डॉ.
योगेन्द्रनाथ मिश्र
1
‘त्रिमासिक’
या ‘त्रैमासिक’
एक सवाल आया
था कि ‘त्रिमासिक’ शब्द सही या ‘त्रैमासिक’ शब्द सही है?
जवाब -
दोनों सही
हैं।
1. त्रिमास
(त्रि+मास) के साथ इक प्रत्यय जोड़ने से त्रैमासिक बनेगा।
2. मास
के साथ इक प्रत्यय लगाने पर मासिक बनेगा। फिर उसके साथ द्वि, त्रि, षट् जोड़कर द्विमासिक, त्रिमासिक,
षण्मासिक जैसे शब्द बनेंगे।
इसलिए दोनों
सही हैं।
2
हिंदी में एक
शब्द-प्रयोग होता है सफेद झूठ, जो अंग्रेजी के 'ह्वाइट लाई' का अनुवाद है।
किंतु दोनों
के प्रयोग में और अर्थ में कोई समानता नहीं है।
सफेद झूठ का
अर्थ है सरासर झूठ। सफेद झूठ बद-इरादे से बोला जाता है। किसी को नुकसान पहुँचाने
के लिए बोला जाता है। कोई स्वार्थ सिद्ध करने के लिए बोला जाता है,
जबकि ह्वाइट लाई के साथ ऐसा नहीं है। अंग्रेजी में ह्वाइट लाई का
मतलब होता है निर्दोष झूठ। ऐसा झूठ जो किसी को नुकसान पहुँचाने के लिए नहीं बोला
जाता। ऐसा झूठ जो सिर्फ मनोरंजन या मनोविनोद के लिए बोला जाता है।
कभी-कभी
सच्चाई से आहत होने से किसी को बचाने के लिए जो झूठ बोला जाता है,
उसे भी ह्वाइट लाई कहते
हैं।
3
हल्
तथा हलंत
ये दोनों
शब्द संस्कृत व्याकरण के हैं।
इनके प्रयोग
में हिंदी में लोग गलती करते हैं। हल् शब्द की जगह हलंत शब्द का प्रयोग करते हैं।
इस बात को
समझने के लिए देवनागरी वर्णों के बारे में थोड़ा जानना जरूरी होगा।
वर्ण दो
प्रकार के होते हैं -
१. अनाक्षरिक
तथा २. आक्षरिक।
अनाक्षरिक
वर्ण सिर्फ स्वर या सिर्फ व्यंजन होते हैं।
आक्षरिक वर्ण
स्वर तथा व्यंजन+स्वर युक्त होते हैं।
रोमन लिपि के
वर्ण अनाक्षरिक वर्ण हैं। रोमन का कोई भी वर्ण सिर्फ स्वर या सिर्फ व्यंजन होता
है। यानी रोमन के व्यंजन वर्ण सिर्फ़ व्यंजन होते हैं।
देवनागरी
लिपि के वर्ण आक्षरिक वर्ण हैं। देवनागरी के व्यंजन वर्ण स्वर युक्त होते हैं।
उनमें अ स्वर अंतर्निहित होता है। जैसे -
क=क्+अ (यानी
व्यंजन+स्वर। यह हम सभी जानते हैं)
लेकिन
अंग्रेजी का K सिर्फ व्यंजन है। अर्थात् -
K = क्
(क नहीं)
इसी लिए -
कमल = kml
नहीं हो सकता। रोमनाइज्ड करते समय रोमन के हर व्यंजन वर्ण के साथ एक
स्वर वर्ण लगाना पड़ता है।
देवनागरी के
क,
ख, ग … आदि व्यंजन वर्ण स्वर (अ) युक्त हैं
तथा क्, ख्, ग् … आदि शुद्ध व्यंजन
वर्ण हैं।
इन शुद्ध
व्यंजन वर्णों को संस्कृत व्याकरण में ‘हल्’ कहा जाता है।
यानी कि हल्
का अर्थ है शुद्ध (सिर्फ) व्यंजन। शुद्ध व्यंजन लिखने के लिए सामान्य व्यंजन वर्ण
के नीचे जो तिरछी लकीर (्) लगाई जाती है, उसका
नाम हल् है।
और जिस शब्द
के अंत में हल् (्) लगा होता है, उसे हलंत शब्द
कहा जाता है।
संस्कृत की
संरचना ऐसी है कि उसमें हलंत शब्द होते हैं। लेकिन हिंदी की संरचना हलंत शब्दों
वाली नहीं है। फिर भी संस्कृत के कुछ हलंत शब्द हिंदी में चलते हैं।
निष्कर्ष यह
कि
१. हिंदी में
हल् उस तिरछी रेखा (्) को कहते हैं, जो
शुद्ध व्यंजन लिखने के लिए लगाई जाती है।
२. हलंत उस
शब्द को कहते हैं, जिसके अंत में हल्
(्) चिह्न लगा होता है।
डॉ.
योगेन्द्रनाथ मिश्र
40,
साईं पार्क सोसाइटी
बाकरोल
– 388315
जिला-
आणंद (गुजरात)
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