बुधवार, 18 जनवरी 2023

कविता

 



नये साल की शुभकामनाएँ

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

 

नये साल की शुभकामनाएँ !

खेतों की मेड़ों पर धूल भरे पाँव को

कुहरे में लिपटे उस छोटे से गाँव को

नये साल की शुभकामनाएँ !


जाँते के गीतों को बैलों की चाल को

करघे को कोल्हू को मछुओं के जाल को

नये साल की शुभकामनाएँ !

 

इस पकती रोटी को बच्चों के शोर को

चौके की गुनगुन को चूल्हे की भोर को

नये साल की शुभकामनाएँ !

 

वीराने जंगल को तारों को रात को

ठंडी दो बंदूकों में घर की बात को

नये साल की शुभकामनाएँ !

 

इस चलती आँधी में हर बिखरे बाल को

सिगरेट की लाशों पर फूलों से ख़याल को

नये साल की शुभकामनाएँ !

 

कोट के गुलाब और जूड़े के फूल को

हर नन्ही याद को हर छोटी भूल को

नये साल की शुभकामनाएँ !

 

उनको जिनने चुन-चुनकर ग्रीटिंग कार्ड लिखे

उनको जो अपने गमले में चुपचाप दिखे

----------

 


सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

1 टिप्पणी:

अप्रैल 2024, अंक 46

  शब्द-सृष्टि अप्रैल 202 4, अंक 46 आपके समक्ष कुछ नयेपन के साथ... खण्ड -1 अंबेडकर जयंती के अवसर पर विशेष....... विचार बिंदु – डॉ. अंबेडक...