1.
कभी न खुल सकेगा
ये बरसों पुराना
‘लॉक डाउन’.....
मेरे दिल की इस तिजोरी में
हिफ़ाजत से रखा तुम्हारा दिल ।
2.
बहुत पढ़ा है पल-पल तुझे
अब ज़बानी याद हो तुम मुझे ।
3.
कल ख़्वाबों में देखा तुमको
तबसे बड़ी ख़ुमारी है हमको ।
4.
बिन कहे ही समझ लेते हो हरेक बात
इसे प्यार कहूँ या जन्मों-जनम का साथ ।
5.
वक्त के साथ
ख़्वाहिशें बदलीऔर ख़्वाब भी,
नहीं बदली तो बस
तेरी चाहत.......
6.
आजकल गुनगुनाने लगी है खामोशियाँ
रास आने लगी है मोहोब्बत-खुमारियाँ ।
7.
मजबूरी है ऐसी
अब आँखों के सामने नहीं तुम
रूह में यूँ बसे हो ....
नज़रों से एक पल भी ओझिल नहीं तुम
।
8.
चहुँ ओर फैली
बासंती मादक गंध
प्रिय है दूर !
फिर क्यों आए ऋतुपति
मेरे द्वारे तुम ?
9
डूबे रहते हैं
तेरे ही ख़्यालों में अक्सर
शुक्र है... हमने तैरना नहीं सीखा अब
तक
।
10
तुम मेरे ही हो....
जीवन की इस कहानी में
बस जुदाई के पल कुछ ज्यादा है
इस जिंदगानी में ।
11
आज एक और सुबह मुस्कुराई
तुमने थामा हाथ तो
ज़िंदगी खिलखिलाई ।
12
महक उठी है आज फिर से गली
लगता है गुज़रा उनका कारवाँ यहीं से
अभी ।
चहुँ ओर फैली
जवाब देंहटाएंबासंती मादक गंध
प्रिय है दूर !
फिर क्यों आए ऋतुपति
मेरे द्वारे तुम ?
9 बहुत सुंदर मुक्तक बधाई पूर्वा जी
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंपूरे एक दर्जन मुक्तक । सभी अद्भुत । प्रेम,स्नेह और ऋतु को समर्पित । संग्रहणीय मुक्तक । बधाई ।
जवाब देंहटाएंडूबे रहते हैं
जवाब देंहटाएंतेरे ही ख्यालों में....
बहुत सुंदर! बधाई पूर्वा जी।
अच्छे मुक्तक के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंआज एक और सुबह मुस्काई... , सुंदर है।
सुन्दर, भावपूर्ण प्रस्तुति।
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