गुरुवार, 31 अगस्त 2023

पर्व विशेष


रक्षाबंधन : अटूट नेह बंधन!

डॉ. पूर्वा शर्मा

पंक्ति में खड़े

सावन प्रतीक्षा में

तीज-त्यौहार ।

 (डॉ. पूर्वा शर्मा)

अगस्त का महीना न जाने कितने अनुपम त्यौहार ले आता है। सभी त्योहारों का अपना महत्त्व है और हम भारतवासी प्रत्येक त्यौहार को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं। सावन के इस पावन महीने में आदिवासी दिवस, हरियाली तीज, नाग पंचमी, स्वतंत्रता दिवस, रक्षाबंधन, श्रावणी एवं संस्कृत दिवस आदि त्यौहार तो आते ही हैं  लेकिन इन सबके साथ इस बार की विशेष उपलब्धि रही – चंद्रयान-3 का चंद्र पर सफलतापूर्वक अवतरण। इस प्रकार अनेक विशेष पर्व एवं दिनों को अपने में संजोए हुए अगस्त अपने आप में प्रसन्नता बिखेर देने वाला माह है। 

भारत में थोड़े-थोड़े दिनों में कोई न कोई त्यौहार-पर्व आ ही जाता है और विशेषतः सावन तो त्यौहारों का भंडार ही है। ऐसा लगता है जैसे ये सभी त्यौहार एक पंक्ति में खड़े होकर सावन की ही प्रतीक्षा कर रहे थे।

भारतवर्ष में चार त्यौहार वैदिक काल से महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं, क्योंकि हमारे यहाँ चार पुरुषार्थ हैं – धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष। इन चारों को संसार में स्थापित करने के लिए चार त्यौहार बनाए गए हैं और ये चारों त्यौहार इसलिए महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि यह वेद द्वारा प्रतिपादित है। ये त्यौहार हैं – दशहरा, दीपावली, होली और रक्षाबंधन। कुछ लोगों की यह धारणा है कि रक्षाबंधन के बारे में प्राचीन धार्मिक साहित्य में ज्यादा वर्णन नहीं मिलता। लेकिन ऐसी बात नहीं है। रक्षाबंधन बहुत ही महत्त्वपूर्ण त्यौहार है। लेकिन बात यह है कि प्राचीन साहित्य में इसका नाम रक्षाबंधन नहीं है। रक्षाबंधन को प्राचीन वैदिक साहित्य में श्रावणी के नाम से जाना जाता है। इस दिन गुरुकुल में वेद अध्ययन की शुरुआत की जाती थी। आज भी वेद अध्ययन के लिए श्रावणी ही मनाया जाता है। दक्षिण भारत में रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता, वहाँ के लोग इस दिन समुद्र देवता को अथवा पवित्र नदी के किनारे जाकर नारियल चढ़ाते हैं और फिर यज्ञोपवीत धारण (अथवा बदलते) करते हैं। यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है।  गुरुकुल में भी यज्ञोपवीत धारण करने का यह पर्व मनाया जाता है।  यह मोक्षदायी त्यौहार है।  इसलिए इसे बहुत ही महत्त्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। जिस तरह दशहरा धर्म, दिवाली अर्थ, होली काम का त्यौहार माना जाता है, उसी तरह रक्षाबंधन अथवा श्रावणी मोक्ष का त्यौहार माना जाता है। श्रावणी को विश्वविद्यालयों में ‘संस्कृत सप्ताह’ अथवा ‘संस्कृत दिवस’ के नाम से मनाया जाता है। इस तरह पूर्णिमा के दिन श्रावणी, संस्कृत दिवस एवं  रक्षाबंधन यह तीनों पर्व मनाए जाते हैं।

रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती है और भाई उसकी रक्षा करने का वचन देता है। रक्षाबंधन त्यौहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ भी है। जो इस प्रकार हैं –

एक कथा के अनुसार राजा बलि ने भगवान विष्णु की कठोर उपासना की थी और भगवान को दिन-रात अपने सामने रहने का वचन ले लिया। भगवान विष्णु को अपने यथा स्थान न पाकर उनकी अर्धांगिनी लक्ष्मी जी परेशान हुई और उन्होंने एक अबला स्त्री का रूप लेकर राजा बलि के यहाँ आश्रय लिया। श्रावण पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी ने राजा बलि की सुरक्षा हेतु उनकी कलाई पर पवित्र धागा बाँध दिया और अपने पति को उपहार स्वरूप वापस माँग लिया।

भविष्य पुराण के अनुसार प्राचीन काल में एक बार बारह वर्षों तक हुए देवासुर संग्राम में देवताओं की दानवों से हार हो रही थी। पराजित इन्द्र गुरु बृहस्पति के पास गए। वहाँ इन्द्र की पत्नी शची (इन्द्राणी)भी मौजूद थीं। इन्द्र की व्यथा जानकर इन्द्राणी ने विधानपूर्वक रक्षासूत्र तैयार किया और उसे स्वस्तिवाचन पूर्वक बृहस्पति द्वारा इन्द्र को रक्षाबंधन कराया। माना जाता है कि इसके प्रभाव से इन्द्र एवं देवताओं की विजय हुई। उस दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था और तभी से यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है।

एक अन्य कथा द्रौपदी एवं श्रीकृष्ण की है। एक बार श्रीकृष्ण को चोट लग गई थी, तब द्रौपदी ने अपना पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण के हाथ पर बाँध दिया था। उसी क्षण श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को रक्षा का वचन दिया था।

एक और कथा के अनुसार महाभारत के युद्ध में युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से पूछा कि मैं सारे दुखों पर कैसे विजय पा सकता हूँ? तब श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम अपने सैनिकों को रक्षा सूत्र बाँधों, तो तुम्हारी विजय निश्चित है। तब युधिष्ठिर ने ऐसा ही किया। माना जाता है कि यह घटना श्रावणी के दिन हुई थी।

इसी क्रम में कुछ और कथाओं का जिक्र भी आता है। जैसे सिकंदर की पत्नी का राजा पुरु को राखी बाँधना, रानी कर्णावती का मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी बाँधना।

ये सभी कथाएँ चाहे प्रामाणिक हो या न हों, विगत कई वर्षों से पूरे भारत वर्ष में यह त्यौहार धूम-धाम के साथ मनाया जा रहा है। गली-गली में राखी से सजे बाज़ारों को देखकर कोई भी अंदाज़ा लगा सकता है कि यह त्यौहार कितना महत्त्वपूर्ण है। आजकल हम टेक्नालॉजी की दुनिया में रह रहे हैं, इस त्यौहार का प्रभाव सोशल मीडिया पर भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। सोशल मीडिया पर रक्षाबंधन से संबंधित अनेक पोस्ट एवं रील आप देख ही सकते हैं। राखी की ऑनलाइन डिलीवरी देश के किसी भी कोने में संभव है।  इतना ही नहीं, आजकल विदेश में भी राखी भेजने की व्यवस्था इस बात का प्रमाण है कि यह त्यौहार विदेश में भी रहने वाले भारतीयों के लिए कितना महत्त्वपूर्ण है।

लिफ़ाफ़ा खुश!

चला भाई के घर

लिए सौगात।

(डॉ. पूर्वा शर्मा)



डॉ. पूर्वा शर्मा
वड़ोदरा

 

 

 

 

2 टिप्‍पणियां:

  1. रक्षा बंधन पर्व की ऐतिहासिक जानकारी का अत्यंत सुंदर वर्णन किया पूर्वा । श्रावण मास सभी 12 महीनों में उत्तम इसीलिए माना जाता है.

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  2. - रवि शर्मा इंदौर

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