सरदार
पटेल के विराट व्यक्तित्व व ऐतिहासिक योगदान को दर्शाता
स्टैच्यू
ऑफ यूनिटी
विश्व
की सबसे ऊँची-विशालकाय प्रतिमा हमारे यहाँ यानी भारत में स्थित है। जी हाँ! विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा – ‘स्टैच्यू
ऑफ यूनिटी’ नर्मदा नदी के साधु बेट टापू पर सरदार सरोवर बाँध (गुजरात) से महज 3.2
किलोमीटर की दूरी पर।‘मूर्ति’ और ‘प्रतिमा’ इन दोनों शब्दों का हम प्रयोग करते हैं,
और लगभग दोनों को एकार्थी या पर्याय के रूप में हम देखते हैं। वैसे रचना-उत्पत्ति-व्युत्पत्ति-प्रयोग-प्रचलन
की दृष्टि से यानी भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से इन दोनों शब्दों के अर्थ व अंतर को लेकर
भी विचार किया जाता रहा है जो कि इस संदर्भ में विस्तार से बात करना यहाँ अप्रासंगिक
होगा, लेकिन इतना जरूर कहेंगे कि सामान्य व्यवहार में ज्यादातर यह देखा गया है कि मूर्ति
शब्द को विशेषतः किसी देवी-देवता या दिव्य अतिमानव के संदर्भ जैसे ‘मूर्ति पूजा’ शब्द
का प्रयोग, जबकि प्रतिमा सिर्फ देवी-देवता
की ही नहीं अपितु किसी व्यक्ति-विशेष, मतलब भौतिक समाज व जीवन के किसी भी श्रेष्ठ
व्यक्तित्व की हो सकती है। देवी-देवताओं और मनुष्यों की प्रतिमाओं में मुख्य अंतर –“देवी-देवताओं
की प्रतिमाएँ दिव्य शक्तियों और अलौकिक तत्त्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं जबकि महापुरुषों
की प्रतिमाएँ उनके ऐतिहासिक महत्त्व, कर्मों
और मानवीय गुणों को दर्शाती हैं। देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ विशेषतः पूजा के लिए
होती हैं जबकि महापुरुषों की प्रतिमाएँ प्रेरणा व सम्मान का प्रतीक होती हैं।”
वैसे
तो भारत में अनेक महान विभूतियों-महापुरुषों की प्रतिमाएँ कई जगहों-स्थानों पर
स्थापित हैं और प्रत्येक का अपना महत्त्व भी है। इनमें से कतिपय व्यक्तित्वों (गाँधी,
अंबेडकर, लोहिया प्रभृति) की प्रतिमाएँ विविध कद में, आकार में एकाधिक स्थानों पर हैं।
ऐसी अनेक विभूतियों में एक और विशेष नाम है – सरदार वल्लभभाई पटेल; जिनकी अनेक
प्रतिमाएँ विविध कद-आकार में विभिन्न स्थानों पर है लेकिन उनकी एक ऐसी विशिष्ट प्रतिमा
जो विश्वभर में सर्वाधिक महत्त्व रखती है, वह है –‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी।’
ऊँची
प्रतिमा
विराट
है व्यक्तित्व
‘लौह
पुरुष’।
सर्वविदित
है कि भारत की अखंडता-एकता के लिए 562 रियासतों का एकीकरण के ऐतिहासिक कार्य में
सरदार पटेल का योगदान अविस्मरणीय है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ अर्थात् ‘एकता
की प्रतिमा’ यह नाम सरदार पटेल के इस उत्कृष्ट-ऐतिहासिक योगदान को सार्थक करता है।
182
मीटर यानी 587 फीट ऊँची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का निर्माण कार्य सरदार
