बुधवार, 31 जुलाई 2024

पुस्तक परिचय

 

कुछ कृती व्यक्तित्व : सरोकार और उपलब्धियाँ

पुस्तक का शीर्षक ही बखूबी संकेतित करता है कि पुस्तक की विषय-वस्तु का सरोकार तथा उसकी सीमा किसी एक व्यक्ति या किसी विशेष विषय क्षेत्र-संदर्भ या कोई एक-दो प्रवृत्ति-संवेदना से ही संबद्ध नहीं है। दरअसल साहित्य एवं साहित्येतर क्षेत्र, इन क्षेत्रों से जुड़े कतिपय ख़ास व्यक्तित्व तथा इन व्यक्तित्वों के सृजनात्मक तथा देश व समाज उपयोगी कार्यों के विस्तार-वैविध्य को एक छोटे कद की पुस्तक में आकलित करने की इच्छा ने ही इस पुस्तक को एक अलग आकार-प्रकार दिया है। यहाँ हमारी ओर से मूलतः साहित्य, समाज और राजनीति, इन क्षेत्रत्रयी से जुड़ी कुछेक  ख्यात प्रतिभाओं के बृहत् अवदान के चंद प्रमुख पक्षों-संद‌र्भों का एक परिचयात्मक संक्षिप्त  ब्यौरा, जिसे स्तरीय शोध या गंभीर-गरिष्ठ समीक्षा तो नहीं कह सकते, किंतु इन प्रतिभाओं का स्मरण, इनके कार्यों का एक विहंगावलोकन और आकलन, इनके प्रति हमारी रुचि व दायित्व, विद्यार्थियों तथा कुछ अन्य जिज्ञासु पाठकों के संदर्भ में इसकी थोड़ी-बहुत उपयोगिता आदि के संदर्भ में हम अपने इस लेखकीय प्रयास को देख रहे हैं

वैसे पुस्तक की अधिकांश विषय-सामग्री पहले हमारे ‘शब्द-सृष्टि’ ब्लॉग-ई पत्रिका के माध्यम से प्रस्तुत हो चुकी है, परंतु लेखनी के विशेष स्थायित्व तथा अधिक प्रसार हेतु अब हम इसे पुस्तकाकार दे रहे हैं। पुस्तक में प्रतिपादित सामग्री दो फॉर्म में हैं – शोध आलेख तथा निबंध। साहित्य संबंधी लेखन शोध आलेख के रूप में जबकि साहित्येतर क्षेत्रों से जुड़ा लेखन  विशेषतः निबंध के ढाँचे में।

अमीर खुसरो से लेकर आज इक्कीसवीं सदी के दूसरे तीसरे दशक तक हिन्दी सृजनकर्ताओं की बड़ी लम्बी व मजबूत फेहरिस्त में से महज़ पंद्रह-सोलह साहित्यकारों, अंतर्राष्ट्रीय मंच से जुड़े एक बड़े हिन्दीसेवी-हिन्दी प्रचारक तथा भारतीय समाज व राजनीति से जुड़े कुछेक महान देशभक्तों-समाजसुधारकों-चिंतकों को लेकर लिखे गए कुल 19 शोधालेख-निबंध पुस्तक में संकलित हैं। इन आलेखों- निबंधों में संबंधित प्रतिभाओं के विचारों व कार्यों को शब्दबद्ध करने का एक छोटा-सा प्रयास किया है।

हिन्दी साहित्येतिहास में खड़ी बोली हिन्दी काव्य, गीत-ग़ज़ल-कव्वाली, पहेलियाँ-मुकरियाँ-निस्बतें-ढकोसला-दो सखुन, हास्य रस आदि के लिहाज़ से हिन्दी की पहली आवाज़ कहे जाने वाले अमीर खुसरो के सृजन-कर्म का महत्त्व • मध्यकालीन हिन्दी निर्गुण काव्य के महान संत कवि दादूदयाल के काव्य में भक्ति, दर्शन तथा सामाजिक चेतना का स्वर • गुजराती साहित्य के मध्यकालीन कृष्णभक्त कवि नरसिंह मेहता का काव्यसंसार-भावलोक • हिन्दी के प्रबुद्ध मार्क्सवादी आलोचक डॉ. शिवकुमार मिश्र का आलोचना कर्म-आलोचना दृष्टि तथा मध्यकालीन कृष्णभक्त कवयित्री मीरा तथा उनके काव्य को आधु‌निक स्त्री विमर्श के परिप्रेक्ष्य में देखने-परखने की मिश्र जी की दृष्टि • समकालीन हिन्दी साहित्य में एक अहिन्दी भाषी प्रांत में एक अहिन्दीभाषी हिन्दीसेवी प्रो. पारुकांत देसाई का सृजन-लेखन • हास्य-व्यंग्य के एक बड़े और पूर्ण पर्याय काका हाथरसी का जीवन व सृजन सफ़र • स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी व्यंग्य के पुरोधा हरिशंकर परसाई की नुकीली कलम का प्रसार व प्रभाव • सृजन-समीक्षा उभय दृष्टि से हिन्दी हाइकु को समृद्ध-संपन्न करने वाले डॉ. अग्रवाल • हिन्दी व्यंग्य निबंध विधा तथा हाइकु व अन्य साहित्य रूपों में लंबे अर्से से लेखनी चला रहे डॉ. गोपाल बाबू शर्मा के सृजन संसार का वैशिष्ट्य • समकालीन हिन्दी कवयित्रियों, विशेषतः हाइकु एवं अन्य जापानी काव्यरूपों में अपने योगदान से अपनी एक विशेष पहचान कायम करने वाली डॉ. सुधा गुप्ता तथा डॉ. कृष्णा वर्मा के लेखकीय अवदान का अवलोकन • जापानी काव्य विधा हाइकु का हिन्दी में सृजन तथा विकास, साथ ही हिन्दी हाइकु को सात समंदर पार भारतेतर देशों में प्रचारित कर इसे विश्व मंच पर प्रतिष्ठित करने वाली कुछेक महत्त्वपूर्ण कवयित्रियों की हाइ‌कु-दुनिया • भवानी दयाल संन्यासी का हिन्दी-प्रेम तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी के प्रचार-प्रसार हेतु उनका अत्यंत प्रशंसनीय कार्य • महात्मा गाँधी-सरदार वल्लभभाई पटेल- डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर-डॉ. राममनोहर लोहिया, इन महान शख़्सियतों तथा देश तथा समाज को इनकी महती देन • स्वाधीनता संग्राम में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देशप्रेम-देशभक्ति की महान मिसाल बनी कतिपय वीरांगनाओं का स्मरण।

उपरोक्त बिंदुओं की संक्षेप में सोदाहरण व्याख्या एवं विवेचन से प्रस्तुत पुस्तक का कलेवर तैयार किया गया है।

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कृति : कुछ कृती व्यक्तित्व : सरोकार और उपलब्धियाँ, लेखक : प्रो. हसमुख परमार/डॉ. पूर्वा शर्मा,

मूल्य : 400 /-, संस्करण : 2024, प्रकाशक : माया प्रकाशन, 64/540, आवास विकास हंसपुरम्, नौबस्ता, कानपुर)


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