रविवार, 25 अप्रैल 2021

मुक्तक



1.     

कभी न खुल सकेगा

ये बरसों पुराना

‘लॉक डाउन’.....

मेरे दिल की इस तिजोरी में

हिफ़ाजत से रखा तुम्हारा दिल 

2.     

बहुत पढ़ा है पल-पल तुझे

अब ज़बानी याद हो तुम मुझे ।

3.     

कल ख़्वाबों में देखा तुमको

तबसे बड़ी ख़ुमारी है हमको 

4.     

बिन कहे ही समझ लेते हो हरेक बात

इसे प्यार कहूँ या जन्मों-जनम का साथ 

5.      

वक्त के साथ

ख़्वाहिशें बदलीऔर ख़्वाब भी,

नहीं बदली तो बस

तेरी चाहत.......

6.     

आजकल गुनगुनाने लगी है खामोशियाँ

रास आने लगी है मोहोब्बत-खुमारियाँ 

7.     

मजबूरी है ऐसी

अब आँखों के सामने नहीं तुम

रूह में यूँ बसे हो ....

नज़रों से एक पल भी ओझिल नहीं तुम 

8.     

चहुँ ओर फैली

बासंती मादक गंध

प्रिय है दूर !

फिर क्यों आए ऋतुपति

मेरे द्वारे तुम ?

9   

डूबे रहते हैं

तेरे ही ख़्यालों में अक्सर

शुक्र है... हमने तैरना नहीं सीखा अब तक 

          10          

तुम मेरे ही हो....

जीवन की इस कहानी में

बस जुदाई के पल कुछ ज्यादा है

इस जिंदगानी में ।

       11         

आज एक और सुबह मुस्कुराई

तुमने थामा हाथ तो

ज़िंदगी खिलखिलाई 

      12           

महक उठी है आज फिर से गली

लगता है गुज़रा उनका कारवाँ यहीं से अभी ।

डॉ. पूर्वा शर्मा


6 टिप्‍पणियां:

  1. चहुँ ओर फैली

    बासंती मादक गंध

    प्रिय है दूर !

    फिर क्यों आए ऋतुपति

    मेरे द्वारे तुम ?

    9 बहुत सुंदर मुक्तक बधाई पूर्वा जी

    जवाब देंहटाएं
  2. पूरे एक दर्जन मुक्तक । सभी अद्भुत । प्रेम,स्नेह और ऋतु को समर्पित । संग्रहणीय मुक्तक । बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  3. डूबे रहते हैं
    तेरे ही ख्यालों में....
    बहुत सुंदर! बधाई पूर्वा जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छे मुक्तक के लिए बधाई।
    आज एक और सुबह मुस्काई... , सुंदर है।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर, भावपूर्ण प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं

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