मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

कृती व्यक्तित्व

कमाल की शख्सियत थे डॉ. कलाम

डॉ. घनश्याम बादल

15 अक्टूबर को भारतरत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती है। एक ऐसे महान व्यक्तित्व के स्वामी जिनके मन में देश और विज्ञान से प्रेम गहराइयों तक भरा था जिन्होंने जीवन को बहुत नजदीक से देखा सादगी और महानता के अद्भुत संगम ‘पेपरब्वॉय’ से ‘मिसाइलमैन’ बने कलाम देश के सर्वोच्च पद तक पहुँचे ।

बच्चों खास तौर पर छात्रों से उन्हें बहुत स्नेह था वे उनके पास जाकर सबसे ज़्यादा खुशी महसूस करते थे । इसीलिए उन्होने अपना जन्मदिन भी छात्रों को ही ‘छात्र दिवस’ के रूप में अर्पित किया।   और अंतिम सांस भी छात्र-छात्राओं के ही बीच व्याख्यान देते हुए ली । बहुत साधारण  दिखने वाले असाधारण शख्स थे  भारत रत्न डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम।

            पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक ऐसे राष्ट्रपति थे उन्होंने एक ऐसी परंपरा की शुरुआत की  महामहिम होते हुए भी उन्हें महामहिम  या हिज एक्सीलेंसी कहलवाना पसंद नहीं था । भले ही राष्ट्रपति बनने से पहले कभी राजनीति से नहीं जुड़े कलाम, मगर  सर्वोच्च पद पर आकर  राजनीति को एक नई दिशा दी।

11वें राष्ट्रपति डॉ. अवुल पाकिर जैनुल आब्दीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में हुआ,   2002 से 2007 तक इस पद पर रहे। इससे पहले  रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन तथा भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन  में लगभग चार दशकों तक वैज्ञानिक  के रूप में कार्य किया। अन्तरिक्ष कार्यक्रम तथा सैन्य मिसाइल विकास कार्यक्रम में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण  रही और भारत की पहली मिसाइल अग्नि बनाने में उनके योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें 'मिसाइल मैन ऑफ़ इन्डिया' कहा जाता है।

डॉ. कलाम एक प्रसिद्ध लेखक भी थे, उनकी लिखीं पुस्तकें काफी लोकप्रिय हैं। डॉ. कलाम द्वारा रचित प्रमुख पुस्तकों में इंडिया 2020, विंग्स ऑफ़ फायर, इग्नाइटेड माइंडस, द लुमिनस स्पार्क्स, मिशन इंडिया, इंस्पायरिंग थॉट्स, इन्डोमिटेबल स्पिरिट, टर्निंग पॉइंट्स, टारगेट 3 बिलियन, फोर्ज योर फ्यूचर, ट्रांसेंडेंस : माय स्पिरिचुअल एक्सपीरियंस विद प्रमुख स्वामीजी, एडवांटेज इंडिया : फ्रॉम चैलेंज टू अपोर्चुनिटी शामिल है।

     डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम  विद्यार्थियों के लिए एक आदर्श थे।  उनकी उपलब्धियों के कारण उनके जन्मदिन को ‘विश्व विद्यार्थी दिवस’ के रुप में मनाने की घोषणा की गई है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सभी वर्गों और जाति के छात्रों के लिए प्रेरक और मार्गदर्शक थे। एक छात्र के रूप में उनका जीवन काफी चुनौतीपूर्ण रहा। अपने जीवन में उन्होंने  कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना दृढ़ता से किया     हर तरह की बाधाओं को पार करने में सफल रहे और राष्ट्रपति जैसा  सर्वोच्च  संवैधानिक पद प्राप्त किया।

   अपने वैज्ञानिक और राजनैतिक जीवन में डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने खुद को एक शिक्षक ही माना छात्रों से मिलना और उनसे बातें करना  उन्हें प्रिय था । फिर चाहे वे किसी गाँव के छात्र हों या बड़े कालेज अथवा विश्वविद्यालय के ।

