शब्द-सृष्टि
मई-जून
2025,
अंक 59-60(संयुक्तांक)
व्याकरण विमर्श – क्रिया - बोलना/बुलाना/बुलवाना – डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र
सामयिक टिप्पणी – ऑपरेशन सिंदूर : भारतमाता की जय ! – डॉ. ऋषभदेव शर्मा
कविता – 1. योग की महिमा 2.रक्त दान 3. नशा करे विनाश– डॉ. राजकुमार शांडिल्य
विशेष – लोकमाता अहिल्याबाई होलकर – अपराजिता ‘उन्मुक्त’
चोका – 1. एक थी यशोधरा 2. जिंदगी – प्रीति अग्रवाल
आलेख – वर्तमान युग में बौद्धधर्म की प्रासंगिकता – डॉ. राजकुमार शांडिल्य
कविता – क्यों करती हो तुम शृंगार प्रिये – लक्ष्मी नितिन डबराल
आलेख – कालजयी सर्जक रविन्द्रनाथ टैगोर – डॉ. घनश्याम बादल
कविता – राष्ट्रीय चेतना की भोर, रवींद्र नाथ टैगोर – कुमार महेंद्र
कहानी – रिवर्स गियर – एकता चौधरी
दोहे – गुजरात दिवस – डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
पुस्तक चर्चा – ‘मूर्तियों के जंगल में’आग से गुजरते हुए – गुर्रमकोंडा नीरजा
कविता – 1. विवशता 2. जीवन की त्रासदी – सूर्यनारायण गुप्त ‘सूर्य’
आलेख – सीता जी के ऊद्भव की कथा – सुरेश चौधरी
पुरस्कृत प्रतिभा – बानू मुश्ताक : दुनिया को रोशन करता कन्नड़ का ‘हृदय दीप’ – डॉ. ऋषभदेव शर्मा
कविता – कभी अपने साथ भी वक्त बिताया कर – मीनू बाला
शोध समाचार – “गुजरात के हिन्दी हाइकुकार : एक सर्वेक्षणपरक अध्ययन” विषयक शोध कार्य पर पीएच.डी.....
Very good
जवाब देंहटाएंसुंदर लेख
जवाब देंहटाएंशब्द-सृष्टि ई-पत्रिका के मई-जून 2025, अंक 59-60(संयुक्तांक) में हिंदी साहित्य एक व्याकरण के सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर लिखी गई साथ ही समसामयिक विषयों पर भी प्रकाश डाला गया।
जवाब देंहटाएंमुकेश चौधरी शोधार्थी हिंदी विभाग