शनिवार, 30 दिसंबर 2023

आइए मिलते हैं......

 


डॉ. सुधा गुप्ता

(1934-2023)

एक नज़र : सफ़र-ए-ज़िंदगी 

Ø     डॉ. सुधा गुप्ता का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ नगर में, एक आर्य समाजी परिवार में अठारह मई, उन्नीस सौ चौंतीस को हुआ था। डॉ. सुधा गुप्ता की माता श्रीमती सुमति देवी तथा पिता का नाम श्री विश्वम्भर नाथ चल आनन्द था।

Ø     डॉ. सुधा गुप्ता के परिवार में –  पति डॉ. बी.बी. अग्रवाल (जो सुधा जी से पहले चल बसे) तीन पुत्र एवं पुत्रवधुएँ क्रमशः – अमित-अन्विता अग्रवाल, आशीष-अर्पिता अग्रवाल व विपुल-माशा अग्रवाल तथा पौत्र-पौत्रियाँ – अतिसी, अदिति, कार्तिक, कुशिक और वरिमा 

Ø     डॉ. सुधा गुप्ता ने एम.ए. (1955), पी-एच. डी. (1961) और डी. लिट् (1988) की उपाधि प्राप्त की थी।

Ø     डॉ. सुधा गुप्ता ने आगरा विश्वविद्यालय एवं मेरठ विश्वविद्यालय से संबद्ध प्रतिष्ठित महाविद्यालयों में कुल चौंतीस वर्ष अध्यापन, सात वर्ष पी.जी. विभागाध्यक्षा तथा बाईस वर्ष प्राचार्या पद पर कार्य किया। जून 1994 में सेवा निवृत्त ।

Ø     सृजन-लेखन का क्षेत्र – 1. भाषा एवं संवेदना के लिहाज़ से भरतीयता से भरपूर हाइकु, ताँका, चोका, सेदोका, हाइबन आदि जापानी काव्य-शैलियाँ 2. कविता एवं गीत 3. आत्मकथा 4. शोध-समीक्षा

Ø     प्रकाशित पुस्तकें :

1)        जापानी विधाएँ

(क)     15 हाइकु संग्रह     

(ख)     6 ताँका, चोका, सेदोका, हाइबन, हाइगा संग्रह

2)        16 कविता संग्रह

3)        4 बाल-गीत संग्रह 

4)        2 पूजा-गीत संग्रह       

5)        3 शोध ग्रंथ          

6)        1 समीक्षात्मक ग्रन्थ

7)        आत्मकथा

8)        2  सह-सम्पादित हाइकु संग्रह

9)        पंचाशत् : सतत् साहित्य सृजन साधना के सत्तर साल (प्रकाशित 50 पुस्तकों की भूमिकाएँ एवं मुखपृष्ठ, 2021)

कुल प्रकाशित पुस्तकें – 50

Ø     एक बहुमुखी साहित्यिक एवं सामाजिक व्यक्तित्व की धनी डॉ. सुधा गुप्ता अपने लंबे जीवन सफ़र में सृजन-लेखन, अध्यापन एवं अन्य सामाजिक सेवाओं से संबद्ध गतिविधियों में अपनी कर्मठता एवं समर्पित भाव के एवज में विविध संस्थाओं की ओर से, अलग-अलग अवसरों पर, अलग-अलग मंचों से –आदर्श शिक्षक(1988, 2000) दिव्याउपाधि से अलंकृत (1990, 1994), वरिष्ठ कवयित्री लेखिका’ (2000), कवियत्री महादेवी वर्मा(2000), राष्ट्र भाषा आचार्य सम्मान(2001), ताज मुगलिनी सम्मान(2001), महिला रत्न(2001), बाबा पुरुषोत्तम दास सहस्त्राब्दि प्रतिभा सम्मान(2001), महाकवि शेक्सपियर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान (2002), मीराबाई सम्मान(2002), राष्ट्र भाषा रत्न(2003), वरिष्ठ साहित्य सेवी(2003), सरिता लोक-भारती सम्मान(2003),साहित्य शिरोमणि(2003),ऋतम्भरा अलंकरण(2005-2006), हिन्दी गौरव सम्मान(2006) प्रभृति मान-सम्मानों से समय-समय पर सम्मानित होती रही।

मनुष्यों के, मनुष्यतर जीवों के, यहाँ तक की अनेकानेक चीज-वस्तुओं के स्थूल व प्रत्यक्ष यानी दृश्यामन अस्तित्व की लंबाई-चौड़ाई को हम यहाँ कलेंडर के पन्नों के हिसाब से नापते रहते हैं। 18 मई, 1934 से शुरू हुआ ‘सुधा सफ़र’ अनेकों उतार-चढ़ावों को, कई मुकामों को पीछे छोड़ता हुआ तो कहीं साथ लेते हुए पूरे 89 वर्ष 7 महीने एवं 10 दिन की दीर्घावधि को प्राप्त करते हुए अंततः पहुँचता है 18 नवंबर, 2023 तक।  यानी यह तिथि है डॉ. सुधा गुप्ता के सफ़र-ए-ज़िंदगी का आखरी बिन्दु।

सुधा जी अब पार्थिव रूप में हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके शब्द, उनकी स्मृतियाँ तो हमारे साथ ही है। असंख्य साहित्यतिकों एवं समाजिकों को अपने आलोक से आलोकित करने, प्रेरित-प्रोत्साहित करने, साहित्य की एक ठोस ज़मीन एवं मजबूत पीढ़ी को तैयार करने वाली इस महियसी का प्रभाव एवं अहसास तो चिरकाल तक जारी रहेगा!!

 


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