ग़ज़ल
हिमकर श्याम
क्या बतायें तमाशा हुआ क्या
देखिए और होता है क्या-क्या
क्या अना, क्या वफ़ा, है हया क्या
इस अहद में भला क्या, बुरा क्या
बेनिशाँ हैं अभी मंज़िलें सब
हर क़दम देखना आबला क्या
कोस मत तू मुक़द्दर को अपने
सर पटकने से है फ़ाएदा क्या
ये नसीबों का है खेल सारा
जो मिला सो मिला अब गिला क्या
दूर तक बदहवासी के साये
दीप फिर नफ़रतों का जला क्या
हौसला रख थमेगा ये तूफ़ाँ
कर ख़ुदी पे यक़ीं नाख़ुदा क्या
हिमकर श्याम
राँची
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