शब्द-सृष्टि
मार्च – 2023, अंक – 32
व्याकरण विमर्श – 1.परसर्ग (‘में’ और ‘पर’) का प्रयोग 2. कारक की पहचान – डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र
परिचय – ढोला मारू : एक प्रसिद्ध प्रेमगाथा – डॉ. हसमुख परमार
काव्यास्वादन – स्त्रियाँ (अनामिका) – डॉ. पूर्वा शर्मा
प्रासंगिक – कुछ सत्ता है नारी की!? – डॉ. ऋषभदेव शर्मा
विशेष – गोवा का लोकनृत्य ‘धालो’ – अनीता सक्सेना
आलेख
आलेख – साहित्य का समाजशास्त्रीय अध्ययन – कुलदीप कुमार ‘आशकिरण’
आलेख – हिंदू धर्मग्रंथों की मूल संवेदना – डॉ. राज बहादुर गौतम
रचनाएँ
कविता – बदलती हुई स्त्री – सत्या शर्मा ‘कीर्ति’
कविता – स्त्री : परिचय – आनन्द तिवारी
कविता – स्वप्न जरूरी है – कंचन अपराजिता
कविता – विचार-विमर्श – रूपल उपाध्याय
कविता – ‘आखिर मैं क्या हूँ’? – डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
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जवाब देंहटाएंशब्द सृष्टि का यह अंक स्त्री विषेषांक की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण अंक है...इस अंक के सभी तो नही कितुं कुछ आलेख मैंने पढ़े हैं...जिसमें डॉ. हसमुख परमार सर का आलेख 'ढोला-मारू :एक प्रसिद्ध प्रेमगाथा' में सर ने भारतीय लोक गाथाओं में विख्यात ढोला- मारू की प्रेमगाथा को बड़े ही सहज ढंग से पिरोते हुए इसके कथानक के आरम्भ से लेकर भाषा तक का संक्षिप्त में महत्वपूर्ण विश्लेषण करतें है, जो विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए बहुत ही लाभप्रद है....दूसरा आलेख डॉ. पूर्वा शर्मा जी का है जिसमें इन्होंने अनामिका की कविता का स्त्री दृष्टि से मार्मिक विश्लेषण करतीं हैं और उसकी प्रासंगिकता को समकालीन परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करते हुए वर्तमान से रूबरू कराती हैं....इसी तरह डॉ ऋषभ शर्मा का आलेख व त्रिलोक सिंह जी दोहे समकालीन स्त्री दृष्टि की झाँकी हैं.... इन्ही सबके बीच मेरा भी एक छोटा सा आलेख है...जिसे पत्रिका में स्थान मिला है......पत्रिका के संरक्षण और संपादक को तहे दिल से शुक्रिया......
जवाब देंहटाएंमेरे गुरूवर डॉ. हसमुख परमार सर का आभार व्यक्त करना महज फर्ज अदायी होगा ....सर का स्नेह और सानिध्य बना रहे......डॉ पूर्वा शर्मा जी के संपादन में संचालित यह पत्रिका हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि है...अगले अंक का इंतजार रहेगा....पत्रिका में शामिल सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ💐💐
(कुलदीप कुमार 'आशकिरण')
सुन्दर , सार्थक , ज्ञानवर्धक रचनाओं से सज्जित संग्रहणीय अंक , बधाई और शुभकामनाएँ 👌💐
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