गणतंत्र
दिवस
अनिता
मंडा
देश
नागरिकों से बनता है। प्रत्येक नागरिक को अपने देश पर गर्व होता है। हर इंसान का
यह नैतिक दायित्व है कि वह अपने देश के बारे में जानकारी रखे। विद्यार्थी काल में
विद्यालयों में राष्ट्रीय पर्वों का आयोजन होता रहता है जिससे हम आजादी के
संघर्षों के बारे में जानते हैं व देश से जुड़ते हैं। धीरे-धीरे ये बातें इतनी
औपचारिक हो जाती हैं कि कई बार भाषणों में नेता लोग भी इनके बारे में ग़लत सूचनाएँ
बोल जाते हैं।
वैसे
तो आज संचार माध्यमों का बोलबाला है और गूगल, विकिपीडिया
पर बहुत सारी जानकारी उपलब्ध है, फिर भी गणतंत्र दिवस के
बारे में जानने, पढ़ने, लिखने में हमारी
रुचि होनी चाहिए।
गणतंत्र
का अर्थ है गण( सामान्य व्यक्ति या सामान्य नागरिक) का तंत्र। रिपब्लिक शब्द लेटिन
भाषा के शब्द 'रेस पब्लिका' से लिया गया है जिसका अर्थ है 'जनता के मामले'। भारतीय संविधान में गणतंत्र के आदर्श स्वतन्त्रता, समानता और बंधुत्व फ्रांस के संविधान से लिये गये हैं।
लगभग
60 देशों के संविधानों का अध्ययन कर कड़ी मेहनत से संविधान बनाने का कार्य
सम्पन्न हुआ।
15 अगस्त 1947 से पहले भारत ब्रिटेन का उपनिवेश था
इसलिए देश के आंतरिक व बाहरी मामलों में पूर्णतया ब्रिटेन का नियंत्रण था। 15 अगस्त को भारतीय स्वाधीनता एक्ट लागू हुआ व देश ने स्वतंत्रता की साँस
ली।
दिसंबर
1946 में संविधान बनना शुरू हुआ। लगभग
तीन वर्षों के कठोर परिश्रम से 26 नवंबर 1949 को हमारा संविधान पूर्ण हुआ। संविधान सभा के एक महत्वपूर्ण सदस्य नेहरू
जी थे, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद इसके सभापति थे। प्रारूप समिति
के अध्यक्ष डॉ. अम्बेडकर थे।
संविधान के अनुच्छेद 394 में लिखा था कि 26 जनवरी 1950 को लागू किया जाएगा। इस तारीख़ का चुनाव करने का कारण इसका ऐतिहासिक महत्व था। 31 दिसम्बर 1929 को कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन (नेहरू जी की अध्यक्षता) में 'पूर्ण स्वराज्य' का संकल्प लिया गया व तिरंगा फहराया गया था। लाहौर अधिवेशन में संकल्प लिया कि 26 जनवरी तक संपूर्ण स्वराज ले लिया जाएगा । इस कारण इसी तारीख को संविधान लागू करने के लिए चुना। संविधान लागू होने के बाद भारत का राष्ट्रपति देश का सर्वप्रमुख बना।
गणतंत्र
दिवस समारोह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।
राष्ट्र गान गाया जाता है। इस अवसर पर हर साल राजधानी दिल्ली में राजपथ पर एक भव्य
परेड इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक आयोजित की जाती है। 'अमर जवान ज्योति' पर पुष्पमाला अर्पित कर शहीदों की
याद में दो मिनट का मौन रखाजाता है। यह पर्व हमारी राष्ट्रीय एकता को बढ़ाता है।
आर्मी परेड के बाद देश के सभी राज्यों द्वारा झाँकियों के माध्यम से अपने संस्कृति
और परंपरा की प्रस्तुति की जाती है। इसके बाद, भारतीय वायु
सेना द्वारा हमारे राष्ट्रीय झंडे के रंगों (केसरिया, सफेद,
और हरा) की तरह आसमान से फूलों की बारिश की जाती है। इस दिन भारत
अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन कर यह बताता है कि किसी से कमतर नहीं। इस पर्व का
कूटनीतिक महत्व यह कि किसी भी देश के राष्ट्रप्रमुख को अतिथि के तौर पर बुलाया
जाता है।
कुछ
विकसित देश अभी भी राजशाही को ढो रहे हैं जैसे जापान,
नॉर्वे। हमारे पड़ोसी देश भूटान में भी राजशाही है। भारत ने इससे
पूरी तरह से मुक्ति पा ली। संविधान लागू होने से हमारा देश पूरी तरह से
लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। इस बात के लिए सभी भारतीय गौरवांवित महसूस करते हैं।
अनिता
मंडा
दिल्ली
गणतंत्र दिवस के इतिहास को अंकित करता सुंदर आलेख,किंतु 26 जनवरी का दिन ही क्यों चुना गया इसका स्पष्ट उत्तर नही मिलता
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिखा ।
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