रविवार, 29 अक्तूबर 2023

व्याकरण विमर्श

 



कर्तृवाच्य-भाववाच्य

डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

राम ने रावण को मारा।

यह वाक्य आजकल बहुत चर्चा में है।

कुछ लोगों ने मुझे बताया है कि यह वाक्य एक बोर्ड द्वारा तैयार की गई व्याकरण की पुस्तक में भाववाच्य का बताया गया है।

यह वाक्य तो कर्तृवाच्य का है। इसे भाववाच्य का क्यों बताया गया है।

इसे थोड़ा समझते हैं।

जो लोग इस वाक्य को (या ऐसे वाक्यों को) भाववाच्य का मानते हैं, उनका तर्क होता है कि इस वाक्य की क्रिया (मारा) न तो कर्ता के अनुसार है न कर्म के अनुसार। इसलिए यह वाक्य न तो कर्तृवाच्य का है न कर्मवाच्य का। इसलिए भाववाच्य का है।

यह सही है कि ऐसे वाक्यों की क्रिया न कर्ता के अनुसार होती है न कर्म के अनुसार -

१. कुत्ते ने बिल्ली को मारा।

२. कुत्तों ने बिल्ली को मारा।

३. कुतिया ने बिल्ली को मारा।

४. कुतियों ने बिल्ली को मारा।

इन वाक्यों की क्रिया (मारा) पर कुत्ता/कुत्तों/कुतिया/कुतियों के लिंग-वचन का प्रभाव नहीं है।

परंतु ऐसा वाच्य के कारण नहीं हुआ है। बल्कि 'ने' तथा 'को' परसर्गों के कारण हुआ है।

१. वाक्य के कर्ता के साथ ने परसर्ग का प्रयोग होने पर क्रिया कर्ता के  नियंत्रण से मुक्त हो जाती है।

२. अर्थात् ऐसे वाक्यों की क्रिया कर्ता के लिंग-वचन के अनुसार नहीं, बल्कि कर्म के लिंग-वचन के अनुसार होती है -

१. लड़के ने एक पत्र लिखा।

२. लड़के ने दो पत्र लिखे।

३. लड़के ने एक चिट्ठी लिखी।

४. लड़के ने दो चिट्ठियाँ लिखीं।

इन वाक्यों में क्रियारूप कर्म (पत्र/चिट्ठी) के रूपों के अनुसार बदले हैं।

३. परंतु कर्म के साथ जब 'को' परसर्ग का प्रयोग होता है, तब क्रिया कर्म के भी नियंत्रण से मुक्त हो जाती है। तब वह हर स्थिति में पुल्लिंग एकवचन में रहती है-

१. बच्चे ने किताब फाड़ दी। (कर्म के साथ को परसर्ग नहीं है। इसलिए क्रियारूप 'दी' है।)

अब को परसर्ग के साथ -

२. बच्चे ने किताब को फाड़ दिया।

३. बच्चे ने किताबों को फाड़ दिया।

४. बच्चे ने पत्र को फाड़ दिया।

५. बच्चे ने पत्रों को फाड़ दिया।

कर्म पुल्लिंग-स्त्रीलिंग/एकवचन-बहुवचन कुछ भी हो, क्रिया सभी के साथ पुल्लिंग एकवचन में ही है।

विशेष - सजीव कर्म के साथ अनिवार्यतः को परसर्ग आता है।

(संभव है, कोई प्रयोग इस नियम का अपवाद निकल आए।)

राम ने रावण को मारा।

यह वाक्य इसी प्रकार का है। कर्ता के साथ ने परसर्ग तथा कर्म के साथ को परसर्ग लगा हुआ है। इसी कारण क्रिया कर्ता तथा कर्म दोनों के नियंत्रण से मुक्त है।

परंतु इसका मतलब यह नहीं कि वाक्य भाववाच्य का हो गया।

वाच्य तो कर्तृवाच्य ही है।

एक दूसरी बात -

कोई भी वाक्य हो, अपने मूल स्वरूप में वह कर्तृवाच्य में ही होता है। अर्थात् कर्मवाच्य तथा भाववाच्य के वाक्य कर्तृवाच्य से ही बनते हैं।

ऐसे में यह प्रश्न उठेगा कि 'राम ने रावण को मारा' वाक्य यदि भाववाच्य में है, तो इसका कर्तृवाच्य क्या है?

किस कर्तृवाच्य के वाक्य का यह रूपांतरण है?

कोई जवाब नहीं।

आखिरी बात -

भाववाच्य अकर्मक क्रिया का होता है। सकर्मक क्रिया का नहीं।

सकर्मक क्रिया का भी भाववाच्य बनता है। परंतु ऐसा तब होता है, जब वाक्य में कर्ता और कर्म दोनों का लोप हो।

प्रस्तुत वाक्य में ऐसा नहीं है।

वाक्य की क्रिया सकर्मक है तथा कर्ता और कर्म दोनों वाक्य में मौजूद हैं।

फिर यह वाक्य भाववाच्य का कैसे हुआ!

विज्ञ जन विचार करें।

 

 

डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

40, साईंपार्क सोसाइटी, वड़ताल रोड

बाकरोल-388315, आणंद (गुजरात)

 

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