हाइकु
खिली
बगिया
संभाली
थीं उसने
नन्हीं
कलियाँ !
मन
में शोर
भागी
है उठकर
नैनों
से नींद ।
ऊषा
मगन
ले
मोतियों के हार
करे
शृंगार !
थामो
कमान
तरकश
से तीर
स्वयं
न चलें ।
काव्य-कुसुम
प्रेम
की सुगंध में
भीगे-से
शब्द !
उड़ी
पतंग
नाच
रही नभ में
डोर
बँधी है ।
भरें
उमंग
खिल
उठें मन में
खुशी
के रंग ।
फिक्र
में जागे
नयनों
में सपने
नहीं
सजते ।
दिया
उसने
बाहों
में भरकर
सारा
आकाश ।
डॉ.
ज्योत्स्ना शर्मा
थामो कमान
जवाब देंहटाएंतरकश से तीर
स्वयं न चलें ।
सभी हाइकु बहुत सुंदर हैं।
हार्दिक आभार आपका 🙏
हटाएंसुंदर हाइकु- बधाई।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आपका 🙏
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