बुधवार, 26 जुलाई 2023

कविता

 


गुरु!

डॉ. पूर्वा शर्मा

 

गुरु!

एक अद्भुत शब्द

जीवन बदल देने वाला शब्द

गुरु!

कई बार साथ ही चलते हैं

हाथ पकड़कर

गुरु!

तो कभी हो जाते हैं अंतर्ध्यान

मार्गदर्शन देकर

गुरु!

साथ चले

न चले

फिर भी पग-पग पर साथ देते हैं

गुरु!

प्रतिदिन की सफलता में

अपार योगदान देते हैं

गुरु!

कुछ बोलो

न बोलो

फिर भी मन की बात भाँप लेते हैं

गुरु!

और बाँध लेते हैं

अनदेखे-अटूट धागे से

गुरु!

कोई विशेष दिन हो

न हो

फिर भी नमन करे मन आपको ही

गुरु!

अपने आशीर्वाद से

कीजिएगा सदा अनुग्रहित

गुरु!

आपको वंदन है

परम आदरणीय

गुरु!

 


डॉ. पूर्वा शर्मा

वड़ोदरा

 

5 टिप्‍पणियां:

  1. गुरु बिन ज्ञान कहाँ से पाऊँ
    दीजो ज्ञान हरि गुण गाऊँ
    गुरु बिना सब अधूरा रहता है
    सभी गुरुओं को नमन
    गुरु को समर्पित बहुत अच्छी रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  2. गुरू के प्रति अपार श्रद्धा दर्शाती सुंदर कविता। बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

    जवाब देंहटाएं
  3. गुरुदेव की महिमा बहुत सुंदर शब्दों में की आपने | गुरु है ज्ञान की खान

    जवाब देंहटाएं

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