राष्ट्रीय
एकता दिवस
राष्ट्रीय
स्तर पर एकता और अखंडता, बंधुत्व, सर्वधर्म समभाव, अनेकता और विविधता में एकता,
सामासिकता, वैचारिक व भावनात्मक संवाद,
शैक्षिक-व्यावसायिक- सामाजिक -राजनीतिक- धार्मिक प्रयोजन वश प्रांत
विशेष-क्षेत्रविशेष से उबरना प्रभृति ऐसी भावनाएँ-संकल्पनाएँ हैं जो किसी राष्ट्र-विशेष
की जनता को अपने राष्ट्र के भीतर या राष्ट्रीय मंच पर वैचारिक व व्यावहारिक स्तर
पर एकता, अखंडता, भाईचारा, समानता, सुरक्षा, राष्ट्रीयता
का एहसास-अनुभव कराती हैं। ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसा
वर्तमान नारा भी इसी भावना से भरा है।
‘विश्वबंधुत्व’
एवं ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना तो भारतीय संस्कृति में सदियों से चली आ रही है। हाँ!
यह बात और है कि वैश्विक स्तर पर ‘भूमंडलीकरण/वैश्वीकरण’ अथवा ‘ग्लोबलाइज़ेशन’ की संकल्पना
ने 1990 के आसपास ज्यादा लोकप्रियता हासिल की। जब भी हम एकता की बात करते हैं तो
यह अनुभूति महज एक विचार ही नहीं बल्कि यह वह ऊर्जा है, वह सेतु है जो विभिन्न
संस्कृतियों को समान दृष्टि से देखते हुए सम्मान देती है वो भी स्वयं की संस्कृति
का सम्मान खोए बिना। यह तो बात हुई वैश्विक स्तर पर लेकिन जब इसे सिर्फ अपने
देश-अपने राष्ट्र यानी भारतवर्ष तक ही मर्यादित करें तो हमारे देश में ‘विविधता
में एकता’ का मूल मंत्र तो प्रारंभ से रचा-बसा ही हुआ है। हर क्षेत्र-प्रदेश की अपनी
भौगोलिक सीमाओं के बावजूद भारत भूमि में प्रांत, प्रदेश,
भाषा, वेशभूषा, रीति
रिवाज, धर्म-संप्रदाय, जाति आदि को
लेकर बड़ी विविधता मिलती है। भारतवर्ष में सदियों से चली आ रही इस एकता-समानता की
भावना को तो हम व्यावहारिक स्तर पर भी देखते आ रहे हैं, फिर
भी हम कह सकते हैं कि ब्रिटिश शासन के दौरान स्वाधीनता संग्राम तथा आजादी प्राप्ति
के समय सामाजिक-सांस्कृतिक एवं राजनीतिक
स्तर पर इस राष्ट्रीय एकता का नारा और भी अधिक बुलंद हुआ। यूँ तो पूरे भारत से, विविध प्रांत-प्रदेश से इस
कार्य के लिए अग्रणियों ने बड़े प्रयास किए; गुजरात की पावन धरती पर इन अग्रणियों में – महात्मा गाँधी, सरदार पटेल, दयानंद सरस्वती तथा और
भी कई नाम हैं जिन्होंने इस दिशा में अपने कदम बढ़ाए और सफलता भी प्राप्त की।
गुर्जर
कोख
हर
सदी में जन्में
महापुरुष
।
आजादी
के बाद 562 देसी रियासतों को भारत संघ में मिलाने का भगीरथ कार्य कर सरदार पटेल
ने आजाद भारत में राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूती के साथ सार्थकता व पूर्णता
प्रदान की। सरदार पटेल और इनके द्वारा राजनीतिक मंच से किये गये इस महत कार्य के
सदैव स्मरण एवं सम्मान हेतु उनकी जन्म तिथि 31 अक्टूबर को ‘राष्ट्रीय
एकता दिवस’ के रूप में वर्ष 2014 से मनाने की शुरुआत हुई।
इस
बात से हम अनभिज्ञ नहीं कि एकता में शक्ति है, एकता ही सबसे बड़ा बल है,
एकता में ही बड़ी सुरक्षा है और इतना ही नहीं इसे परिवार से लेकर
देश-राष्ट्र तक की विविध इकाइयों में हम अनुभव भी करते हैं; अतः एक होना, संगठित रहना, सबको साथ रखना-सबके साथ रहना की भावना
