शुक्रवार, 4 मार्च 2022

हाइकु

 



ये प्यारे गुलदस्ते

ज्योत्स्ना शर्मा प्रदीप

 

1

पलाश-वन

पद्मिनी का हो मानो

जौहर-यज्ञ ।

2

तुम्हारी होली !

शहीद हुए देखो

पलाश-पुष्प ।

3

गिरधर का

मुकुट-धरोहर

गुलमोहर ।

4

मधु मालती

साजन के  बिन ये

हिया सालती।

5

बड़ा बेज़ार

रो रहा था सुबह

हरसिंगार ।

6

ओ पारिजात

क्या घटा कल रात

सुबह झरा !

7

ये स्वर्ग-पुष्प

सुने राग-बहार

मधुमक्खी का ।

8

लाल-पीले हैं

जन्म से ही क्रोधित

पलाश –पुष्प ।

9

भू के प्रेम में

लुटाता मधुमास

अमलतास ।

10

पलाश-पुष्प

मानो नव-वधुएँ

सभा में साथ।

11

सुगंध धारा

खिलता है ग़ुलाब

काँटों की कारा।

12

गेंदा है नेक

जयमाल से करे

दो मन एक ।

13

जलज लेटा

झील,ताल आँचल

लाड़ला बेटा।

14

श्वेत नलिन

नीली झील में हँसे

तारकगण।

15

जाने कब से

और किससे जले

पलाश–प्रेमी ।

16

खिले पंक में

शुभ-से शतदल

नहीं विकल।

17

सरोवर का

बढ़ा रहे  हैं ओज

प्यारे सरोज।

18

निशिगंधा के

ये प्यारे गुलदस्ते

खूब हँसते।

 


ज्योत्स्ना शर्मा प्रदीप

देहरादून

3 टिप्‍पणियां:

  1. ज्योत्स्ना जी के मौसमी हाइकु बहुत सुन्दर ।बधाई ।

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  2. पलाश-पुष्प
    मानो नव-वधुएँ
    सभा में साथ।
    ....वाह,बहुत सुंदर बिम्ब।सभी हाइकु सुंदर।बधाई ज्योत्स्ना जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. पुष्प के नाम से जोड़कर की गई हायकू रचना, ह्रदय मे हलचल मचाने वाली ।

    जवाब देंहटाएं

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