शनिवार, 31 अगस्त 2024

ग़ज़ल

 


ग़ज़ल

हिमकर श्याम

 

क्या बतायें तमाशा हुआ क्या

देखिए और होता है क्या-क्या

 

क्या अनाक्या वफ़ाहै हया क्या

इस अहद में भला क्याबुरा क्या

 

बेनिशाँ हैं अभी मंज़िलें सब 

हर क़दम देखना आबला क्या

 

कोस मत तू मुक़द्दर को अपने

सर पटकने से है फ़ाएदा क्या

 

ये नसीबों का है खेल सारा

जो मिला सो मिला अब गिला क्या

 

दूर तक बदहवासी के साये

दीप फिर नफ़रतों का जला क्या 

 

हौसला रख थमेगा ये तूफ़ाँ 

कर ख़ुदी पे यक़ीं नाख़ुदा क्या

 



हिमकर श्याम

राँची

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