हेमन्त ऋतु
सुरेश चौधरी
आनंद आगमन संग' अंशुमान ईशान*
है
रविप्रभा में हरित
दुकूल धारता उद्यान है
भानु का आतप अनजान
है'
शीत का भान है
अहर्ता* मृदु भान है सांध्य प्रभास* प्रतिमान है
ऋतु शीत है,
धरा' तुहिन पोषित है, संगीत है
मकरंद सरोरुह*
अर्जित है, भ्रमर गुंजित है
कलत्व*- मुदित राग
गुंजित है मदन ग्रषित है
मंजरी झूम झूम पल्लवित
है, तन
स्पंदित है
अनधीत्य* निकट कंत
है, गलबहियाँ
अनंत है
अरुणोदित
क्षितिज दिगंत है,
आया हेमंत है
रूपसी लिए रूप चहुँदिक्
पिय प्रतीक्ष्यन्त* है
पिय सी मधुर शीत
सूर्यकांति धरा पर्यंत है
हेमंत हिम हिरण्य* है, हिमांशु
हिमाद्रि हेम है
सित* शीत की' शीतता में शीत शाश्वत प्रेम है
तोषित तुषार तुहिन तट पर तरणि* तके उद्वेग
मन मोहित मुस्कान मदिर, मर्यादित मन वेग
कुछ शब्दों का अर्थ
ईशान: भगवान, अहर्ता: मीठी धूप, प्रभास: द्युति, सरोरुह: कमल,
कलत्व- संगीत, अनधीत्य: बारम्बार, प्रतिक्ष्यन्त : प्रतीक्षा का अंत,
हिरण्य : सोना, सित :सफेद, तरणि
: सूर्य
सुरेश चौधरी
एकता हिबिसकस
56
क्रिस्टोफर रोड
कोलकाता 700046
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