रविवार, 29 अक्तूबर 2023

प्रसंगवश

 

और एक प्रार्थना आज आद्याशक्ति से

डॉ. पूर्वा शर्मा

अभी-अभी नवरात्रि महापर्व में हमने देखा कि एक ओर माँ आद्याशक्ति की आराधना करते भक्ति में डूबे अनेक शीश नज़र आए तो दूसरी ओर गरबे की धुन पर थिरकते कदम । लेकिन तीसरी ओर इन प्यारे-प्यारे और धार्मिक भाव भरपूर नज़ारों से अलग-थलग गोली-बारूद के ताल पर तांडव करती मृत्यु के हृदय विदारक दृश्य। जी हाँ! एक बार फिर इज़राइल-हमास (7 अक्टूबर, 23) में युद्ध छिड़ जाने से गाजा में व्यापक तबाही देखी जा सकती है। इस बात से तो सभी भली-भाँति परिचित है कि इज़राइल-फ़िलिस्तीन संघर्ष एवं विवाद वर्षों पुराना है। और इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि युद्ध में जीतने वाले और पराजित होने वाले दोनों पक्षों को भारी नुकसान का वहन करना पड़ता है, बहुत कुछ खोना पड़ता है। सैनिकों का युद्ध में मारा जाना-शहीद होना स्वाभाविक बात है लेकिन जब आम नागरिकों की जान पर बन आए तब समझिए कि मामला गंभीर है। इस युद्ध में हो रहे नरसंहार में सबसे बड़ी कीमत महिलाओं और बच्चों को चुकानी पड़ रही है। ऐसा नहीं है कि यह कोई नयी घटना है, इसके पहले भी रवांडा नरसंहार, सिएरा लियोन गृह युद्ध, बलूचिस्तान,  रूस-यूक्रेन युद्ध आदि में भी महिलाओं एवं बच्चों के साथ हुए अत्याचारों के मामले सामने आए है। इसमें कोई संदेह नहीं कि इस तरह की परिस्थितियों में महिलाओं एवं बच्चों की बलि चढ़ने में देर नहीं लगती ।

इज़राइल की सेना में, पैरामेडिक्स में, पत्रकारिता में, वॉलेंटियर एवं नर्स आदि रूप में बड़ी संख्या में महिलाओं के योगदान को बखूबी देखा जा सकता है। बावजूद इसके यहाँ पर महिलाओं एवं बच्चों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है। हमास के आतंकवादियों ने इनके साथ अत्याचार की सभी हदें पार कर दी है। हर बार वे क्रूर से अतिक्रूर के स्तर की ओर जाते जा रहे हैं । इससे संबंधित ख़बरों को सुनकर, देखकर पढ़कर किसी का भी दिल दहल जाएगा। महिलाओं को मारना-पीटना, उनके साथ दुर्व्यवहार, उनके कपड़े फाड़ देना, बलात्कार करना एवं उन्हें बंदी बना लेने के कई मामले सामने आए है। यहाँ तक कि महिलाओं के शव के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया। शायद यही कारण है कि भारत में जौहर की परंपरा प्रचलित रही जिसके चलते जीवित महिला अथवा महिला का शव दुश्मन के हत्थे न लगे। एक खबर के अनुसार एक महिला को तीन दिनों तक भूखा रखे जाने के बाद उसे चावल और मीट दिया गया, बहुत भूखी होने के कारण उसने खाना खा लिया। बाद में उसे बताया गया कि वह मीट उसके ही सालभर के बच्चे का था। एक अन्य घटना में छह बहनों एवं उसके पिता को बंधक बनाने के बाद उन्हीं के सामने उनकी सबसे छोटी दस वर्षीय बहन का तब तक सामूहिक बलात्कार किया गया जब तक कि उसने दम नहीं तोड़ दिया। जब इसे सुनकर-देखकर हमारी रूह काँपने लगी है तो इस दर्द से गुजरने वालों की मनः स्थति क्या होगी ? उन पर क्या गुजर रही होगी ? इसका तो सिर्फ़ अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है। इनका यह अनुभव किसी नर्क से भी बदतर ही रहा होगा। इस अनदीठे दर्द की दास्तान लंबी है। यह तो कुछेक ख़बरें हैं जो हमारे सामने आई है , अभी तो न जाने ऐसी कितनी ही घटनाएँ होगी जिनसे हम अनभिज्ञ है।

इन परिस्थितियों को देखकर लगता है कि यह सिर्फ़ महिलाओं-बच्चों के साथ अत्याचार का मामला ही नहीं है बल्कि यह मानवता पर प्रश्न है। इस पूरे मामले को देखने पर लगता है कि मानवीयता तो सिर्फ़ काग़ज़ों पर ही रह गई है और युद्ध में कोई भी नियम-कायदे आदि लागू नहीं होते। यहाँ हज़ारों मासूम अपनी जान से हाथ धो रहे हैं । वैसे एक तरफ तो इज़राइली महिलाएँ आर्मी में तथा अन्य स्थानों पर अपना पूरा योगदान दे रही है फिर भी इस परिस्थिति से निपटने के लिए क्या करना होगा, क्या कदम उठाना होगा यह कहना मुश्किल है।

दरअसल इन आसुरी प्रवत्तियों के आतंकवादियों के बारे में क्या कहा जाए? यह तो जानवरों से भी गए-गुजरे प्रतीत होते हैं। जिस तरह माँ दुर्गा ने शुम्भ-निशुम्भ, महिषासुर और रक्तबीज जैसे दानवों का संहार किया, वैसी ही आसुरी शक्तियाँ आज हमारे सामने है। ऐसा लगता है कि ये आतंकवादी मनुष्य के भेष में उत्पात मचाने वाले रक्तबीज ही है। जिन्होंने आज इस पृथ्वी पर कोहराम मचा रखा है। अब लगता है कि इन असुरों का संहार करने के लिए आद्याशक्ति का आह्वान करना ही पड़ेगा। अस्तु....

 



डॉ. पूर्वा शर्मा

वड़ोदरा

 

6 टिप्‍पणियां:

  1. रवि कुमार शर्मा29 अक्तूबर 2023 को 10:57 pm बजे

    आतंक वाद को किसी भी देश को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं करना चाहिए । न ही किसी देश को आतंकवादी को सपोर्ट करना चाहिए लेकिन आजकल अपने स्वार्थ की खातिर विश्व स्तरीय नेता इन्हें सीधे या परोक्ष रूप से समर्थन कर रहे है,जिससे हमास जैसे संगठन के हौसले बुलंद हो रहे है ।

    जवाब देंहटाएं
  2. सामयिक विषय पर संवेदना को झकझोरता गम्भीर आलेख।आपका ये आलेख तथाकथित सभ्य समाज को सोचने को विवश करता है।सचमुच ये सम्भता पतन के सबसे निचले पायदान पर खड़ी नजर आ रही है।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया आलेख लिखा आपने। हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. मानवता को जागृत करने हेतु उत्तम आलेख, बहुत बहुत बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  5. समसामयिक विषय पर दिल को छू जाने वाला आलेख। आतंकवाद का कोहरा जाने कब छटेगा, कब नरसंहारक शक्तियों का विनाश होगा। सुदर्शन रत्नाकर

    जवाब देंहटाएं