की उन्नति का आधार है।
v विश्वास
और दृढ़ निश्चय से बढ़कर कोई ताकत नहीं।
v सत्य
को कैद करने की शक्ति किसी भी ओर्डिनन्स में नहीं है।
v कठिन
समय में कायर बहाना ढूँढते हैं, बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते हैं।
v भिक्षा
वृत्ति के प्रति ज्यादा उदार दृष्टिकोण पुण्य नहीं किंतु पाप है।
v आपकी भलाई आपके रास्ते में बाधा है इसलिए अपनी आँखों को गुस्से से लाल होने दें और अन्याय के सामने मजबूती से लड़ने की कोशिश करें। (विशेष संदर्भ में)
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2
सरदार
पटेल के मायने और
महत्त्व
(मत-अभिमत)
Ø जेल में सरदार वल्लभभाई के साथ रहने का अवसर मिला,
यह बड़े सौभाग्य की बात है। उनकी अद्वितीय शूरवीरता और ज्वलंत
देशभक्ति का तो मुझे पता था; परंतु जिन सोलह महीनों में उनके
साथ जिस तरह से रहने का सौभाग्य मुझे मिला, उस तरह से मैं
उनके साथ कभी नहीं रहा था। उन्होंने मुझ पर जो हार्दिक ममता और प्रेम बरसाया,
उससे तो मुझे अपनी प्यारी माँ का स्मरण हो जाता था। मैं नहीं जानता
था कि उनमें ऐसे माता के गुण भी होंगे। मुझे कुछ भी होता कि वे बिस्तर से उठ बैठते
। मेरी सुविधा की जरी-सी बात की भी वे खूब चिंता रखते थे...... जब भी हम राजनैतिक
प्रश्नों की चर्चा करते थे, तब उन्हें सरकार की कठिनाइयों का
बराबर ख्याल रहता था। बारडोली और खेडा के किसानों की वे जैसी चिंता करते थे,
उसे मैं कभी भूल नहीं सकूँगा।
–
सरदार पटेल के साथ यरवदा
जेल [जनवरी 1932 से मई 1933] में
रहने
के अपने अनुभव व प्रभाव के संबंध में महात्मा
गाँधी के कथन
Ø वल्लभभाई
पटेल ने अपना नाम विश्व इतिहास में दर्ज करवाया है और भारत को उस दिशा में इतना
सक्षम काबिल बनाया कि वह अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं ही कर सके ।
–
माउण्ट बेटन
यही
प्रसिद्ध लौह का पुरुष प्रबल
यही
प्रसिद्ध शक्ति की शिला अटल
हिला
इसे सका कभी न शत्रु दल,
पटेल
पर, स्वदेश को गुमान है।
X
X X X X
हरेक
पक्ष को पटेल तोलता
हरेक
भेद को पटेल खोलता
दुराव
या छिपाव से उसे गरज?
सदा
कठोर नग्न सत्य बोलता
पटेल
हिंद की निडर जबान है।
–
हरिवंशराय बच्चन
Ø पटेल
के दो महत्त्वपूर्ण कार्यों ने उन्हें भारतीय इतिहास में अमर बना दिया - प्रथम
बारडोली सत्याग्रह [1928] तथा द्वितीय देशी
रियासतों का एकीकरण।
–
विनोबा भावे
Ø यदि
महात्मा गाँधी हमारी स्वतंत्रता के निर्माता है तो वल्लभभाई पटेल भारतीय संघ के
विश्वकर्मा हैं।
–
एन. बी. गाडगिल
Ø भारतीय
एकता का जो भगीरथ कार्य सरदार ने सिद्ध किया, उसकी साहसगाथा इतिहास में स्वर्णाक्षरों
में लिखी जाएगी। ध्यान में रखने की महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि यह चमत्कार इटिहस
की अवज्ञा करके, परंपरा के विरुद्ध, अनेक विरोधी परिस्थितियों तथा शक्तियों का सामना
करके और दो वर्ष की अल्प अवधि में सिद्ध किया
गया। यह एक ऐसा महान साहसिक कार्य है, जिसका विश्व के इतिहास में दूसरा कोई उदाहरण उपलब्ध नहीं होता।
Ø वी.
शंकर
Ø जब
कभी गाँधी जी से मिलकर लौटा तो उत्साहित-प्रेरित लेकिन उलझन में,
नेहरू से मिलने पर भावनात्मक उल्लास से रोमांचित लेकिन आमतौर पर
दुविधा में और असहमत, लेकिन जब कभी पटेल से मिला तो देश के
भविष्य के प्रति नया विश्वास जगा । मैंने अक्सर यह सोचा कि यदि नियति पटेल को उम्र
में नेहरू से छोटा करती और वह प्रधानमंत्री होते तो भारत भिन्न रास्ते चलता और देश
की आर्थिक संरचना आज से कहीं बेहतर होती ।
–
जे. आर. डी. टाटा
Ø सरदार
का भारत आकार में [ भारत और पाकिस्तान बँटवारे के बावजूद ] समुद्रगुप्त [ ईसा से
चौथी सदी], अशोका [लगभग ईसा के 250 वर्ष पूर्व ] और अकबर
[सोलहवीं सदी ] के भारत से बड़ा था और केंद्र के वर्चस्व को एक ऐसा अधिकार और
सम्मान प्राप्त हुआ कि जिसकी कल्पना इन महानतम भारतीय शासकों ने सपनों में भी नहीं
की थी।
–
हिंडोल सेनगुप्ता
Ø सिद्धांतों
से नहीं बल्कि कर्म से हिन्दुस्तान के कुरुक्षेत्र को काबू में करने वाले सबसे पहले
महात्मा - श्रीकृष्ण। दूसरे चाणक्य, जो
आश्रमों में भक्ति करने करवाने के बदले भारतवर्ष का भविष्य बदलने के लिए सक्रिय
रहे महर्षि । और तीसरे क्रांति पुरुष के रूप में सरदार पटेल, जो 37 वर्ष की आयु में गाँधी नाम और गाँधी विचार से प्रभावित ऋषि की तरह
पूर्वाश्रम त्यागकर एक ज़माने में खुद जिस गाँधी विचार के विरोध थे उसी गाँधी विचार
के लिए भारत के सिंहासन का भी त्याग करने वाले सरसेनापति !
–
जय वसावडा

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