रविवार, 29 अक्टूबर 2023

चौपई छंद

 



राम उठाओ फिर कोदण्ड !

ज्योत्स्ना शर्मा ‘प्रदीप’

रघुकुल के अरुणिम आदित्य।

नमन करें नभ, भू ,जल, नित्य।।

 

देह-नेह है ललित, ललाम।

रघुवंशी  को  सदा प्रणाम।।

 

राम दया के तुम हो कोष।

पावनसरलसदा निर्दोष।।

 

सदा   निभाई  रघुकुल रीत।

अनुपम सुत ,भाई,पति,मीत।।

 

राम जैसा  कोई भूप।

न्याय सदा ही विरल, अनूप।।

 

परम पुरुष पावन रघुवीर।

कमल नैन में करुणा-नीर।।

 

मर्यादा,  शक्ति एक  साथ।

रामचंद्र अद्भुत, जग-नाथ।।

 

कितने प्यारे हैं श्रीराम।

किए जगत में पावन काम।।

 

रावण का करके  संहार।

वसुधा से उतरा था भार।।

 

भू  पर हैं फिर असुर अनेक।

काज करो फिर से वो एक।।

 

हर  पापी  को दे  दो  दंड।

राम उठाओ फिर कोदण्ड!!


 

ज्योत्स्ना शर्मा 'प्रदीप'

देहरादून

2 टिप्‍पणियां:

अक्टूबर 2025, अंक 64

  शब्द-सृष्टि अक्टूबर 2025, अंक 64 शब्दसृष्टि का 64 वाँ अंक : प्रकाशपर्व की मंगलकामनाओं सहित.....– प्रो. हसमुख परमार आलेख – दीपपर्व – डॉ...