के साथ, प्रत्येक क्षण-समय-दिन हम जीते हैं -आगे बढ़ते हैं लेकिन
जब किसी विशेष निमित्त, किसी ख़ास दिवस को किसी विशेष विषय (राष्ट्रीय एकता) के
संबंध में अधिकारिक रूप से घोषित कर दिया जाता है तब उस दिन का महत्त्व कुछ और
अधिक ख़ास ही होता है और जिस संदर्भ में वो संबद्ध होता है , उस संदर्भ की महिमा हमारे विचारों-भावनाओं व व्यवहार में बढ़ी-चढ़ी होती है,
जो स्वाभाविक है।
देश
और दुनिया इस बात को जानती है कि स्वतंत्रता के बाद भारत के राजकीय एकीकरण में
सरदार वल्लभभाई पटेल की केन्द्रीय भूमिका रही। मतलब स्वतंत्र भारत-आधुनिक भारत का
एकीकरण- नवनिर्माण-राष्ट्रनिर्माण सरदार पटेल के विचारों-प्रयत्नों-कार्यों से
संभव हो सका। अतः उनकी जन्म जयंती के अवसर को - इस दिवस को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’
के रूप में एक विशिष्ट पहचान मिली। इस दिन यानी 31
अक्टूबर को विविध संस्थानों-विशेष रूप से प्रशासनिक कार्यालयों में शपथ ली जाती है
– “मैं सत्यनिष्ठा से शपथ लेता/लेती हूँ कि मैं राष्ट्र की एकता-अखंडता और सुरक्षा
को बनाए रखने के लिए स्वयं को समर्पित करूँगा/करूँगी और अपने देशवासियों के बीच यह
संदेश फैलाने का भी भरसक प्रयत्न करूँगा/करूँगी। मैं यह शपथ अपने देश की एकता की
भावना से ले रहा/रही हूँ जिसे सरदार वल्लभ भाई पटेल की दूरदर्शिता एवं कार्यों
द्वारा संभव बनाया जा सका। मैं अपने देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए
अपना योगदान करने का भी सत्यनिष्ठा से संकल्प करता/करती हूँ।”
राष्ट्रीय
एकता दिवस के उद्देश्य को लेकर सरकार की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक –“राष्ट्रीय
एकता दिवस हमारे देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के
लिए वास्तविक और संभावित खतरों का सामना करने के लिए हमारे राष्ट्र की अंतर्निहित
शक्ति और लचीलेपन की पुनः पुष्टि करने का अवसर प्रदान करेगा।”
दरअसल
सरकार का यह प्रयास है कि यह विशेष दिवस महज एक स्मरण दिवस न बनकर एक सक्रिय
आंदोलन बन सके। इसके जरिए देश में व्याप्त विविधता के बीच एकता-अखंडता बनाए रखने
का राष्ट्रीय संकल्प हो। देश की युवा पीढ़ी
को एकता-भाईचारा और देश की सुरक्षा से अवगत कराया जा सके। और देशवासी राष्ट्र
निर्माण में सरदार पटेल के निःस्वार्थ योगदान, दृढ़ संकल्प और नेतृत्व का स्मरण कर
उनसे प्रेरणा ले सकें। असल में देशवासियों
के बीच एक संवेदनात्मक सरोकार को मजबूत करना और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देते हुए
राष्ट्र की सुरक्षा-गरिमा में वृद्धि करने के लिए नागरिकों में एक विशेष
भाव-उत्साह-संकल्प को जगाना और इस राष्ट्रीय एकता में अपने योगदान के लिए प्रेरित
करना इस एकता दिवस का उद्देश्य है।
