मंगलवार, 30 मई 2023

हाइकु

 



गुज’-गौरव

डॉ. पूर्वा शर्मा

 

1

कला संस्कृति

है अद्भुत संगम

गुर्जर भूमि ।

2

सुन गुहार

नरसैंयो’ के द्वार

आए थे श्याम ।

(‘नरसैंयो’ – गुजरात के भक्त कवि - नरसी मेहता)

3

गुर्जर कोख

हर सदी में जन्में

महापुरुष ।

4   

झूम के कहे

गरबा औ’ भवाई

गुज’-गौरव ।

5

हमले कई

सोम’-शिव अडिग

ध्वस्त न हुए ।

6

भारत शिल्पी

कद छुए आकाश

स्टैच्यू’ विशाल ।

7

नल’ में गूँजे 

माइग्रेट’ का स्वर  

शीत सौन्दर्य ।

(‘नल’ – ‘नल सरोवर’ में शीत ऋतु में कई विदेशी पक्षी आते हैं)

8

कहीं कपास,

फैली कहीं रण की

श्वेत चादर ।



 

डॉ. पूर्वा शर्मा

वड़ोदरा

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी हायकू । वाह पूर्वा, आशीर्वाद ।

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  2. गुज शब्द पहली बार पढ़ा, सम्भवतः यह गुजरात के लिए प्रयुक्त है।गुर्जर एक जाति है ...हाइकु सुंदर हैं।

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  3. गुजरात की मिट्टी की ख़ुशबू लिए सुंदर हाइकु। हार्दिक बधाई सुदर्शन रत्नाकर

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