डॉ. पुष्पा रानी वर्मा
पथ के चुने बिना प्रस्थान हो रहा है
गति के बिना यहाँ अभियान हो रहा है
कल थे जहाँ रुके हम ,
हैं आज भी वहीं खडे
अंग्रेंजी बोलते हैं
जो ,
वे आम से हैं कुछ
बडे
हिन्दी के नाम पे
बस सम्मान हो रहा है
गुण को गहे बिना गुणगान हो रहा है।
बच्चों ने नहीं सीखा
हिंदी में बात करना
माँ-बाप को न भाता
हिन्दी में आगे बढ़ना
नव-अंकुरो का
पश्चिमी रूझान हो रहा है ।
उन्नयन के नाम पर ये क्या काम हो रहा है।
कृतित्व में ना
हिंदी
व्यक्तित्व में ना हिंदी
कथनी में बस बनी
माँ के भाल की बिंदी
अंग्रेजी का सुरूर
कुछ ऐसा चढ रहा है
पंखों बिना ही पंछी उड़ान भर रहा है।
सागर से माँग पानी
लौटा न पाये दानी
संशोधनों से लिख दी
एक तूफान की कहानी
नैराश्य की निशा में उजास सो रहा है।
सर के बिना कहाँ
संधान हो रहा है ।
डॉ. पुष्पा रानी वर्मा
सेवा निवृत्त उप निदेशक
हरिद्वार
शत प्रतिशत सत्य हैमै भौतिकी काशिक्षक रहा.सेवानिवृत्त प्राचार्य हूंअभी तक भौतिकी का अध्यापन 80वर्ष की आयुमे निरंतर है.अंग्रेवी के दवाब मे उन्हे न विषय का ज्ञान प्राप्त होताहै,न अंग्रेवी आती है.हिंदी मे समझाता.समझ जाते हैं.अंग्रेवी मे लिख नहीपाते.
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