वल्लभभाई पटेल जी जयंती 31 अक्टूबर, 2013 को आरंभ हुआ था और पाँच वर्ष पश्चात 2018
में सरदार पटेल की 143 वीं जन्म जयंती पर विश्व की इस सबसे ऊँची प्रतिमा का अनावरण
किया गया।
इस
प्रतिमा के आधार सहित कुल ऊँचाई 240 मीटर है यानी आधार की ऊँचाई 58 मीटर और प्रतिमा
की ऊँचाई 182 मीटर निश्चित की गई। 1700 टन की इस प्रतिमा में 85% तांबा,
5% टीन, 5% सीसा और 5% जस्ते का उपयोग किया
गया। कहते हैं कि – “इस प्रतिमा को बनाने के लिए लोहा पूरे भारत के गाँव में रहने
वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का
संग्रह करके जुटाया गया ….. हालाँकि शुरुआत में यह घोषणा की
गई थी कि संगृहीत किये गये लोहे का उपयोग मुख्य प्रतिमा में किया जाएगा, मगर बाद में यह लोहा प्रतिमा में उपयोग नहीं हो सका और इसे परियोजना से जुड़े
अन्य निर्माणों में प्रयोग किया गया।”
राष्ट्रीय
गौरव, संस्कृति, प्रकृति, इतिहास, विज्ञान एवं तकनीक का अनूठा संगम है यह
गंगनचुंबी ‘स्टैच्यू’। दरअसल ‘स्टैच्यू ऑफ
यूनिटी’ मतलब – • सरदार पटेल का विराट व्यक्तित्व • देश को एकजुट करने के
महत्त्वपूर्ण कार्य में सरदार का योगदान • भारत की अखंडता-एकता में सरदार का
योगदान • एकता, देशभक्ति, समावेशी-सुशासन संबंधी सरदार के दृष्टिकोण एवं कार्य •
भारत के वास्तु-शिल्प कौशल तथा इंजीनियरिंग-तकनीकी क्षमता आदि का उम्दा व सटीक
प्रमाण।
विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा को निहारना-देखना
प्रत्येक व्यक्ति विशेष के लिए एक अद्भुत अनुभव है। ‘एकता नगर’ में प्रवेश करते ही
एक अलग ही ऊर्जा का संचार होने लगता है। जैसे-जैसे प्रतिमा के आधार स्थल पर बने व्यूइंग
गैलरी, म्यूज़ियम और प्रदर्शनी हॉल तरफ अग्रसर होते हैं उसकी एक झलक दूर से ही
दिखाई देती है और हृदय को आल्हादित कर इस स्थल पर पहुँचने की उत्सुकता को बढ़ा देती
है। जैसे ही म्यूज़ियम-प्रदर्शनी हॉल में प्रवेश करते हैं सरदार पटेल (सिर्फ चेहरा)
के एक आकर्षक स्कलपचर
(छोटी मूर्ति) पर से नज़र हटती
नहीं। म्यूज़ियम-प्रदर्शनी हॉल इस उद्देश्य से लेकर बनाया गया
है कि यात्री सरदार पटेल के जीवन, भारत की स्वतंत्रता, रियासतों का विलय
और देश के एकीकरण की कहानी एवं स्वतंत्र
भारत के निर्माण में सरदार पटेल की भूमिका से परिचित-अवगत हो सके। सरदार
पटेल के जीवन के विविध पड़ावों-परिस्थितियों के बारे में जानकारी देते ऐतिहासिक
दस्तावेज़ जिनमें रियासतों के विलय से संबंधित कागज़ात, सरदार पटेल द्वारा
लिखे गए पत्र, प्रशासनिक आदेश और सरकारी दस्तावेज़, बंबई प्रांत के गवर्नर एवं
भारत के गृह मंत्री काल के दस्तावेज़, आज़ादी के समय की राजनीतिक बैठकों के अभिलेख
शामिल हैं।
स्वतंत्रता
आंदोलन की दुर्लभ तस्वीरें, सरदार पटेल और महात्मा गाँधी के साथ ऐतिहासिक क्षण, लौह
