रविवार, 29 अक्तूबर 2023

भजन

 



नैनन नीर बरसत है, तड़पत  मन दिन रैन

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सुरेश चौधरी

 

नैनन नीर बरसत है, तड़पत  मन दिन रैन

श्याम प्रीत में बावरी, किस विध पाऊँ चैन

 

शरद  निशा  में  खिले  चाँद में, मनमोहन छवि भाई

मैं   पुजारन प्रेम  मंदिर  की  पूजा  थाल  भर  लाई

मनहर  ने ऐसी  बंशी  बजाइ  सुधबुध  खो  आई

मैं  बावरी  ब्रज  ग्वालन  सकल लोक लाज ठुकराई

 

तान  सुरीली  सुना  नटखट ने तन मन दिया भिगोय

सोच  सोच  ये  बावरा  हिया  सुध  बुध  दिया खोय

मोर  मुकुट  सर  कानन  कुंडल  पीताम्बर तन  सोहे

बिम्बफल  अधर  मतवाले  नयन घायल'  करे  मोहे

 

क्या रंग क्या आभा मुखपर क्या चितवन नशीली हैं

तेरी हर अदा निराली है' हर  बात  रंगीली  है

है बांका तू बांकी  अदा हरकत बांकी तुम्हारी

चले भी  टेढ़ा मेढ़ा  वो  साजन  बांके   बिहारी

 

कटि करधनी हाथों बंसुरी मोरा मोर मुकुट धारी

'इंदु' हृदय झूमे है देख छटा मोहन की प्यारी

हे गोविन्द हे गोपाल हे मुरली धर कन्हाई

प्रेम पाश में जकड़ रक्खो मुझे गोविंद दुहाई

 

 


सुरेश चौधरी

एकता हिबिसकस

56 क्रिस्टोफर रोड

कोलकाता 700046

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