1
दुःख, शोक, जब जो आ पड़े
सो धैर्यपूर्वक सब सहो ।
होगी सफलता क्यों नहीं
कर्तव्य पथ पर दृढ़ रहो ।।
मैथिलीशरण गुप्त
2
आदमी
मरने के बाद
कुछ नहीं सोचता।
कुछ नहीं बोलता।
कुछ नहीं सोचने
और कुछ नहीं बोलने पर
मर जाता है।
उदय प्रकाश
अलग काल खण्डों के प्रतिनिधि कवियों के विचार व्यक्त करती रचनाएँ
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