कलम
के सिपाही प्रेमचंद
डॉ.
ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’
वाराणसी
जनपद यूपी के
लमही
ग्राम में जन्म हुआ।
धनपत
राय उस बालक का
बचपन
में नाम प्रसिद्ध हुआ।।
सन्
अठारह सौ अस्सी था
इकत्तीस
जुलाई महीना था।
वह
शिशु सूर्य-सा तेजस्वी
साहित्य
जगत का गहना था।।
किया
स्नातक,
वे बड़े हुए
प्रेमचंद
नाम से विख्यात हुए।
‘गोदान’ ‘गबन’ के रचयिता
उपन्यास
सम्राट अमर हुए।।
ग्रामीण
संस्कृति के पोषक थे
प्रगतिशील
विचारक थे।
मजदूर
किसानों के प्रेमी
मानवता
के साधक थे।।
‘ईदगाह’ ‘कफ़न’ के प्रणेता
कहानी
पितामह कहलाए।
साहित्य
कालजयी रचकर वे
मूर्धन्य
मनीषी कहलाए।।
विविधमुखी
प्रतिभा के धनी
अमर
साहित्य में नाम उनका।
करते
याद अब भी उनको
प्रिय
प्रेमचंद नाम जिनका।।
***
डॉ.
ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’ आर. ई. एस.
पूर्व
प्रिंसिपल,
साहित्यकार
एवं समालोचक
1/258,
मस्जिदवाली गली, तेलियान मोहल्ला,
नजदीक
सदर बाजार ,सिरसा -125055(हरि.)
मुंशी प्रेमचंद जी के व्यक्तित्व का चित्रण करने वाली अभिधा शब्द शक्ति में रची गई बहुत सीधी सरल सात्विक रचना।👍🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना। बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
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