    डॉ. कलाम के जीवन से चुनौतियों व बाधाओं को पार करते हुए बड़े से बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है  उनका मानना था कि छात्र देश के भविष्य है और यदि उनकी अच्छी से देख-रेख की जाये तो वह समाज में कई सारे क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं।

    डॉ.  कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट आफ टेक्नोलाजी से सन् 1960 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।भारत के प्रथम सेटेलाइट लांच (एसएलवी 2) में प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर बने।1981 में पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किये गये। 1990 में पद्म विभूषण सम्मान व 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किये गये।

   डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम  अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल के बाद भारत ही नहीं अपितु विश्व भर के आकादमिक संस्थानो में अपने भाषणों द्वारा छात्रों को प्रेरित करने का कार्य करते रहे। छात्रों के प्रति उनका यह प्रेम इतना गहरा था कि उन्होंने अपनी आखिरी साँस भारतीय प्रबंधन संकाय में पृथ्वी को एक जीवित ग्रह बनाए रखने विषय पर भाषण देते हुए ली।

     कई  विश्वविद्यालयों से वह राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद भी जुड़े रहे। विद्यार्थी  डॉ कलाम को बहुत  ध्यान से सुनते थे।

    कलाम सच्चे मायनों में महानायक थे। जिस तरह की कठिनाइयाँ उन्होंने अपने बचपन में झेली, किसी और व्यक्ति को अपने रास्ते से डिगा सकती थी। पर डॉ अब्दुल कलाम इन सब कठिनाइयों का सामना शिक्षा के अस्त्र से किया उनके विषय में कोई चर्चा तब तक नहीं पूरी होगी जब तक उनके धर्म निरपेक्ष चरित्र की बात न की जाये, जिसका उन्होंने सदैव अपने जीवन में पालन किया। वह सच्चे धर्म निरपेक्ष थे  असाधारण होकर भी साधारण रहते थे, उनका व्यवहार सामान्य व्यक्तियों जैसा था।

    अब्दुल कलाम ऐसे शख्स थे जिन्होंने जीवन में चुनौतियों को  स्वीकार किया उन्हें परास्त करके वह सफलता के शिखर पर पहुँचे।‌ उनकी आंखों में सदैव भविष्य के भारत के  सपने तैरते थे । उनका कहना था कि सपने वे नहीं होते जो सोते हुए देखते हैं अपितु सपने तो वह होते हैं जो सोने नहीं देते ।  वह सदैव ही भविष्य के नागरिकों को ऊंचा लक्ष्य रखने का परामर्श देते थे उनका कहना था - 'सोचो तो आकाश की सोचो, अगर गिरे भी तो तारों के बीच गिरोगे" । डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के बताए रास्ते पर चलकर उनके दर्शन एवं आदर्शों को अपने जीवन में उतार कर भारत विश्व के शिखर पर पहुँचने में सक्षम है ।

सदैव शांति के पक्षधर रहे डॉ कलाम ने भारत को परमाणु शक्ति बनाने में भी अतुलनीय योगदान दिया उन्हीं के कार्यकाल में वाजपेई सरकार ने 1998 में दूसरा परमाणु विस्फोट किया जिसमें डॉ कलाम ने सक्रिय रहकर सरकार का साथ दिया । डॉ कलाम एक कमल की शख्सियत से और यह उनके व्यक्तित्व का कमाल ही था कि हिंदुत्व सोच की वाजपेई सरकार ने उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया और यह कलाम की प्रशासनिक क्षमता एवं दूर दृष्टि थी कि इस कार्यकाल में भारत ने प्रगति के नए आयाम छुए । यदि आज हम एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में विश्व के सामने हैं तो इसके पीछे डॉ कलाम की सोच एवं गहन चिंतन भी है। उनकी जयंती पर उन्हें सादर नमन।

डॉ. घनश्याम बादल

215, पुष्परचना कुंज,

गोविंद नगर पूर्वाबली

रुड़की - उत्तराखंड - 247667


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