पुरुष के रूप में उनकी भूमिका दर्शाती तस्वीरें, स्वतंत्र भारत की पहली कैबिनेट की
तस्वीरें, रियासतों के नवाबों/राजाओं के साथ हुई बैठकों की फोटो, ग्रामीण भारत की
स्थिति और सरदार पटेल के ग्राम-सुधार प्रयासों की झलकियाँ आदि पुरानी तस्वीरें-चित्र
भी आम जनता के लिए रखे गए हैं।
इन
पुरानी तस्वीरों के अतिरिक्त ‘खेड़ा सत्याग्रह’ एवं ‘बारडोली सत्याग्रह’ के मॉडल, सरदार
पटेल के बचपन, शिक्षा तथा वकालत के दिनों का विवरण, Timeline wall( यानी जन्म से लेकर निधन तक), उनके प्रमुख
भाषणों के वीडियो/ऑडियो आदि का जीवन आधारित प्रस्तुतीकरण (डिस्प्ले) बनाया
गया है।
भारत
एकीकरण थीम को दर्शाता 562 रियासतों का नक्शा (एकीकरण
से पहले और बाद का), थ्री डी मॉडल - ‘United India Map’, राजाओं व नवाबों द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेजों की प्रतिकृतियाँ, सरदार पटेल के ‘आयरन विल’ (Iron
Will) को समझाने वाला वीडियो प्रस्तुतीकरण एवं कश्मीर, हैदराबाद, जूनागढ़ जैसे जटिल राज्यों के एकीकरण की
व्याख्या को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।
सरदार
सरोवर परियोजना से संबंधित बाँध का मिनी मॉडल, नर्मदा
घाटी का इंटरैक्टिव मैप, बाँध के निर्माण का टाइम-लैप्स वीडियो, जल-वितरण प्रणाली
(Canal
Network) की जानकारी, परियोजना
में उपयोग हुई इंजीनियरिंग का प्रदर्शन भी इस हॉल में किया गया है।
‘स्टैच्यू
ऑफ यूनिटी’ के निर्माण से जुड़ी कई रोचक
जानकारियाँ जैसे – लौह संरचना, ढाँचे और कांस्य
पैनलों की जानकारी, दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा बनने की इंजीनियरिंग प्रक्रिया, पुल,
एलेवेटर शाफ्ट और व्यूइंग गैलरी की तकनीकी झलकियाँ, निर्माण के
दौरान की फ़ोटोग्राफ़ी और टाइम-लैप्स वीडियो के साथ-साथ ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का
बड़ा थ्री डी कट-सेक्शन मॉडल भी मौजूद है।
मल्टीमीडिया-डिजिटल
गैलरी के माध्यम से – ‘सरदार पटेल और आधुनिक
भारत’(360° थिएटर वीडियो), ‘होलोग्राम शो’, लाइट एंड साउंड आधारित स्टोरीटेलिंग, ‘टच-स्क्रीन
जानकारी पैनल’, कहीं-कहीं पर AR/VR (Augmented Reality / Virtual
Reality) का अनुभव किया जा सकता है।
राष्ट्र-निर्माण
को दर्शाती –भारत की अखंडता-एकता में सरदार के योगदान की थीमेटिक दीवार, स्वतंत्र
भारत की प्रारंभिक चुनौतियाँ-समाधान, अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ उनके संबंध,
सरदार पटेल की प्रसिद्ध कहावतें और उद्धरण, भारतीय प्रशासनिक सेवा की स्थापना पर
जानकारी आदि भी इस स्थान का हिस्सा है।
उपर्युक्त
सभी जानकारियों के अलावा सरदार पटेल द्वारा उपयोग की गई वस्तुओं की प्रतिकृतियाँ (चश्मा,
कलम, धोती-कुर्ता की प्रतिकृति, ब्रीफ़केस/दस्तावेज़ फ़ाइल), उनके समर्पण का
