शुक्रवार, 27 जून 2025

ग़ज़ल

 



इंद्र कुमार दीक्षित

खुद पर न है भरोसा, अविश्वास सा क्यूँ है

दुनिया में हर इंसान बदहवास सा क्यूँ  है।।

 

जेहन में भरा धूल-धुआँ, ईर्ष्या-द्वेष ,डर

आँखों मेंजलन,धुंध–ए–आकाश सा क्यूँ है।।

 

अरबों खरब लुटा रहे ऐशो आराम पर

फिर नींद न आना यहाँ अभ्यास सा क्यूँ है।।

 

आबो-हवा में घुल गई है ऐसी सियासत

जो बोलते सब लग रहा बकवास सा क्यूँ है

 

इंसानियत की राह इतनी मुश्किलात क्यों

हैरान है हर शख्स ये अहसास-सा क्यूँ है।।

 


इंद्र कुमार दीक्षित

5/45 मुंसिफ कालोनी

रामनाथ - देवरिया(उत्तरी) - 274001

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