शनिवार, 31 दिसंबर 2022

कविता

 


कविता

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

मेरे और तुम्हारे किस्से

कितने प्यारे-प्यारे किस्से ।।

 

दिल को दिल की  बात सुनाते

भावों के हरकारे किस्से ।।

 

जिसने दिल से सुनकर समझे

मैंने उसपर वारे किस्से ।।

 

झिलमिल-झिलमिल दमक उठे ,जो-

तुमने तनिक सँवारे किस्से।।

 

तुम छू लो तो हो जाएँगे

सूरज , चाँद, सितारे किस्से ।।

 


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

वापी (गुजरात)

4 टिप्‍पणियां:

अक्टूबर 2025, अंक 64

  शब्द-सृष्टि अक्टूबर 2025, अंक 64 शब्दसृष्टि का 64 वाँ अंक : प्रकाशपर्व की मंगलकामनाओं सहित.....– प्रो. हसमुख परमार आलेख – दीपपर्व – डॉ...