शनिवार, 14 नवंबर 2020

कुण्डलिया





त्रिलोक  सिंह  ठकुरेला की कुण्डलियाँ  

आती  है दीपावली, लेकर  यह  सन्देश ।

दीप जलें जब प्यार  के, सुख  देता परिवेश ।।

सुख देता परिवेश, प्रगति के पथ खुल जाते ।

करते सभी विकास, सहज ही सब  सुख आते ।

‘ठकुरेला’ कविराय, सुमति ही सम्पति पाती ।

जीवन  हो  आसान, एकता जब  भी आती ।।

 

दीप जलाकर आज तक, मिटा न तम का राज ।  

मानव ही  दीपक बने, यही माँग है आज  ।।

यही माँग है आज, जगत में  हो  उजियारा ।

मिटे  आपसी  भेद,  बढ़ाएँ  भाईचारा । 

‘ठकुरेला’ कविराय, भले हो नृप या  चाकर ।

चलें सभी  मिल साथ, प्रेम के दीप जलाकर ।।

 

जब  आशा  की लौ जले, हो प्रयास की धूम ।

आती ही है लक्ष्मी, द्वार  तुम्हारा चूम    ।।

द्वार तुम्हारा चूम, वास घर में कर  लेती ।

करे विविध कल्याण, अपरमित धन दे देती ।

‘ठकुरेला’ कविराय, पलट जाता है पासा ।

कुछ  भी  नहीं अगम्य, बलबती हो जब आशा ।।

 

दीवाली के पर्व की, बड़ी अनोखी  बात ।

जगमग जगमग हो रही, मित्र, अमा की रात  ।।

मित्र, अमा की रात, अनगिनत दीपक जलते ।

हुआ प्रकाशित विश्व , स्वप्न आँखों में पलते ।

‘ठकुरेला’ कविराय, बजी खुशियों की ताली ।

ले सुख के भण्डार, आ गई  फिर दीवाली ।। 

 


त्रिलोक  सिंह  ठकुरेला 

बंगला संख्या - 99,

रेलवे चिकित्सालय के सामने,

आबू रोड - 307026   

जिला- सिरोही ( राजस्थान )



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