बुधवार, 31 दिसंबर 2025

विशेष

ब्रज भूमि: भक्ति योग, ज्ञान योग और कर्म योग की त्रिवेणी

डॉ. मोहन पाण्डेय भ्रमर

जब भी वृंदावन में पहुँचेंगे और नगर में भ्रमण करेंगे तो यही लगता है कि यहाँ तो वासुदेव कृष्ण साक्षात् विराजमान हैं ही उनके कालजयी उपदेश के मुख्य सूत्र _भक्ति, ज्ञान और कर्म योग की त्रिवेणी कहीं साक्षात् है तो यहीं है। हर ओर राधे राधे,जय श्री कृष्णा, राधे राधे जय श्री कृष्णा। यह महामंत्र गलियों में गूँज रहा है।

प्रत्येक व्यक्ति तो भक्ति भावना से ही यहाँ पाँव रखता है लेकिन जिन्होंने अपने जीवन को यहीं के लिए समर्पित कर दिया है वह तो अनवरत भक्ति में लीन है। इस महाभक्ति से ज्ञान की जो धारा प्रवाहित होती है उसके प्रभाव से निश्चित रूप से सभी को ज्ञान की प्राप्ति होती है।

दुकानदार,परिवहन चालक, तीर्थ यात्री, सभी लोग अहर्निश भक्ति के सागर में डूबे दिखाई देते हैं। जीवन निर्वाह के लिए छोटे बड़े जितने भी हैसियत के लोग हैं अपने कर्म के साथ ही साथ भक्ति में डूबे हुए हैं केवल धनार्जन ही मूल उद्देश्य नहीं है जैसा मैंने महसूस किया।यह उस अलौकिक परम ब्रह्म की ही शक्ति और कृपा है कि यह त्रिवेणी निरंतर प्रवाहमान है।भारत ही नहीं इस कृष्ण के भक्ति का ही प्रभाव है कि देश की सीमाओं को लांघकर विदेशी भक्त भी भक्ति के ब्रज रास में डूबे दिखाई पड़ते हैं।

डॉ. मोहन पाण्डेय भ्रमर

ब्रज भूमि,श्री धाम वृंदावन

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