मंगलवार, 4 जनवरी 2022

गीत

 



1.

सुनो प्रार्थना हे प्रभु मेरी !

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

 

और करो मंगल ,

मचा मन-संसद में दंगल !

 

ये इच्छाएँ लड़ें परस्पर

भाषण झाड़ रहीं

एक दूजे के लिखे हुए सब

पन्ने फाड़ रहीं

नहीं बस्तियाँ सभ्यजनों की

लगता है जंगल !

मचा मन-संसद में दंगल!

 

मुझको ही तड़पाकर इनको

दर्द नहीं होता

सूख गया है जैसे इनके

भावों का सोता

लिपटी चारों ओर सर्पिणी

त्याग हुआ संदल !

मचा मन-संसद में दंगल!

 

नम्र निवेदन मेरा ,इस पर

थोड़ा करो मनन

समझा दो कुछ या फिर इनका

कर दो आप दमन

अश्रु-जल से और अधिक अब

सिक्त न हो अंचल !

मचा मन-संसद में दंगल !



 

2.

फिर उड़ान भर पँछी

 

बैठ ऐसे न हारकर पँछी

देख तू फिर उड़ान भर पँछी

 

तेज तूफान है , घटाएँ हैं

कड़कती बिजलियाँ डराएँ हैं

कोई मौसम सदा नहीं रहता

साथ तेरे मेरी दुआएँ हैं

जीत होगी ,न ऐसे डर पँछी

देख तू फिर उड़ान भर पँछी !

 

पथ में सूरज कभी सताता है

खुद भी जलता , तुझे जलाता है

इसको ढलना , ढलेगा ही,इसका

आना-जाना यही बताता है -

हौंसले रख संभालकर पँछी

देख तू फिर उड़ान भर पँछी !

 

बैठ ऐसे न हारकर पँछी

देख तू फिर उड़ान भर पँछी !



डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

एच-604 , प्रमुख हिल्स ,छरवाडा रोड ,वापी

जिला- वलसाड(गुजरात) 396191

 

 

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