वर्ष 2025 में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ का महत्त्व कुछ ज्यादा ही विशेष है क्योंकि अब की बार 31 अक्टूबर-2025 के दिन सरदार पटेल की 150 वीं जयंती है। यही करण है कि इस वर्ष इस विशेष अवसर का आयोजन भी विशेष-भव्य है। अत: गुजरात के केवड़िया (नर्मदा जिले में) ‘एकता नगर’ जहाँ सरदार पटेल की सबसे ऊँची प्रतिमा यानी ‘स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी’ स्थित है प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ समारोह का भव्य आयोजन किया गया।
वैसे ‘सबका साथ, सबका विकास’ तथा ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के नारे को बुलंद करते हुए हर वर्ष [2014 से] की तरह इस वर्ष [2025] को भी पूरे भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस को एक बड़े उत्सव के रूप में मनाया गया, लेकिन स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर मनाए गए एकता दिवस की भव्यता कुछ विशेष ही रही –
भारत
के प्रधानमंत्री की उपस्थिति, राष्ट्रीय एकता परेड –
इस परेड में केन्द्र व राज्य सुरक्षा बलों की भागीदारी रही — जैसे BSF,
CRPF, CISF, ITBP, SSB, NSG, NDRF प्रभृति। इसके साथ ही विभिन्न
राज्यों की पुलिस इकाइयाँ (जैसे असम, त्रिपुरा, ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र,
पंजाब, जम्मू–कश्मीर, केरल
आदि) और NCC के कैडेट्स भी सम्मिलित रहे।
सुरक्षा बलों के अतिरिक्त परेड में कतिपय आकर्षक जैसे – घुड़सवार इकाइयाँ (horse contingent), ऊँट गुट (camel contingent), पुलिस डॉग स्क्वाड-जिनमें भारत में पाले जाने वाले पारंपरिक कुत्ते (Mudhol Hound, Rampur Hound आदि) शामिल रहे। इतना ही नहीं अनुशासन, कौशल और सुरक्षा व्यवस्था का प्रतीक माने जाने वाले Motorcycle Daredevils (जैसे Assam Police), मार्शल आर्ट प्रदर्शन, Taekwondo का प्रदर्शन भी हुआ। सुरक्षा बलों में महिला सशक्तिकरण – विविध दलों का नेतृत्व महिलाओं द्वारा, विविध राज्यों की विविधता में एकता विषय पर आधारित विविध झाँकियाँ, उपस्थित लोगों द्वारा ‘एकता की शपथ’ आदि।
Indian
Air Force (IAF) का फ्लाई-पास्ट (flypast) इस कार्यक्रम
का एक और प्रमुख आकर्षण बना। ‘Run for Unity’ (एकता के लिए दौड़) के माध्यम से नागरिकों विशेषतः युवाओं में देश भक्ति-एकता-अखंडता
एवं सामाजिक सद्भाव की भावना को जगाने-बढ़ावा देने-मजबूत करने की पहल की गई।
इस
तरह अखंड भारत के सूत्रधार सरदार पटेल की जन्म जयंती ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप
में मनाई जाती है – यह दिवस हम भारतवासियों को स्वतंत्रता आंदोलन व आधुनिक भारत के
निर्माण तथा देसी रियासतों के एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका का स्मरण कराता है।
निश्चित रूप से यह दिवस राष्ट्रीय एकता- अखंडता एवं एकजुटता का प्रतीक है। साथ में
हम यह भी याद रखें कि इसी तिथि को भारत की पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी की -31 अक्टूबर पुण्यतिथि भी है। अतः इनकी पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में इस दिन को ‘राष्ट्रीय
संकल्प दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है।
स्वप्न
साकार!
धन्य
‘भारत शिल्पी’
अखंड
देश ।



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