प्रतीक ‘आयरन मैन वॉकवे’ जैसी सरदार पटेल की व्यक्तिगत वस्तुओं-स्मृतियों का
प्रदर्शन भी किया गया है।
इसके
साथ-साथ कई तरह की ‘मॉडल एवं मूर्तियाँ’ यहाँ मौजूद हैं जिसमें – सरदार की
विभिन्न कलात्मक मूर्तियाँ, गाँवों में
उनके कार्यों जैसे किसान आंदोलन आदि को प्रस्तुत करती चित्रावली, ‘स्टैच्यू ऑफ
यूनिटी’ का 1:20/1:50 स्केल मॉडल, घाटी, बाँध और
टाउनशिप के रियलिस्टिक मॉडल आदि।
म्यूज़ियम-प्रदर्शनी
हॉल में उपर्युक्त सभी सामग्री संगृहीत तो है लेकिन ऑडियो-विज़ुअल, थ्री डी मैपिंग, होलोग्राफी,
लाइट एण्ड साउन्ड आदि विविध तकनीकों के प्रयोग से सरदार पटेल एवं भारत के
इतिहास-तथ्यों की विस्तृत जानकारी-कहानी को सुनना-देखना-अनुभव करना इसे यादगार बनाता है।
हॉल
सुनाए
रोमांच-अनुभव
एकता
गाथा।
इस
म्यूज़ियम-प्रदर्शनी हॉल से गुजरकर हाई-स्पीड लिफ्ट से कुछ ही मिनटों में 153 मीटर
ऊँचाई पर स्थित व्यूइंग गैलरी में प्रवेश करना रोमांचित कर देता है। इतनी
ऊँचाई पर खड़े होकर सरदार सरोवर बाँध, नर्मदा नदी का बहता पानी-घाटी का नज़ारा, ठंडी
पुरवाई, आसपास फैली हरीतिमा, सुंदर-व्यवस्थित सड़कें और यहाँ के
स्वच्छ-सुचारु-व्यवस्थित वातावरण को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि आप किसी
बेहतरीन-उम्दा या कहिए ‘वर्ल्ड क्लास’ स्थान का आनंद ले रहे हैं। इस तरह के परिवेश
में मन ही मन अपने देश के प्रति गर्व की अनुभूति होना स्वाभाविक है।
इस मुख्य आकर्षण के अतिरिक्त सरदार पटेल
के जीवनानुभवों को दर्शाता ‘लेज़र शो’ शाम की बेला में मंत्रमुग्ध करने में
कोई कसर नहीं छोड़ता है। ‘सरदार सरोवर बाँध’, ‘वैली ऑफ फ्लावर्स’ (जिसे भारत वन भी
कहा जाता है), ग्लो गार्डन, जंगल
सफारी-चिड़ियाघर, कैक्टस गार्डन, नौका विहार, एवं रिवर
राफ्टिंग ‘एकता नगर’ के अन्य आकर्षक स्थल हैं जो आपको एक सम्पूर्ण पर्यटन
स्थल का अनुभव करवाते हैं। ‘एकता नगर’ की सैर भारत के इतिहास को करीब से
देखने-अनुभव करने और सरदार पटेल के योगदान को प्रस्तुत करने में सक्षम है।
विश्व
की सबसे ऊँची प्रतिमा यानी ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ से मुलाकात, उसे
देखना-निहारना एक विशेष अविस्मरणीय अनुभव है जो सरदार पटेल के जीवन, स्वतंत्रता
संग्राम की गाथा, राष्ट्रीय एकता, प्राकृतिक सुषमा और बेहतरीन शिल्प-वास्तु-कला कारीगरी
आदि का बेजोड़ नमूना है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’-‘एकता नगर’ का सफ़र महज एक सफ़र
या यात्रा नहीं बल्कि इसके ज़रिए भारत की
संस्कृति-इतिहास-राजनीति-प्रकृति-विज्ञान-टेक्नॉलजी के अद्भुत संयोग से भारत की
गौरव गाथा को देखा-सुना-अनुभव किया जा सकता है।
भारत
शिल्पी
कद
छुए आकाश
‘स्टैच्यू’ विशाल ।


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