रविवार, 12 सितंबर 2021

कविता

 


हिन्दी दिवस

डॉ. पूर्वा शर्मा

 

रग-रग में जो रची बसी हो

जिससे ही पहचान बनी हो।

 

मेरे दिल की धड़कन में वो

भावों की आवाज़ बनी वो।

 

साँसें गाती हैं बस यही लय

पूरा जीवन है हिन्दीमय।

 

कैसे एक दिन दे दूँ मैं बधाई

यह बात मुझे तो रास न आई।

 

प्रतिदिन मनाती हूँ यह दिवस

मेरा तो हर दिन ‘हिन्दी दिवस’ ।।

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शिक्षक दिवस

 

संपूर्ण ज्ञान का अखंड भंडार वो

हाथ बढ़ाएँ सदैव तत्पर खड़े वो।

 

पग-पग आगे बढ़ना सिखाएँ वो

गिरने पर संभलना सिखाएँ वो।

 

मुश्किलों से लड़ना सिखाएँ वो

जीवन को सँवारना सिखाएँ वो।

 

सफलता का मंत्र सिखाएँ वो

हार में भी हौंसला बँधाएँ वो।

 

घोर अंधकार में प्रकाश पुंज जलाएँ वो

ज्योतिमय जीवन का ज्ञान मंत्र सिखाएँ वो।

 

अब कैसे उनका यह ऋण चुकाएँ हम

बस नतमस्तक हो उनका वंदन करें हम।

 

वो हमारे शिक्षक है, सौभाग्यशाली हम

हर जीवन उनके  ही शिष्य बनना चाहे हम।।




डॉ. पूर्वा शर्मा

वड़ोदरा 


 

5 टिप्‍पणियां:

  1. Lines about teachers day is really impressive and covers probably all the emotions and gratitude that we may have for our teachers and mentors

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  2. हिंदी दिवस और शिक्षक दिवस पर सार्थक कविता के लिए पूर्वा को बधाई और आशीर्वाद ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर,भावपूर्ण कविताएँ!
    एक और सुंदर सफल अंक के प्रकाश हेतु बधाई पूर्वा जी। मेरी रचनाओं को पत्रिका में स्थान देने के लिए ह्रदय से आभार!!

    जवाब देंहटाएं
  4. दोनों रचनाएँ सुंदर और भावपूर्ण हैं ,पूर्व जी बधाई
    पुष्पा मेहरा

    जवाब देंहटाएं

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